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जामताड़ा में ODF की जमीनी हकीकत, बंद रहते हैं अधिकतर शौचालय, लोग नहीं करते इस्तेमाल - जामताड़ा के सामुदायिक शौचालय के हाल

जामताड़ा में ओडीएफ की हकीकत सामने आई है. जिले में अधिकतर बनाए गए सामुदायिक शौचालय या तो बंद पड़े हैं या फिर लोग उसका सामान रखने में उपयोग कर रहे हैं. वहीं इस बारे में जब स्वच्छता पदाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लोगों को जागरुक करने की जरुरत है.

reality of odf  in jamtara
ओडीएफ की हकीकत
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Published : Feb 15, 2021, 12:00 PM IST

Updated : Feb 15, 2021, 12:06 PM IST

जामताड़ा: जिला खुले में शौच मुक्त कागज में भले ही हो गया हो, पर हकीकत में आज भी अधिकांश लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. कहने के लिए सार्वजनिक स्थान में सामुदायिक शौचालय और घर-घर शौचालय बनाया गया है. लेकिन अधिकतर शौचालय तो बंद रहते हैं या तो उपयोग में नहीं लाये जाते हैं.

देखें पूरी खबर
अधिकतर बनाए गए सामुदायिक शौचालय बंदजिला भले ही खुले में शौच मुक्त कागज में हो गया हो पर हकीकत में आज भी अधिकांश लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. कहने के लिए तो सामुदायिक शौचालय और ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर शौचालय बनाया गया है. अधिकतर या तो बंद रहता है या उपयोग में नहीं लाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए अधिकतर शौचालय में लोग समान रखते हैं. जामताड़ा पुराना कोर्ट परिसर में सुलभ शौचालय तो बनाया गया है. लेकिन यह बंद रहता है. नतीजा जहां-तहां लोग शौच करने को मजबूर होते हैं.ग्रीन टॉयलेट सामुदायिक शौचालय अधिकतर रहता है बंदखुले में शौच से मुक्त बनाने और सार्वजनिक स्थान पर शौचालय की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च कर जामताड़ा मिहिजाम में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है. इसके अलावा सड़क के किनारे जहां-तहां ग्रीन टॉयलेट बनाया गया है, लेकिन यह सब मात्र नाम का है. सरकारी पैसे का दुरुपयोग बनकर रह गया है. जो अघिकतर बंद रहता है. इसे भी पढ़ें-रांची में चोर गिरोह के दस सदस्य गिरफ्तार, कबाड़ी वाला बन करते थे घरों की रेकी


क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री का जो सपना है और स्वच्छ भारत का जो मिशन है वह जामताड़ा में सफल नहीं हो पा रहा है. सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है. शौचालय बंद रहता है, जिससे जहां तहां लोग शौच करने को मजबूर होते हैं. यहां तक कि स्थानीय लोग बताते हैं कि जो शौचालय ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर बनाया गया है, वह गोयढाला बन के रह गया है. ग्रामीण गोयठा रखने का काम करते हैं. शौचालय के रूप में उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं,


क्या कहते हैं पदाधिकारी
शौचालय का उपयोग अधिकतर नहीं होने, बंद रहने और बेकार पड़े रहने को लेकर जब जिले के स्वच्छता पदाधिकारी से संपर्क किया गया. तो उन्होंने बताया कि 5000 शौचालय का ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन शौचालय का उपयोग नहीं हो रहा है. इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन बंद पड़े शौचालय को खोलने के लिए प्रयास किया जा रहा है.

जामताड़ा: जिला खुले में शौच मुक्त कागज में भले ही हो गया हो, पर हकीकत में आज भी अधिकांश लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. कहने के लिए सार्वजनिक स्थान में सामुदायिक शौचालय और घर-घर शौचालय बनाया गया है. लेकिन अधिकतर शौचालय तो बंद रहते हैं या तो उपयोग में नहीं लाये जाते हैं.

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अधिकतर बनाए गए सामुदायिक शौचालय बंदजिला भले ही खुले में शौच मुक्त कागज में हो गया हो पर हकीकत में आज भी अधिकांश लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. कहने के लिए तो सामुदायिक शौचालय और ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर शौचालय बनाया गया है. अधिकतर या तो बंद रहता है या उपयोग में नहीं लाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए अधिकतर शौचालय में लोग समान रखते हैं. जामताड़ा पुराना कोर्ट परिसर में सुलभ शौचालय तो बनाया गया है. लेकिन यह बंद रहता है. नतीजा जहां-तहां लोग शौच करने को मजबूर होते हैं.ग्रीन टॉयलेट सामुदायिक शौचालय अधिकतर रहता है बंदखुले में शौच से मुक्त बनाने और सार्वजनिक स्थान पर शौचालय की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च कर जामताड़ा मिहिजाम में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है. इसके अलावा सड़क के किनारे जहां-तहां ग्रीन टॉयलेट बनाया गया है, लेकिन यह सब मात्र नाम का है. सरकारी पैसे का दुरुपयोग बनकर रह गया है. जो अघिकतर बंद रहता है. इसे भी पढ़ें-रांची में चोर गिरोह के दस सदस्य गिरफ्तार, कबाड़ी वाला बन करते थे घरों की रेकी


क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री का जो सपना है और स्वच्छ भारत का जो मिशन है वह जामताड़ा में सफल नहीं हो पा रहा है. सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है. शौचालय बंद रहता है, जिससे जहां तहां लोग शौच करने को मजबूर होते हैं. यहां तक कि स्थानीय लोग बताते हैं कि जो शौचालय ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर बनाया गया है, वह गोयढाला बन के रह गया है. ग्रामीण गोयठा रखने का काम करते हैं. शौचालय के रूप में उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं,


क्या कहते हैं पदाधिकारी
शौचालय का उपयोग अधिकतर नहीं होने, बंद रहने और बेकार पड़े रहने को लेकर जब जिले के स्वच्छता पदाधिकारी से संपर्क किया गया. तो उन्होंने बताया कि 5000 शौचालय का ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन शौचालय का उपयोग नहीं हो रहा है. इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन बंद पड़े शौचालय को खोलने के लिए प्रयास किया जा रहा है.

Last Updated : Feb 15, 2021, 12:06 PM IST
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