ETV Bharat / state

70 सालों में भी नहीं बन सका चितरंजन रेलवे स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज, जान जोखिम में डाल कर सफर करते हैं यात्री - jamtara news

आजादी के बाद मिहिजाम रेलवे स्टेशन का नाम चितरंजन किया गया. चितरंजन स्टेशन बने 70 साल हो गए, लेकिन अब तक स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज नहीं बन सका है. इससे यात्रियों को प्लेटफॉर्म बदलने में काफी परेशानी होती है.

no-foot-over-bridge-at-chittaranjan-railway-station
70 सालों में भी नहीं बन सका चितरंजन रेलवे स्टेशन पर फूट ओवर ब्रिज
author img

By

Published : Sep 20, 2021, 9:11 AM IST

जामताड़ाः आजादी से पहले चितरंजन रेलवे स्टेशन मिहिजाम रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था. एशिया का सबसे बड़ा रेल इंजन कारखाना स्थापित होने के बाद चितरंजन रेलवे स्टेशन का महत्व काफी बढ़ गया. इसके साथ ही स्टेशन से लोगों का आना-जाना भी बढ़ गया. लेकिन आज भी स्टेशन पर एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर आने-जाने के लिए फुट ओवरब्रिज की व्यवस्था नहीं है. स्थिति यह है कि मजबूरन यात्रियों के साथ साथ स्थानीय लोगों को रेलवे ट्रैक से आना-जाना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंःबांस भरोसे चल रही जिंदगी! सरकारी मदद की आस में अंबा गांव का दलित परिवार

दिल्ली-हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर स्थित चितरंजन स्टेशन के बने 70 साल हो गए, लेकिन आज तक एक से दूसरे प्लेटफॉर्म को जोड़ा नहीं गया है. इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसकी वजह से लोगों को रेलवे ट्रैक पार कर आना-जाना पड़ रहा है. इससे हमेशा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि रेलवे ट्रैक होकर आने-जाने से यदा कदा लोग दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं. उन्होंने कहा कि लंबे समय से फुट ओवरब्रिज बनाने की मांग की जा रही है. लेकिन, अब तक देश के सबसे पुराने स्टेशनों में एक चितरंजन स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज नहीं बनाया जा सका है.

देखें पूरी रिपोर्ट

चितरंजन पहले था मिहिजाम रेलवे स्टेशन

26 जनवरी 1950 को मिहिजाम रेलवे स्टेशन का नाम देशबंधु चितरंजन दास किया गया. इस स्टेशन के नाम के पीछे काफी लंबा इतिहास रहा है. देश के आजाद होने के बाद एशिया का सबसे बड़ा रेल इंजन कारखाना चितरंजन के नाम से स्थापित किया गया. चितरंजन रेल इंजन कारखाना के बाद मिहिजाम स्टेशन के नाम बदलकर चितरंजन रेलवे स्टेशन किया गया.

जामताड़ाः आजादी से पहले चितरंजन रेलवे स्टेशन मिहिजाम रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था. एशिया का सबसे बड़ा रेल इंजन कारखाना स्थापित होने के बाद चितरंजन रेलवे स्टेशन का महत्व काफी बढ़ गया. इसके साथ ही स्टेशन से लोगों का आना-जाना भी बढ़ गया. लेकिन आज भी स्टेशन पर एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर आने-जाने के लिए फुट ओवरब्रिज की व्यवस्था नहीं है. स्थिति यह है कि मजबूरन यात्रियों के साथ साथ स्थानीय लोगों को रेलवे ट्रैक से आना-जाना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंःबांस भरोसे चल रही जिंदगी! सरकारी मदद की आस में अंबा गांव का दलित परिवार

दिल्ली-हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर स्थित चितरंजन स्टेशन के बने 70 साल हो गए, लेकिन आज तक एक से दूसरे प्लेटफॉर्म को जोड़ा नहीं गया है. इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसकी वजह से लोगों को रेलवे ट्रैक पार कर आना-जाना पड़ रहा है. इससे हमेशा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि रेलवे ट्रैक होकर आने-जाने से यदा कदा लोग दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं. उन्होंने कहा कि लंबे समय से फुट ओवरब्रिज बनाने की मांग की जा रही है. लेकिन, अब तक देश के सबसे पुराने स्टेशनों में एक चितरंजन स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज नहीं बनाया जा सका है.

देखें पूरी रिपोर्ट

चितरंजन पहले था मिहिजाम रेलवे स्टेशन

26 जनवरी 1950 को मिहिजाम रेलवे स्टेशन का नाम देशबंधु चितरंजन दास किया गया. इस स्टेशन के नाम के पीछे काफी लंबा इतिहास रहा है. देश के आजाद होने के बाद एशिया का सबसे बड़ा रेल इंजन कारखाना चितरंजन के नाम से स्थापित किया गया. चितरंजन रेल इंजन कारखाना के बाद मिहिजाम स्टेशन के नाम बदलकर चितरंजन रेलवे स्टेशन किया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.