जामताड़ा: कोरोना के संकट काल में प्रवासी मजदूरों की आने का सिलसिला जारी है. मजदूरों को रोजगार दिलाने और उनके हक को लेकर श्रम विभाग का दायित्व जहां ज्यादा बढ़ जाता है वहीं, जामताड़ा का श्रम विभाग का हाल बेहाल है. यहां के कर्मचारी और अधिकारी कार्यालय के मेन गेट पर ताला लगाकर अंदर बैठते हैं, जिससे बाहर से आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जामताड़ा के श्रम विभाग कार्यालय का इन दिनों हाल यह है कि बाहर से आने वाले लोगों को यह पता ही नहीं चलता है कि यह सरकारी कार्यालय है निजी मकान. यहां के अधिकारी हमेशा कार्यालाय के मेन गेट को बंद किए रहते हैं. इस कार्यालय के बाहर ना तो कोई सरकारी बोर्ड लगा है और ना ही किसी तरह के कोई सूचना लिखा हुआ है. जिसके कारण बाहर से आए लोगों को भटकना पड़ता है. इस कार्यालय में जब ईटीवी भारत की टीम पड़ताल के लिए गई तो वहां के बड़ा बाबू ने कार्यालय खोला और अपनी कई निजी कारणों का हवाला देते हुए अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश की.
कार्यालय के बाहर श्रम विभाग का बोर्ड तक नहीं
कहने के लिए यह श्रम विभाग का कार्यालय है, लेकिन कहीं भी श्रम विभाग कार्यालय लिखा हुआ एक बोर्ड तक नहीं लगा है. श्रम विभाग का कार्यालय किसी अजनबी को ढूंढना पड़े तो वह भी भटक जाएगा कि आखिर जामताड़ा श्रम विभाग कार्यालय कहां है. अगर किसी तरह कार्यालय पहुंच भी जाता है तो उसको यह विश्वास नहीं होगा कि यह सरकारी कार्यालय है या किसी का निजी मकान.
ईटीवी भारत की टीम की पड़ताल
ईटीवी भारत की टीम जब श्रम विभाग कार्यालय की इस लापरवाही को जानने के लिए पड़ताल करने की सोची तो काफी मुश्किल से कार्यालय का पता चला. जब वहां ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो कार्यालय के मुख्य गेट पर ताला लटका हुआ था. आवाज लगाने पर अंदर से एक व्यक्ति लूंगी और सर्ट में बाहर निकला. पुछने पर उसने बताया कि वह इस कार्यालय का बड़ा बाबू है. वहीं, अंदर से ताला बंद रखने की बात पर उन्होंने बताया कि गेट खुला रखने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है. बड़ा बाबू ने बताया कि कार्यालय को ही आवास बनाकर वे वहां रहते हैं. इस कार्यालय में और कोई पदाधिकारी नहीं रहता है. यहां एक लेवर इंस्पेक्टर और एक कर्मचारी हैं जो दूसरे जगह प्रतिनियुक्त है.
क्या कहते हैं जामताड़ा उपायुक्त
इस बारे में जब जामताड़ा उपायुक्त गणेश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने इस व्यवस्था के लिए नाराजगी जताई. कोरोना के संकट काल में श्रम विभाग का सहयोग नहीं मिलने पर उपायुक्त ने कर्मचारियों को व्यस्त रहने के कारण ऐसी स्थिति होने की बात कही. उपायुक्त ने बताया कि श्रम विभाग में कोई पदाधिकारी है ही नहीं. ऐसे में जो काम होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है. लॉकडाउन और कोरोना संकट काल में जहां प्रवासी मजदूर को रोजगार देने के साथ-साथ उनकी हक को लेकर श्रम विभाग का दायित्व जहां बढ़ जाता है, वहां, जामताड़ा का श्रम विभाग खुद उपेक्षित पड़ा हुआ है.