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करोड़ों की लागत से बना रेफरल अस्पताल, 'भूत बंगले' में हुआ तब्दील

जामताड़ा के रेफरल अस्पताल भवन की स्थिति जर्जर है. करोड़ों रुपए की लागत से बने इस अस्पताल में सालों से ताला लटका हुआ है. जिसके कारण लोगों को इलाज कराने पश्चिम बंगाल जाना पड़ता है.

रेफरल अस्पताल का भवन जर्जर
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Published : Oct 8, 2019, 9:51 PM IST

जामताड़ा: करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में बना रेफरल अस्पताल भवन भूत बंगले में तब्दील हो चुका है. अस्पताल में ताला लटका रहता है. इसके प्रति न विभाग गंभीर न और न ही सरकार.

देखें पूरी खबर

करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया. जहां अस्पताल में ताला लटका रहता है. हालात यह है कि अस्पताल का भवन जर्जर होने लगा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है. बेहतर इलाज के लिए उन्हें बंगाल जाना पड़ता है. करोड़ों रुपए देकर अस्पताल बनाया गया, उसके बाद उसके मरम्मत के नाम पर खर्च किया गया लेकिन सभी पैसे बेकार हो गए. जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाया.

बताया जाता है कि संयुक्त बिहार में करोड़ों की लागत से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुंडहित रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया था. तत्कालीन बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इसका उद्घाटन किया था. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि बंद पड़े रेफरल अस्पताल का भविष्य संवरेगा और लोगों का बेहतर इलाज यहां मिल पाएगा, लेकिन वह हो न सका. स्थानीय विधायक रविंद्र महतो इसके लेकर सरकार जिम्मेदार ठहराया है. स्थानीय विधायक रविंद्र महतो ने कहा है कि अस्पताल यहां चिकित्सा सुविधा नदारद है.

ये भी पढ़ें- दुर्गाबाटी मंदिर से माता को नम आंखों से दी गई विदाई, कंधे पर उठाकर प्रतिमा को ले जाते हैं लोग

सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर इलाज के लिए बंद पड़े इस रेफरल अस्पताल के बारे में जब जिला के सिविल सर्जन से पूछा गया तो सिविल सर्जन ने डॉक्टरों की कमी बताई. सिविल सर्जन का कहना था कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही रेफरल को मर्ज कर दिया गया है और चलाया जा रहा है. लेकिन डॉक्टरों की कमी से आम लोगों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है.

जामताड़ा: करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में बना रेफरल अस्पताल भवन भूत बंगले में तब्दील हो चुका है. अस्पताल में ताला लटका रहता है. इसके प्रति न विभाग गंभीर न और न ही सरकार.

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करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया. जहां अस्पताल में ताला लटका रहता है. हालात यह है कि अस्पताल का भवन जर्जर होने लगा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है. बेहतर इलाज के लिए उन्हें बंगाल जाना पड़ता है. करोड़ों रुपए देकर अस्पताल बनाया गया, उसके बाद उसके मरम्मत के नाम पर खर्च किया गया लेकिन सभी पैसे बेकार हो गए. जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाया.

बताया जाता है कि संयुक्त बिहार में करोड़ों की लागत से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुंडहित रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया था. तत्कालीन बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इसका उद्घाटन किया था. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि बंद पड़े रेफरल अस्पताल का भविष्य संवरेगा और लोगों का बेहतर इलाज यहां मिल पाएगा, लेकिन वह हो न सका. स्थानीय विधायक रविंद्र महतो इसके लेकर सरकार जिम्मेदार ठहराया है. स्थानीय विधायक रविंद्र महतो ने कहा है कि अस्पताल यहां चिकित्सा सुविधा नदारद है.

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सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर इलाज के लिए बंद पड़े इस रेफरल अस्पताल के बारे में जब जिला के सिविल सर्जन से पूछा गया तो सिविल सर्जन ने डॉक्टरों की कमी बताई. सिविल सर्जन का कहना था कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही रेफरल को मर्ज कर दिया गया है और चलाया जा रहा है. लेकिन डॉक्टरों की कमी से आम लोगों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है.

Intro:जामताङा: करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में बना रेफरल अस्पताल भवन भूत बंगला में तब्दील हो चुका है। अस्पताल में ताला लटका रहता है। इसके प्रति न विभाग गंभीर न हीं सरकार। एक रिपोर्ट


Body:V1 करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया। जहां अस्पताल में ताला लटका रहता है ।अस्पताल खुलता ही नहीं ।यहां मरीजों का इलाज भी नहीं होता है ।इसका लाभ यहां के लोगों को ही मिल पाता है ।हालात यह है अस्पताल का भवन जर्जर होने लगा है। यहां के लोगों को इलाज के लिए बंगाल जाना पड़ता है ।स्थानीय लोग बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है । बेहतर इलाज के लिए उन्हें बंगाल जाना पड़ता है । अस्पताल सिर्फ नाम का है। कभी खुलता ही नहीं है ।स्थानीय लोग बताते हैं कि करोड़ रुपया देकर अस्पताल बनाया गया उसके बाद उसके मरम्मत के नाम पर खर्च किए। लेकिन सभी पैसे बेकार में चला गया । जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाया। बाईट राजू स्थानीय निवासी V2 बताया जाता है कि संयुक्त बिहार सरकार में करोड़ों की लागत से लोगों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुंडहित रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया था ।तत्कालीन बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इसका उद्घाटन किये थे । झारखंड अलग राज्य बनने के बाद लोगों को यह उम्मीद जगी थी कि बंद पड़ा रेफ्रा अस्पताल का भविष्य सवरेगा और लोगों का बेहतर इलाज यहां मिल पाएगा ।लेकिन वह भी ढाक के तीन पात बन कर रह गया है । स्थानीय विधायक रविंद्र महतो ने इसके लेकर सरकार को कोसा है ।स्थानीय विधायक रविंद्र महतो ने कहा है कि अस्पताल यहां चिकित्सा सुविधा नदारद है। बाईट रविंद्र नाथ महतो विधायक नाला V3 सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर इलाज के लिए बंद पड़े इस रेफरल अस्पताल के बारे में जब जिला के सिविल सर्जन से पूछा गया तो सिविल सर्जन ने डॉक्टरों की कमी बताया ।सिविल सर्जन का कहना था कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही रेफरल को मर्ज कर दिया गया है और चलाया जा रहा है। बेहतर इलाज आमजन को नहीं मिल पाना सिविल सर्जन ने डॉक्टरों की कमी बताया। बाईट आशा एक का सिविल सर्जन जामताड़ा


Conclusion:बहराल करोड़ों रुपए रेफरल अस्पताल भवन बनाने में एवं लाखों रुपए मरम्मत के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा दिए गए ।लेकिन कुंडहित के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया। बेहतर इलाज के लिए उन्हें भटकना पड़ रहा है ।सरकार का यह दावा के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा रही है। तमाम दावों को पोल खोल कर रख दिया है। संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
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