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तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन, लेकिन आज भी 'प्यासा' है यह जलमीनार - ईटीवी भारत

जामताड़ा में पिछली सरकार में उद्घाटन किए गे जलमीनार से अब तक वहां के लोगों को पानी नसीब नहीं हुआ है. लोगों का कहना है कि जिस ताम-झाम के साथ इसकी शुरुआत की गई थी उसका कोई परिणाम नजर नहीं आ रहा है.

जलमीनार की तस्वीर
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Published : Apr 25, 2019, 1:47 PM IST

जामताड़ा: जिले के बेवा गांव में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत बना जलमीनार पूरी तरह से फेल हो चुका है. ग्रामीणों जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्हें पानी के लिए तरसना पड़ रहा है, नतीजतन वे 2 किलोमीटर दूर एक चापाकल से पानी लाने को मजबूर हैं.

देखें पूरी खबर.

ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत इसका निर्माण लाखों की लागत से कराया गया था. लेकिन आज तक इस जलमीनार से लोगों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो पाया. ग्रामीण जनता को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. दो किलोमीटर दूर एक चापाकल से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ग्रामीणों को कहना है कि पानी के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है. कई बार शिकायत भी की गई लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया. बता दें कि इसका उद्घायन हेमंत सोरेन ने खुद खुद अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में किया था. लेकिन कहावत ढाक के तीन पात वाली निकली.

ये भी पढ़ें- JMM विधायक जेपी पटेल का एनडीए में झुकाव, कहीं ये महतो वोटर्स का जेएमएम से मोहभंग का इशारा तो नहीं ?

वहीं, इस बारे में जब संबंधित विभाग के पदाधिकारी से संपर्क कर पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि जल मीनार का बोरिंग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. बोरिंग के लिए प्राक्कलन तैयार कर लिखा गया है।स्वीकृति मिलने के बाद उस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

जामताड़ा: जिले के बेवा गांव में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत बना जलमीनार पूरी तरह से फेल हो चुका है. ग्रामीणों जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्हें पानी के लिए तरसना पड़ रहा है, नतीजतन वे 2 किलोमीटर दूर एक चापाकल से पानी लाने को मजबूर हैं.

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ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत इसका निर्माण लाखों की लागत से कराया गया था. लेकिन आज तक इस जलमीनार से लोगों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो पाया. ग्रामीण जनता को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. दो किलोमीटर दूर एक चापाकल से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ग्रामीणों को कहना है कि पानी के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है. कई बार शिकायत भी की गई लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया. बता दें कि इसका उद्घायन हेमंत सोरेन ने खुद खुद अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में किया था. लेकिन कहावत ढाक के तीन पात वाली निकली.

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वहीं, इस बारे में जब संबंधित विभाग के पदाधिकारी से संपर्क कर पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि जल मीनार का बोरिंग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. बोरिंग के लिए प्राक्कलन तैयार कर लिखा गया है।स्वीकृति मिलने के बाद उस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

Intro:जामताड़ा के बेवा गांव में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत बने जल मीनार पूरी तरह से फेल हो चुका है ।ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है पानी। पानी के लिए ग्रामीण जनता को होना पड़ रहा है परेशान। प्रशासन और समन्वय विभाग के पदाधिकारी बेखबर।


Body:V1जामताड़ा में ग्रामीण जलापूर्ति योजना का हाल काफी बुरा है। लाखों की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जल मीनार तो बना दिया गया ।लेकिन ग्रामीण जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ रहा है। हाल है जामताड़ा के बेवा गांव का जहां लाखों की लागत से जल मीनार ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत तो बना दिया गया लेकिन आज तक इस जल मीनार से ग्रामीण जनता को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो पाया। ग्रामीण जनता को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। 2 किलोमीटर दूर एक चापाकल से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीण जनता का कहना है जल मीनार दिखावा के लिए बन गया है। पानी आज तक नहीं मिल पा रहा है । पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है ।कई बार शिकायत भी किए लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया।
बाईट ग्रामीण जनता
V2 आपको बता दें बेवा गांव के ग्रामीण जनता को प्यास बुझाने के लिए ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत लाखों रुपया खर्च कर जल मीनार बनाया गया। जिसका उद्घाटन तत्कालीन हेमंत सरकार के समय. हेमंत सोरेन ने खुद इसका विधिवत उद्घाटन किए थे। तब ग्रामीण जनता को लगा था कि उनके अधीन पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और पानी की समस्या से निदान मिल जाएगा ।लेकिन हुआ वही ढाक के तीन पात। उद्घाटन के बाद कुछ दिन तो पानी आपूर्ति हुआ उसके बाद यह जल मिनार और बोरिंग फेल हो गया। एक बूंद पानी ग्रामीण जलापूर्ति योजना को नहीं मिल पाया। वहीं इस संबंध में जब संबंधित विभाग के पदाधिकारी से संपर्क कर पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि जल मीनार का बोरिंग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। बोरिंग के लिए प्राक्कलन तैयार कर लिखा गया है।स्वीकृति मिलने के बाद उस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बाईट पदाधिकारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग


Conclusion:ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए लाखों रुपया खर्च कर जल मीनार और बोरिंग किया गया। लोगों के घर घर कनेक्शन दिया गया ।पानी तो नहीं मिला। लेकिन योजना फेल हो गया है ।इसे फिर से चालू के लिए करीब 900000 रुपए की लागत की प्लान तैयार की जा रही है । अब देखना यह है कि सरकारी खर्च करने के बावजूद भी फिर से राशि खर्च करने के बाद कब इस योजना का लाभ ग्रामीण जनता को मिल पाता है या नहीं या ऐसे ही सिर्फ कागज में ही सिमट कर रह जाता है।

संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा

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