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Jamtara News: जामताड़ा में हूल दिवस पर याद किए गए सिदो-कान्हू - हूल दिवस झारखंड दिवस

हूल दिवस के दिन जामताड़ा में उत्सव जैसा माहौल रहा. लोगों ने सिदो-कान्हू के बलिदान को याद किया.

Hool Divas
हूल दिवस पर याद किए गए सिदो-कान्हू
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Published : Jul 1, 2023, 1:46 PM IST

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जामताड़ा: 30 जून हूल दिवस को लेकर जामताड़ा समेत पूरे संथाल परगना में उल्लास दिखा. जामताड़ा में जगह-जगह सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर पूजा अर्चना कर लोगों ने माल्यार्पण और पुष्प अर्पित किए. ढोल नगाड़े के साथ लोगों ने हूल दिवस पर सिदो-कान्हू को एक क्रांतिकारी योद्धा के रूप में याद किया. साथ ही पूर्वजों के संस्कारों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी गई.

ये भी पढ़ें: Hool Diwas in Jharkhand: संथाल विद्रोह के शहीदों को याद कर रहा झारखंड, आला नेताओं ने अर्पित किये श्रद्धा सुमन

अंग्रेज और महाजनी प्रथा के विरुद्ध हूल किय था. धरती के भगवान माने जाने वाले सिदो-कान्हू ने महाजनी प्रथा व अंग्रेजों के विरुद्ध 1855 में हूल क्रांति की शुरुआत की थी. 30 जून 1855 को जामताड़ा एवं देवघर जिला के सीमावर्ती बगदाहा मोड़ के समीप मानपुर में अमर शहीद सिदो की गिरफ्तारी कुंजोरा स्टेट के राजा के सहयोग से अंग्रेजों ने की थी. 3 महीने बाद पश्चिम बंगाल के शिउड़ी जेल में उन्हें फांसी दी गई थी. उन्हीं की याद में 1982 से बगदाहा मोड़ पर प्रत्येक वर्ष धूमधाम से हूल दिवस मनाया जाता है.

इसी कड़ी में शुक्रवार को देवघर जिला झामुमो अध्यक्ष सह राज्य आंदोलनकारी चिन्हितिकरण आयोग के सदस्य नरसिंह मुर्मू ने उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान यहां कई दिग्गज पहुंचे. जिसमें सारठ के पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह, झामुमो नेता भूपेंद्र सिंह, जिला परिषद सदस्य मिसिर सोरेन, राज परिवार के पूरन सिंह सहित अन्य मौजूद रहे.

झामुमो नेता नरसिंह मुर्मू ने कहा कि एसपीटी एक्ट और संथाल परगना में जो कमिश्नरेट बनाया गया है, वह अमर शहीद सिदो की ही देन है. वहीं पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह ने कहा कि अमर शहीद सिदो मुर्मू का ही देन है उनके द्वारा मांग की गई लॉ जो एसपीटी एक्ट है. इसी को लेकर हिजला मेला मनाया जाता है. जो वास्तव में हिज लॉ मेला है.

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जामताड़ा: 30 जून हूल दिवस को लेकर जामताड़ा समेत पूरे संथाल परगना में उल्लास दिखा. जामताड़ा में जगह-जगह सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर पूजा अर्चना कर लोगों ने माल्यार्पण और पुष्प अर्पित किए. ढोल नगाड़े के साथ लोगों ने हूल दिवस पर सिदो-कान्हू को एक क्रांतिकारी योद्धा के रूप में याद किया. साथ ही पूर्वजों के संस्कारों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी गई.

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अंग्रेज और महाजनी प्रथा के विरुद्ध हूल किय था. धरती के भगवान माने जाने वाले सिदो-कान्हू ने महाजनी प्रथा व अंग्रेजों के विरुद्ध 1855 में हूल क्रांति की शुरुआत की थी. 30 जून 1855 को जामताड़ा एवं देवघर जिला के सीमावर्ती बगदाहा मोड़ के समीप मानपुर में अमर शहीद सिदो की गिरफ्तारी कुंजोरा स्टेट के राजा के सहयोग से अंग्रेजों ने की थी. 3 महीने बाद पश्चिम बंगाल के शिउड़ी जेल में उन्हें फांसी दी गई थी. उन्हीं की याद में 1982 से बगदाहा मोड़ पर प्रत्येक वर्ष धूमधाम से हूल दिवस मनाया जाता है.

इसी कड़ी में शुक्रवार को देवघर जिला झामुमो अध्यक्ष सह राज्य आंदोलनकारी चिन्हितिकरण आयोग के सदस्य नरसिंह मुर्मू ने उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान यहां कई दिग्गज पहुंचे. जिसमें सारठ के पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह, झामुमो नेता भूपेंद्र सिंह, जिला परिषद सदस्य मिसिर सोरेन, राज परिवार के पूरन सिंह सहित अन्य मौजूद रहे.

झामुमो नेता नरसिंह मुर्मू ने कहा कि एसपीटी एक्ट और संथाल परगना में जो कमिश्नरेट बनाया गया है, वह अमर शहीद सिदो की ही देन है. वहीं पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह ने कहा कि अमर शहीद सिदो मुर्मू का ही देन है उनके द्वारा मांग की गई लॉ जो एसपीटी एक्ट है. इसी को लेकर हिजला मेला मनाया जाता है. जो वास्तव में हिज लॉ मेला है.

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