जामताड़ाः अल्पसंख्यक बहुल गांवों के सरकारी विद्यालयों में उर्दू लिखने और शुक्रवार को अवकाश का मामला तूल पकड़ा है. यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि वित्तीय अनियमितता सामने आया है. दरअसल, कोरोना काल में बच्चों को मिड डे मील की राशि देना है. लेकिन विद्यालय प्रबंधन ने निर्धारित राशि से कम रुपये का वितरण किया है.
यह भी पढ़ेंः मिड-डे-मील में मिली छिपकली, खाना खाने से 30 बच्चों की हालत बिगड़ी
कोरोना काल में स्कूल बंद थे. लेकिन सरकार ने स्कूल बंद होने के बावजूद मिड डे मील योजना को चालू रखा. इस योजना के तहत बच्चों को निर्धारित राशि विद्यालय प्रबंधन को मुहैया करना है. प्रखंड विकास पदाधिकारी ने स्कूल स्तर पर विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया. लेकिन तय राशि बच्चों के बीच वितरण नहीं किया गया. यह मामला उत्क्रमित मध्य विद्यालय बरियारपुर का है.
अभिभावक ने बताया कि जिस बच्चे को 1500 रुपये मिलना था, उसे 1000 रुपये और जिन्हें 1200 रुपये मिलना था, उन्हें 800 रुपये दिया गया. विद्यालय प्रबंधन के साथ बैठक में निर्णय कुछ होता है और क्रियान्वयन कुछ और होता है. समिति के लोगों ने मिड डे मील राशि में घोटाला किया है. इसकी जांच होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि स्कूल में मध्याह्न भोजन की क्वालिटी निम्म होती है. यह भोजन बच्चा खा भी नहीं पाता है.
बताया जाता है कि जामताड़ा में 1000 से अधिक प्राथमिक विद्यालय है. कोरोना काल में विद्यालय बंद रहने के बावजूद बच्चों को मध्याह्न भोजन की राशि विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में भेजा गया, ताकि बच्चों के बीच निर्धारित राशि वितरण किया जा सके. लेकिन मध्य विद्यालय बरियारपुर के प्रबंध समिति के अध्यक्ष ने बच्चों के बीच निर्धारित राशि वितरण नहीं किया.