जामताड़ा: जिले में सुचारू रूप से एंबुलेंस के संचालन के लिए प्रशासन के पास व्यवस्था नहीं है. जिस कारण यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एंबुलेंस सेवा रहने के बाद भी जरूरत पड़ने पर आम लोगों को एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं हो पाती है. जिस कारण मरीजों को रिक्शा, ठेला पर अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है और अस्पताल पहुंचने के पहले ही मरीज की मौत हो जाती है. इसके बावजूद जामताड़ा स्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं टूट रही है. जरूरत है एंबुलेंस सेवा को सुचारू रूप से संचालन करने की. ताकि समय पर जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस सेवा लोगों को मिल जाए.
जामताड़ा स्वास्थ्य विभाग में कुल 7 एंबुलेंस पूरे जिले में है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा 108 निशुल्क एंबुलेंस सेवा की संख्या 7 है. जिसमें से 3 कोविड-19 के लिए सुरक्षित रखा गया है. शेष सेवा आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. करीब 8 लाख आबादी वाले जिले में सरकारी सेवा के अलावे स्वयंसेवी संगठनों के पास 8 एंबुलेंस सेवा के लिए उपलब्ध है.
दूसरे काम में उपयोग होता है एंबुलेंस
स्थानीय लोगों का कहना है कि एनजीओ को जो एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया है. अधिकतर दूसरे काम में उपयोग किया जाता है. प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है. एंबुलेंस सेवा को लेकर आज तक कोई सुचारू रूप से व्यवस्था नहीं की गई है. स्थानीय लोग प्रशासन से जांच कर कार्रवाई करने की भी मांग की.
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एंबुलेंस का कोई दुरुपयोग होने पर होगी कड़ी कार्रवाई
जिला के उपायुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि विधायक और सांसद निधि फंड से एनजीओ को जो एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया है. इसकी सूची बनाने के लिए निर्देश दिया है और एनजीओ के लोग अगर एंबुलेंस का कोई दुरुपयोग करते हैं, तो उन पर प्राथमिकी दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही.
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जामताड़ा सदर अस्पताल के उपाधीक्षक चंद्रशेखर आजाद ने बताया कि 108 सरकारी व्यवस्था निशुल्क है. रेफर मरीज को या किसी भी व्यक्ति को बाहर से सूचना मिलने पर उपलब्ध कराया जाता है. एनजीओ को दिए गए एंबुलेंस पर स्वास्थ विभाग का कोई नियंत्रण नहीं रहने की जानकारी दी.