जामताड़ा: जिले का आदिवासी बहुल गांव सुखजोरा में रजिया नदी में जलस्तर बढ़ जाने से गांव के लोगों का बाहर से संपर्क टूट गया है. लोगों का आवागमन ठप है. अलग राज्य बने 20 साल से ऊपर हो गया लेकिन आज तक सुखजोरा आदिवासी बहुल गांव में रजिया नदी पर पुल नहीं बन पाया है, नतीजा इनकी समस्या जस की तस बनी हुई है.
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रजिया नदी में बढ़ा जलस्तर, आवागमन ठप
झारखंड अलग हुए करीब 20 साल से ऊपर हो गए, लेकिन आज तक जामताड़ा के आदिवासी बहुल गांव सुखजोरा में रजिया नदी पर पुल नहीं बन पाया है. नतीजतन आज भी गांव के लोगों का खासकर बरसात के मौसम में बाहरी दुनिया से संपर्क टूट जाता है. ऐसे में उनकी परेशानी काफी बढ़ जाती है. इस साल भी हालत जस के तस है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि रजिया नदी में पानी बढ़ जाने से आना जाना बंद हो गया है. रोजी-रोजगार के लिए इस पार से उस पार धनबाद जाते थे, लेकिन अब नहीं जा पा रहे हैं. कोई अधिक बीमार पड़ जाता है तो काफी दूर होकर जामताड़ा जाना पड़ता है. ऐसे में कभी-कभी मरीज की मौत हो जाती है.
कई बार ग्रामीण नेताओं से पुल बनाने की लगा चुके हैं गुहार
पुल बनाने को लेकर कई बार ग्रामीण प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन हर बार आश्वासन का ही घूंट पिला दिया जाता है कि बना दिया जाएगा. लेकिन आश्वासन के सिवाय ग्रामीण जनता को कुछ नसीब नहीं हो पाया है.
हर चुनाव में गांव वालों को मिलता है सिर्फ आश्वासन
जब भी चुनाव का समय आता है. ग्रामीण नदी पर पुल बनाने की मांग करते हैं. हर दल के लोग जनता को यह भरोसा दिलाते हैं कि उनकी सरकार बनेगी तो वह पुल बना देंगे. लेकिन हर बार ग्रामीण धोखा खाते हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि चुनाव के समय नेता कहते हैं कि सरकार बनेगी की तो पुल बना देंगे. लेकिन उसके बाद देखने तक नहीं आते हैं.
भाजपा ने पुल नहीं बनने को लेकर विधायक को ठहराया जिम्मेदार
रजिया नदी पर पुल आज तक नहीं बन पाने, आवागमन बंद होने और ग्रामीणों की समस्या के लिए भाजपा के जिला अध्यक्ष ने स्थानीय विधायक को जिम्मेदार ठहराया है. भाजपा के जिला अध्यक्ष का कहना है कि लंबे समय से जामताड़ा का प्रतिनिधि यहां के स्थानीय विधायक इरफान अंसारी और उनके पिता करते आए हैं. लेकिन एक भी पुल का निर्माण आजतक नहीं करा सके.
अब देखना है कि रजिया नदी पर पुल कब बन पाता है और यहां के ग्रामीणों को इस समस्या से कब मुक्ति मिल पाती है.