जामताड़ा: करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में बना रेफरल अस्पताल भवन भूत बंगले में तब्दील हो चुका है. अस्पताल में ताला लटका रहता है. इसके प्रति न विभाग गंभीर न और न ही सरकार.
करोड़ों की लागत से जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया. जहां अस्पताल में ताला लटका रहता है. हालात यह है कि अस्पताल का भवन जर्जर होने लगा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है. बेहतर इलाज के लिए उन्हें बंगाल जाना पड़ता है. करोड़ों रुपए देकर अस्पताल बनाया गया, उसके बाद उसके मरम्मत के नाम पर खर्च किया गया लेकिन सभी पैसे बेकार हो गए. जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाया.
बताया जाता है कि संयुक्त बिहार में करोड़ों की लागत से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुंडहित रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया था. तत्कालीन बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इसका उद्घाटन किया था. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि बंद पड़े रेफरल अस्पताल का भविष्य संवरेगा और लोगों का बेहतर इलाज यहां मिल पाएगा, लेकिन वह हो न सका. स्थानीय विधायक रविंद्र महतो इसके लेकर सरकार जिम्मेदार ठहराया है. स्थानीय विधायक रविंद्र महतो ने कहा है कि अस्पताल यहां चिकित्सा सुविधा नदारद है.
ये भी पढ़ें- दुर्गाबाटी मंदिर से माता को नम आंखों से दी गई विदाई, कंधे पर उठाकर प्रतिमा को ले जाते हैं लोग
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर इलाज के लिए बंद पड़े इस रेफरल अस्पताल के बारे में जब जिला के सिविल सर्जन से पूछा गया तो सिविल सर्जन ने डॉक्टरों की कमी बताई. सिविल सर्जन का कहना था कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही रेफरल को मर्ज कर दिया गया है और चलाया जा रहा है. लेकिन डॉक्टरों की कमी से आम लोगों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है.