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जामताड़ा के दुखिया बाबा मंदिर में भक्तों की भीड़, होती हैं सारी मान्यताएं पूरी!

जामताड़ा में बराकर नदी स्थित दुखिया बाबा मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई. नए साल के स्वागत और अपने परिवार की खुशियों के लिए लोग दुखिया बाबा के दरबार में पहुंच कर मत्था टेक रहे, मान्यता है कि दुखिया बाब अपने भक्तों के दुख हर लेते हैं.

New Year in jamtara
दुखिया बाबा मंदिर
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Published : Jan 2, 2020, 10:11 AM IST

जामताड़ा: जिले के नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत बराकर नदी करमदाहा घाट स्थित प्रमुख धार्मिक स्थल दुखिया बाबा मंदिर है. जो आस्था का प्रतीक है. यहां दूरदराज से लोग आकर पूजा अर्चना करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं.

देखें पूरी खबर

जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बराकर नदी के किनारे करमदाहा घाट स्थित प्रमुख धार्मिक स्थल दुखिया बाबा मंदिर है. माना जाता है कि दुखिया बाबा अपने भक्तों का दुख हरण कर लेते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे दिल से मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती हैं.

ये भी पढ़ें- झामुमो का दावा: हड़बड़ी में किया गया नई असेंबली बिल्डिंग का उद्घाटन, अभी तक नहीं हुआ है हैंड ओवर

दुखिया बाबा का मंदिर कब बना, दुखिया बाबा कैसे प्रकट हुए कहना कठिन है, लेकिन श्रद्धालुओं का कहना है कि दुखिया बाबा दुखों का हरण करने वाले बाबा हैं. वो अपने भक्तों का दुख हर कर लेते हैं. इसलिए इन्हें दुखिया बाबा के नाम से जाना जाता है. यही कारण है कि धनबाद, गिरिडीह, देवघर और जामताड़ा के आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. पूर्णिमा अमावस्या को काफी संख्या में श्रद्धालु दुखिया बाबा के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और यहां पूजा करने पहुंचते हैं.

बराकर नदी के किनारे स्थित रहने के कारण यहां न सिर्फ श्रद्धालु बाबा का दर्शन करने पहुंचते हैं, बल्कि पूस माह में मनोरम दृश्य होने के कारण पिकनिक मनाने भी काफी संख्या में आते हैं. सैलानी बाबा के मंदिर में पूजा अर्चना दर्शन करते हैं. इसके साथ ही परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पिकनिक भी मनाते हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर 14 दिन का मेला भी लगता है. जहां सभी धर्म संप्रदाय के लोग मेला में खरीदारी करते हैं और आनंद भी लेते हैं.

जामताड़ा: जिले के नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत बराकर नदी करमदाहा घाट स्थित प्रमुख धार्मिक स्थल दुखिया बाबा मंदिर है. जो आस्था का प्रतीक है. यहां दूरदराज से लोग आकर पूजा अर्चना करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं.

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जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बराकर नदी के किनारे करमदाहा घाट स्थित प्रमुख धार्मिक स्थल दुखिया बाबा मंदिर है. माना जाता है कि दुखिया बाबा अपने भक्तों का दुख हरण कर लेते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे दिल से मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती हैं.

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दुखिया बाबा का मंदिर कब बना, दुखिया बाबा कैसे प्रकट हुए कहना कठिन है, लेकिन श्रद्धालुओं का कहना है कि दुखिया बाबा दुखों का हरण करने वाले बाबा हैं. वो अपने भक्तों का दुख हर कर लेते हैं. इसलिए इन्हें दुखिया बाबा के नाम से जाना जाता है. यही कारण है कि धनबाद, गिरिडीह, देवघर और जामताड़ा के आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. पूर्णिमा अमावस्या को काफी संख्या में श्रद्धालु दुखिया बाबा के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और यहां पूजा करने पहुंचते हैं.

बराकर नदी के किनारे स्थित रहने के कारण यहां न सिर्फ श्रद्धालु बाबा का दर्शन करने पहुंचते हैं, बल्कि पूस माह में मनोरम दृश्य होने के कारण पिकनिक मनाने भी काफी संख्या में आते हैं. सैलानी बाबा के मंदिर में पूजा अर्चना दर्शन करते हैं. इसके साथ ही परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पिकनिक भी मनाते हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर 14 दिन का मेला भी लगता है. जहां सभी धर्म संप्रदाय के लोग मेला में खरीदारी करते हैं और आनंद भी लेते हैं.

Intro:जामताङा: जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत बराकर नदी करमदाहा घाट स्थित है प्रमुख धार्मिक स्थल दुखिया बाबा मंदिर ।जो आस्था का प्रतीक है ।दूरदराज से लोग श्रद्धालु यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं।


Body:जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत बढ़ाकर नदी किनारे करमदाहा घाट स्थित है प्रमुख धार्मिक स्थल दुखिया बाबा के नाम से प्रसिद्ध दुखिया बाबा मंदिर ।सबो का दुख का हरण करने वाले बाबा हैं। ऐसी मान्यता और कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से दुखिया बाबा के मंदिर में अपनी मन्नतें मांगते हैं। बाबा उसकी दुख को दूर करते हैं और की मनोकामना पूरी करते हैं। स्थानीय श्रद्धालु बताते हैं कि दुखिया बाबा मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से अपनी मन्नतें मांगते हैं दुखिया बाबा उसे पूरा करते हैं।

बाईट श्रद्धालु

V2 दुखिया बाबा का मंदिर कब बना दुखिया बाबा कैसे प्रकट हुए कहना कठिन है। लेकिन श्रद्धालु और भक्तों का कहना है। दुखिया बाबा मंदिर दुखों का हरण करने वाले बाबा हैं। अपने भक्तों का दुख का हरण कर लेते हैं। इसलिए इन्हें दुखिया बाबा के नाम से जानते हैं। यही कारण है कि धनबाद गिरिडीह देवघर जामताड़ा आसपास क्षेत्र से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं ।पूर्णिमा अमावस्या को काफी संख्या में श्रद्धालु दुखिया बाबा के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और यहां पूजा करने पहुंचते हैं ।


बाईट स्थानीय निवासी


Conclusion:बराकर नदी किनारे स्थित रहने के कारण यहां न सिर्फ श्रद्धालु बाबा का दर्शन करने पहुंचते हैं ।बल्कि पूष माह में मनोरम दृश्य होने के कारण पिकनिक मनाने भी काफी संख्या में आते हैं। सैलानी बाबा के मंदिर में पूजा अर्चना दर्शन करते हैं। बल्कि पिकनिक भी मनाते हैं ।मकर संक्रांति के दिन 14 दिन का मेला भी लगता है। जहां सभी धर्म संप्रदाय के लोग मेला में खरीदारी करते हैं और आनंद भी लेते हैं।

संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
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