जामताड़ा: वो दिन कुछ और थे जब महिलाएं खेतों में किसान भाईयों को सिर्फ नाश्ता-खाना पहुंचाया करती थीं. खेत-खलिहान को पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता था. क्योंकि खेती करने में शारीरिक श्रम की अत्यधिक आवश्यकता होती थी. लेकिन जामताड़ा की महिलाएं अब इसे गलत साबित कर खुद से खेती कर रही हैं.
जिले के शहरजोरी गांव की ललिता बास्की ने पॉलिटिकल साइंस में एमए तक की पढ़ाई की है. साधारण से गांव में रहने वाली ललिता पढ़ लिख कर खेती कर रही हैं. खेती कर वो अपनी जिंदगी सवार रही हैं. ललिता की रुचि देखकर झारखंड सरकार ने खेती की नई पद्धति सीखने के लिए उन्हें इजरायल भी भेजा.
ललिता बताती हैं कि इजरायल जाकर उन्हें टपक प्रणाली और ग्रीन हाउस खेती की जानकारी मिली है. ललिता अब इसी पद्धति से अपने गांव में खेती कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस पद्धति से कम पानी में ज्यादा पैदावार किया जा सकता है. अब ललिता ये तकनीक अपने गांव के महिलाओं को भी सिखाती हैं.