जामताड़ाः जिले के नाला प्रखंड में काजू की खेती होती है. यहां करीब 50 एकड़ में काजू का बागान है. हर साल यहां बड़े पैमाने पर काजू का उत्पादन होता है. स्थानीय लोग कच्चे काजू को औने-पौने भाव में बेच देते हैं.
काजू बागान की बंदोबस्ती के लिए सरकार इसे 3 साल के लिए ठेके पर देती है, वो भी मात्र 3 लाख रुपए में. कम समय की वजह से ठेकेदार पेड़ों की सही देखभाल नहीं करते और काजू की चोरी से भी पैदावार पर असर होता है. इसके बावजूद हर साल 50 से 60 क्विंटल काजू का उत्पादन होता है. जिले में प्रोसेसिंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण कच्चे काजू को पश्चिम बंगाल भेज दिया जाता है. ठेकेदार कच्चे काजू को डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो के भाव से बेच देते हैं और प्रोसेसिंग के बाद इसी काजू की कीमत कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है.
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सरकार से लोगों को उम्मीद
स्थानीय लोगों की मानें तो सरकार की मेहरबानी लोगों की जिंदगी बदल सकती है. ग्रामीणों के अनुसार यहां काजू के करीब 35000 पौधे हैं लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट और उचित देखभाल नहीं होने के कारण लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इस ओर ध्यान दिया जाए तो यह क्षेत्र काजू नगरी बन सकता है.
ईटीवी की पहल पर जागा प्रशासन
जामताड़ा में काजू की खेती बड़े पैमाने पर होती है. काजू की खेती से रोजगार कर अच्छी आमदनी भी प्राप्त किया जा सकता है लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है. प्रशासन ने काजू बागान को विकसित करने और यहां प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के कोशिश कई बार की लेकिन नतीजा सिफर रहा. ईटीवी भारत की पहल पर जिले के उपायुक्त गणेश कुमार ने काजू बागान का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि वे प्रोसेसिंग प्लांट लगाने और काजू की पैदावार बढ़ाने को लेकर बेहतर प्रयास करेंगे.
जामताड़ा में काजू की खेती की अपार संभावनाएं है. प्रोसेसिंग प्लांट लगने से यहां के लोगों को न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि काजू उत्पादन में झारखंड का नाम भी देशभर में जाना जाएगा.