जामताड़ाः झारखंड के राजकीय फूल पलाश वसंत ऋतु के आगमन से ही खिलने लगता है. इन दिनो संथाल परगना के जामताड़ा जिले में पलाश के फूलों ने अपनी सुंदरता से वातावरण को खुशनुमा बना दिया है. जानकार बताते हैं कि पलाश के फूल में कई औषधीय गुण हैं. इसके साथ ही पलाश के फूल का धार्मिक, सामाजिक और प्राकृतिक रूप से काफी महत्व है.
यह भी पढ़ेंःसरकारी स्कूल में बच्चों से लगवाई जा रही झाड़ू, स्कूल में कोरोना गाइडलाइन का भी उल्लंघन
पर्यावरण को रखता है संतुलित
पलाश के फूल झारखंड के संस्कृति से जुड़ा है. यह पर्यावरण को भी संतुलित रखता है. वसंत ऋतु में पेड़ से सारे पत्ते झड़ जाते हैं और सिर्फ फूल ही फूल दिखते हैं. इससे प्राकृतिक सुंदरता काफी बढ़ जाती है.
आदिवासी समाज में पलाश के फूल का काफी महत्व
आदिवासी समाज और आदिवासी संस्कृति में पलाश के फूल का काफी महत्व है. बताया जाता है कि आदिवासी समाज पलाश के फूल से रंग बनाने का काम करते हैं. आदिवासी समाज के शिक्षाविद और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सुनील बास्की बताते हैं कि पलाश के फूल पर्यावरण को संरक्षित करते हैं. वहीं, आदिवासी समाज में शादी-विवाह के मौका हो या फिर पूजा-पाठ, बिना पलाश के फूलों का अक्सर इस्तेमाल होता है.
रंग और गुलाल तैयार कर खेलते हैं होली
स्थानीय लोग पलाश के फूल से प्राकृतिक रंग और गुलाल तैयार करते हैं. इस प्राकृतिक रंग और गुलाल से ही ग्रामीण होली खेलते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि पलाश के फूल कई तरह के होते हैं. इसमें लाल रंग वाले पलाश के फूल से रंग तैयार किया जाता है.
पलाश के फूल में है कई औषधीय गुण
पलाश के फूल और पेड़ में कई औषधीय गुण होते हैं. इसके फूल, बीज और छाल का उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है. जामताड़ा जिले के आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पूनम कुमारी बताती हैं कि पलाश के फूल, बीज और छाल से कई फायदे हैं. इलका कई रोगों के इलाज में दवा के रूप में किया जाता है.