जामताड़ा: ठगी के लिए कुख्यात जामताड़ा में इतने पुस्तकालय हैं, जितना दूसरे जिलों में मिलना मुश्किल है (Libraries In Jamtara). लेकिन इनमें से अधिकांश में ताला लगा रहता है. इससे लोगों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है.
ये भी पढ़ें- जामताड़ा में बिक रही पश्चिम बंगाल की शराब! झारखंड सरकार को हो रहा राजस्व का नुकसान
झारखंड के जामताड़ा जिले की 118 पंचायतों में सामुदायिक पुस्तकालय खोले गए हैं. इनमें से अधिकतर पुस्तकालय आजकल बंद रहते हैं, इनमें से कुछ खुलते भी हैं तो इनमें पुस्तक नहीं हैं. हालांकि कुछ में बच्चे भी नहीं आते.
बता दें कि साइबर अपराध से बदनाम जामताड़ा जिले के बदनामी दाग को धोने के लिए जिले के कुल 118 पंचायतों में 118 सामुदायिक पुस्तकालय खोले गए हैं. जिला प्रशासन की पहल पर सरकारी जर्जर भवनों को सरकारी राशि से पुस्तकालय भवन बनवा दिया गया, यहां पढ़ने लिखने की व्यवस्था की गई ताकि ग्राम पंचायत के पढ़ने लिखने वाले बच्चे पुस्तकालय भवन में आकर ज्ञान अर्जित कर सकें. लेकिन लोगों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई. धीरे-धीरे इनमें से अधिकांश बंद रहने लगे.
इस वजह से दिक्कतः ईटीवी भारत की टीम ने पंचायतों में बने सामुदायिक पुस्तकालय भवनों का जायजा लिया तो चिंताजनक परिस्थिति सामने आई. अधिकतर पंचायतों में पुस्तकालय बंद मिले, कुछ में पुस्तकालय खुले मिले तो उनमें पुस्तकें नहीं थीं और कई जगह कोई पढ़ने को इच्छुक नहीं दिखा. बच्चों का कहना था कि घर से किताब लाकर पढ़ते हैं, तैयारी करते हैं. कुछ ग्रामीणों का कहना था कि पुस्तकालय कभी-कभी ही खुलता है. कुछ ग्रामीण बच्चों का कहना था कि पुस्तकालय भवन में अंग्रेजी भाषा और उच्च शिक्षा की ही किताबें हैं. छोटे बच्चों के लिए और हिंदी भाषा के लिए पुस्तक नहीं है. इससे उन्हें दिक्कत होती है.
क्या कहते हैं समाजसेवीः जामताड़ा जिले का कर्माटांड़ साइबर अपराधियों का गढ़ माना जाता है. कर्माटांड़ थाना क्षेत्र में अधिकतर पंचायतों में बने सामुदायिक पुस्तकालय को लेकर जब स्थानीय समाजसेवियों से पूछा गया कि तो उनका कहना था कि पुस्तकालय तो बनाया गया लेकिन पुस्तक नहीं है. इससे सरकारी राशि का दुरुपयोग ही हुआ. उन्होंने कहा कि कभी कभार ही खोला जाता है.