जामताड़ा: जिला खुले में शौच मुक्त कागज में भले ही हो गया हो, पर हकीकत में आज भी अधिकांश लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. कहने के लिए सार्वजनिक स्थान में सामुदायिक शौचालय और घर-घर शौचालय बनाया गया है. लेकिन अधिकतर शौचालय तो बंद रहते हैं या तो उपयोग में नहीं लाये जाते हैं.
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री का जो सपना है और स्वच्छ भारत का जो मिशन है वह जामताड़ा में सफल नहीं हो पा रहा है. सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है. शौचालय बंद रहता है, जिससे जहां तहां लोग शौच करने को मजबूर होते हैं. यहां तक कि स्थानीय लोग बताते हैं कि जो शौचालय ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर बनाया गया है, वह गोयढाला बन के रह गया है. ग्रामीण गोयठा रखने का काम करते हैं. शौचालय के रूप में उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं,
क्या कहते हैं पदाधिकारी
शौचालय का उपयोग अधिकतर नहीं होने, बंद रहने और बेकार पड़े रहने को लेकर जब जिले के स्वच्छता पदाधिकारी से संपर्क किया गया. तो उन्होंने बताया कि 5000 शौचालय का ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन शौचालय का उपयोग नहीं हो रहा है. इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन बंद पड़े शौचालय को खोलने के लिए प्रयास किया जा रहा है.