जामताड़ा: जिले में बीते 15 दिनों से चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई ठप है. कोयले की ढुलाई नहीं होने से कोयले के संप्रेषण का काम भी ठप पड़ गया है, जिसके कारण प्रबंधन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. साथ ही रेलवे को होने वाले राजस्व की भी हानि हो रही है.
खनन विभाग ने लगाई रोक
जानकारी अनुसार, चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई को लेकर ई-चालान की आवश्यकता है. इसे चितरा कोलियरी को लेना अनिवार्य है. बिना ई-चलान के लिए कोयले की ढुलाई को लेकर खनन विभाग की ओर से रोक लगा दी गई है.
कोयले की ढुलाई बंद
जिला के खनन पदाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि चितरा कोलियरी को बिना ई-चालान के कोयले की ढुलाई नहीं करने दी जाएगी. परिवहन विभाग में भी वाहन से कोयले की ढुलाई को लेकर फरमान जारी किया है. जिला परिवहन पदाधिकारी वन विभाग की ओर से कोयले की ढुलाई में प्रयोग किए जाने वाले डंपर वाहन को बिना परमिट, बिना कागजात के परिचालन नहीं करने दिया जाएगा.
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कार्रवाई की चेतावनी
चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर से कोयले की ढुलाई की जाती है. इसमें अधिकतर डंपर ओवरलोड क्षमता से अधिक और बिना नियम कानून के ताक में रखकर परिचालन किया जाता है, जिसे लेकर कई बार परिवहन विभाग की ओर से कार्यवाई की भी चेतावनी दी गई.
भूखमरी की स्थिति उत्पन्न
मजदूरों के नेता का कहना है कि 15 दिनों से कोयले की ढुलाई ठप रहने से डंपर चालक और मजदूरों के सामने भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.