जामताड़ा: जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर कर्माटाड़ में विद्यासागर प्रखंड स्थित है. पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने अपने जीवन के अंतिम क्षण नंदनकानन में ही बिताएं और कर्माटांड़ क्षेत्र को अपना कर्मभूमि बनाते हुए लोगों की सेवा की.
देश-विदेश से आते हैं पर्यटक
बता दें कि विद्यासागर ने अपना जीवन यहां के लोगों की सेवा करने में समर्पित कर दिया. उन्होंने बालिका विद्यालय की स्थापना की थी जो आज भी स्थापित है. यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी पर्यटक आते हैं.
खाने-पीने की है व्यवस्था
यहां आने वाले पर्यटकों के लिए रेस्ट हाउस और खाने-पीने की व्यवस्था है. यहां के देखभाल करने वाले केयरटेकर का कहना है कि विद्यासागर को जानने और सुनने के लिए देश-विदेश से यहां लोग आते हैं. खासकर पूस महीने में बंगाल से लोग ज्यादा आते हैं. यहां पर उनके रहने और खाने-पीने की भी व्यवस्था है.
ईश्वरचंद्र विद्यासागर का इतिहास
बताया जाता है कि यह क्षेत्र सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों से घिरा हुआ क्षेत्र था. आदिवासी इलाका रहने के कारण उनमें काफी अंधविश्वास और बुराइयां भरी हुई थी. उस समय ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने अपना सब कुछ छोड़ कर इस क्षेत्र को अपना कर्मभूमि बनाया. बताया जाता है करीब 1853 में वे यहां पर आए और छोटी सी कुटिया बनाकर रहने लगे. जिसका नाम उन्होंने नंदनकानन रखा. इसी नंदनकानन में रहकर विद्यासागर ने फ्री निशुल्क चिकित्सा देना शुरू किया. नारी शिक्षा पर ज्यादा बल दिए. बालिकाओं को शिक्षा देने के लिए उन्होंने बालिका विद्यालय की स्थापना की जो आज बंद पड़ा हुआ है. उन्होंने बाल विवाह, विधवा, पुनर्विवाह आंदोलन चलाया और यहीं रहकर वर्ण परिचय बंगला पुस्तक लिखा जो कि स्कूलों में प्रचलित है.
निशुल्क चिकित्सा व्यवस्था की मांग
यहां के स्थानीय लोग ईश्वरचंद्र विद्यासागर नंदनकानन को विकसित करने के लिए गार्डन और शिक्षा के साथ-साथ निशुल्क चिकित्सा व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि विद्यासागर का जो सपना था शिक्षा और स्वास्थ्य पूरा होना चाहिए और ज्यादा विकसित किया जाना चाहिए.
नहीं हो पाया है विकास
विद्यासागर के नाम और उनके सम्मान में कर्माटाड़ रेलवे स्टेशन का नामकरण विद्यासागर किया गया. झारखंड सरकार ने भी उनके सम्मान में कर्माटाड़ प्रखंड का नाम बदलकर विद्यासागर प्रखंड कर दिया जो आज विद्यासागर के नाम से जाना जाता है. विद्यासागर के इस कर्मभूमि नंदनकानन को देखने और सुनने के लिए राज्य सरकार के कई मंत्री विधायक और पदाधिकारी जरूर आते हैं. कई कार्यक्रम भी होता है, लेकिन जितना विकसित होना चाहिए उतना नहीं हो पाया है.
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इस बारे में जिला प्रशासन ने हर तरह से विकसित करने और सहयोग करने की बात कही है. जिला के उपायुक्त ने इस बारे में बताया कि ईश्वरचंद्र विद्यासागर की कर्मस्थली पर्यटक स्थल के रूप में विकसित है. इसे विकसित करने और हर तरह से सहयोग करने का प्रयास करेंगे. फिलहाल, विद्यासागर स्मृति रक्षा समिति एक सामाजिक संस्था इसकी देखभाल कर रही है.