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पुरुषों से आगे हैं जामताड़ा की यह महिला किसान, आधुनिक तकनीक से करती हैं खेती

वो दिन कुछ और थे जब महिलाएं खेतों में किसान भाईयों को सिर्फ नाश्ता-खाना पहुंचाया करती थीं. खेत-खलिहान को पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था. क्योंकि खेती करने में शारीरिक श्रम की अत्यधिक आवश्यकता होती थी. लेकिन जामताड़ा की महिलाएं अब इसे गलत साबित कर खुद से खेती कर रही हैं.

जानकारी देती महिला किसान ललिता बास्की
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Published : Feb 4, 2019, 11:58 PM IST

जामताड़ा: वो दिन कुछ और थे जब महिलाएं खेतों में किसान भाईयों को सिर्फ नाश्ता-खाना पहुंचाया करती थीं. खेत-खलिहान को पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था. क्योंकि खेती करने में शारीरिक श्रम की अत्यधिक आवश्यकता होती थी. लेकिन जामताड़ा की महिलाएं अब इसे गलत साबित कर खुद से खेती कर रही हैं.

जानकारी देती महिला किसान ललिता बास्की
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जिले के शहरजोरी गांव की ललिता बास्की ने पॉलिटिकल साइंस में एमए तक की पढ़ाई की है. साधारण से गांव में रहने वाली ललिता पढ़ लिख कर खेती कर रही हैं. खेती कर वो अपनी जिंदगी सवार रही हैं. ललिता की रुचि देखकर झारखंड सरकार ने खेती की नई पद्धति सीखने के लिए उन्हें इजरायल भी भेजा.

ललिता बताती हैं कि इजरायल जाकर उन्हें टपक प्रणाली और ग्रीन हाउस खेती की जानकारी मिली है. ललिता अब इसी पद्धति से अपने गांव में खेती कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस पद्धति से कम पानी में ज्यादा पैदावार किया जा सकता है. अब ललिता ये तकनीक अपने गांव के महिलाओं को भी सिखाती हैं.

जामताड़ा: वो दिन कुछ और थे जब महिलाएं खेतों में किसान भाईयों को सिर्फ नाश्ता-खाना पहुंचाया करती थीं. खेत-खलिहान को पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था. क्योंकि खेती करने में शारीरिक श्रम की अत्यधिक आवश्यकता होती थी. लेकिन जामताड़ा की महिलाएं अब इसे गलत साबित कर खुद से खेती कर रही हैं.

जानकारी देती महिला किसान ललिता बास्की
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जिले के शहरजोरी गांव की ललिता बास्की ने पॉलिटिकल साइंस में एमए तक की पढ़ाई की है. साधारण से गांव में रहने वाली ललिता पढ़ लिख कर खेती कर रही हैं. खेती कर वो अपनी जिंदगी सवार रही हैं. ललिता की रुचि देखकर झारखंड सरकार ने खेती की नई पद्धति सीखने के लिए उन्हें इजरायल भी भेजा.

ललिता बताती हैं कि इजरायल जाकर उन्हें टपक प्रणाली और ग्रीन हाउस खेती की जानकारी मिली है. ललिता अब इसी पद्धति से अपने गांव में खेती कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस पद्धति से कम पानी में ज्यादा पैदावार किया जा सकता है. अब ललिता ये तकनीक अपने गांव के महिलाओं को भी सिखाती हैं.

Intro:महिला किसान भी अब खेती करने में पीछे नहीं है अपने मेहनत और लगन से खेती कर अपना नाम ना गांव और समाज में रोशन कर रही हैं बल्कि दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत भी बन रही है एक रिपोर्ट


Body:अब गांव की महिलाएं पढ़ लिख कर खेती करने में ज्यादा रुचि ले रही हैअब गांव की महिला किसान खेती में पीछे नहीं है पुरुषों की तुलना में अपनी मेहनत और अच्छी लग्न से ना घर गृहस्थीसंभाल रही है बल्कि खेती कर अपने पैर पर खड़ा भी हो रही है जामताड़ा जिले के महिलाएं अब इसमें काफी आगे बढ़ रही हैं जामतारा जिले के शहरजोरी गांव की ललिता बांसकी जो पॉलिटिकल साइंस में m.a. की है लेकिन साधारण से गांव में रहने वाली यह महिला पढ़ लिख कर खेती में ज्यादा रुचि लेती है पहले यह परंपरागत तरीके से खेती करती थी.मेहनत और लगन से अपनी खेती कर न घर संसार चलाती है बल्कि गृहस्थ जीवन भी चलाती है सरकार ने खेती में रुचि को देखते हुए इजराइल भेजा जहां से आधुनिक उन्नत खेती टपक पद्धति से अच्छा खेती करना चाहती हैं ललिता बताती है इजरायल जाकर खेती की अच्छी गुर सिखी टपक पद्धति प्रणाली और ग्रीन हाउस खेती नई तकनीक की जानकारी मिली है जो गांव में अपने घर में अपना कर करना चाहती है वह बताती है कि जो पद्धति से खेती की जाती है कम पानी में ज्यादा पैदावार किया जाता है वह पद्धति से अपने गांव और समाज में महिलाओं को भी सिखाती है और सिखाएगी भी ताकि वह एक महिला किसान बन सके और घर में ही रहकर अपनी अच्छी उपज पैदावार कर कम पानी में ज्यादा उत्पादन कर सके ललिता बताती है कि पहले परंपरागत तरीके से खेती करते थी अब वह इजराइल में जो टपक पद्धति किसान द्वारा खेती की जाती है वह पद्धति से खेती करेगी जिससे वह ज्यादा उसके लाभ मिलेगा

बाईट महिला किसान ललिता बासकी


Conclusion:आपको बता दें जामताड़ा जिले से चार महिला किसान को अच्छे नई तकनीक किसान के खेती कि प्रशिक्षण और नई तकनीक जानकारी सीखने के लिए इजराइल भेजा गया था जिन महिलाओं को इजराइल खेती की नई तकनीक की खेती जानकारी के लिए भेजा गया था नाम श्रीमती सलोनी हेंब्रम श्रीमती ललिता बास्की देवासी बेसरा और कर्मी देवी है इन चारों महिलाओं में एक महिला पहाड़िया महिला है जो खेती कर अपना गृहस्थ जीवन चलाती है

संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
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