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जामताड़ा: जिले की 8 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं ठप, नागरिक बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे

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Published : Aug 19, 2020, 4:02 AM IST

Updated : Sep 16, 2020, 1:25 PM IST

जामताड़ा जिला में बड़ी आबादी तक पाइप लाइन से जलापूर्ति के लिए ग्रामीण जलापूर्ति योजना शुरू की गई थी, लेकिन मामूली फॉल्ट के कारण जिले की 8 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं सालों से ठप पड़ी हुई हैं. कहीं पर जल मीनार चालू नहीं हो सकी तो कहीं पर आधा-अधूरा ही काम हुआ है.

8 rural water supply schemes stalled in jamtara
जल मीनार

जामताड़ा: जिले के लोगों को प्यास बुझाने के लिए अधिकांश ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं सालों से ठप पड़ी हुईं हैं. ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और न ही जलापूर्ति योजना से पानी की आपूर्ति हो रही है. लाखों रुपए से सालों पहले बनी जल मीनार बेकार हैं. जामताड़ा जिला में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर पानी के नाम पर पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं, पर पानी की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल पा रहा है.

देखें पूरी खबर

करोड़ों की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं एवं शहरी जलापूर्ति योजनाएं बनाई गईं हैं, जिसमें से अधिकतर या तो बंद पड़ी हैं या पूरी तरह से लोगों को प्यास बुझाने में सफल नहीं हो पा रही हैं. नतीजा यह है कि आज भी लोगों को कुआं, चापाकल और तालाब पर पानी के लिए निर्भर रहना पड़ता है.

बेवाश गांव में पिछले 4 सालों से ग्रामीण जलापूर्ति बंद

जामताड़ा के बेवाश गांव जहां करोड़ों की लागत से जल मीनार बनाई गई, लेकिन विगत 4 सालों से जल मीनार से ग्रामीणों को जलापूर्ति नहीं हो रही है. नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण जनता को पानी के लिए तरसना पड़ता है. दूरदराज से लोगों को पानी लाने के लिए भटकना पड़ता है.

जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस गांव में जलापूर्ति योजना का शुभारंभ किया था. उस समय लोगों को लगा था कि अब उनके गांव में पानी की समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन कुछ दिन तक पानी आपूर्ति तो हुई, उसके बाद यह योजना ठप पड़ गई. गांव की जनता का कहना है कि 4 साल से जल मीनार से पानी ठप है. पानी नहीं मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है.

नारायणपुर में 15 सालों से जलापूर्ति ठप

जामताड़ा के बिंदापत्थर गेड़ियां के अलावा नारायणपुर और फतेहपुर प्रखंड में भी करोड़ों की योजनाएं से बनी जल मीनार शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. लगभग यही हाल जामताड़ा जिले के अन्य ग्रामीण प्रखंडों का है, जहां पेयजल स्वच्छता विभाग की ओर से करोड़ों की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जल मीनार तो बना दी गईं हैं, लेकिन अब किसी काम के लायक नहीं है. नारायणपुर प्रखंड में विगत 15 वर्षों से जलापूर्ति योजना के तहत करोड़ों की लागत से जल मीनार तो बना दी गईं हैं, लेकिन आज तक लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला है. ऐसा ही हाल फतेहपुर प्रखंड का भी है.

फतेहपुर प्रखंड का का हाल बेहाल

करोड़ों की लागत से सरकार की ओर से पानी के नाम पर जल मीनार तो बना दिया गया, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी इन योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिल रहा है. सरकार के अधिकारी सिर्फ नई-नई योजनाओं के जरिए निविदा प्रक्रिया का खेल कर रहे हैं. अभी भी कई क्षेत्रों में जल मीनार का निर्माण काम कराया जा रहा है.

एक योजना सफल भी नहीं हुई कि दूसरा योजना का खेल शुरू कर दिया जाता है. फतेहपुर प्रखंड के जनता जल मीनार से पानी न मिलने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं भाजपा के लोग इसे लूट-खसोट का खेल बता रहे हैं. फतेहपुर की जनता का कहना है कि फतेहपुर प्रखंड में करोड़ों की लागत से जल मीनार तो बनाई गई है. दो टंकी का भी निर्माण किया गया, लेकिन आज तक उन्हें पानी नसीब नहीं हुआ और दूसरी योजना शुरू कर दी गई है.

इसे भी पढ़ें- जनजातीय कार्य समेत अन्य मंत्रालयों की बैठक, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर हुई चर्चा

8 जलापूर्ति योजनाएं ठप

जामताड़ा में कुल 8 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं बंद पड़ी हैं, जिससे जलापूर्ति ठप है. इसका लाभ ग्रामीण जनता को नहीं मिल पाता है. इसके अलावा सोलर पाइप जलापूर्ति योजना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लगाई गई हैं. ये भी अधिकांश बंद पड़ी हैं. संबंधित विभाग फिर से चालू कराने की दिशा में क्या पहल कर रही है, यह भी स्पष्ट नहीं है. इसके नाम पर दूसरी योजना के तहत निविदा प्रक्रिया का खेल जारी है.

जामताड़ा: जिले के लोगों को प्यास बुझाने के लिए अधिकांश ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं सालों से ठप पड़ी हुईं हैं. ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और न ही जलापूर्ति योजना से पानी की आपूर्ति हो रही है. लाखों रुपए से सालों पहले बनी जल मीनार बेकार हैं. जामताड़ा जिला में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर पानी के नाम पर पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं, पर पानी की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल पा रहा है.

देखें पूरी खबर

करोड़ों की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं एवं शहरी जलापूर्ति योजनाएं बनाई गईं हैं, जिसमें से अधिकतर या तो बंद पड़ी हैं या पूरी तरह से लोगों को प्यास बुझाने में सफल नहीं हो पा रही हैं. नतीजा यह है कि आज भी लोगों को कुआं, चापाकल और तालाब पर पानी के लिए निर्भर रहना पड़ता है.

बेवाश गांव में पिछले 4 सालों से ग्रामीण जलापूर्ति बंद

जामताड़ा के बेवाश गांव जहां करोड़ों की लागत से जल मीनार बनाई गई, लेकिन विगत 4 सालों से जल मीनार से ग्रामीणों को जलापूर्ति नहीं हो रही है. नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण जनता को पानी के लिए तरसना पड़ता है. दूरदराज से लोगों को पानी लाने के लिए भटकना पड़ता है.

जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस गांव में जलापूर्ति योजना का शुभारंभ किया था. उस समय लोगों को लगा था कि अब उनके गांव में पानी की समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन कुछ दिन तक पानी आपूर्ति तो हुई, उसके बाद यह योजना ठप पड़ गई. गांव की जनता का कहना है कि 4 साल से जल मीनार से पानी ठप है. पानी नहीं मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है.

नारायणपुर में 15 सालों से जलापूर्ति ठप

जामताड़ा के बिंदापत्थर गेड़ियां के अलावा नारायणपुर और फतेहपुर प्रखंड में भी करोड़ों की योजनाएं से बनी जल मीनार शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. लगभग यही हाल जामताड़ा जिले के अन्य ग्रामीण प्रखंडों का है, जहां पेयजल स्वच्छता विभाग की ओर से करोड़ों की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जल मीनार तो बना दी गईं हैं, लेकिन अब किसी काम के लायक नहीं है. नारायणपुर प्रखंड में विगत 15 वर्षों से जलापूर्ति योजना के तहत करोड़ों की लागत से जल मीनार तो बना दी गईं हैं, लेकिन आज तक लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला है. ऐसा ही हाल फतेहपुर प्रखंड का भी है.

फतेहपुर प्रखंड का का हाल बेहाल

करोड़ों की लागत से सरकार की ओर से पानी के नाम पर जल मीनार तो बना दिया गया, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी इन योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिल रहा है. सरकार के अधिकारी सिर्फ नई-नई योजनाओं के जरिए निविदा प्रक्रिया का खेल कर रहे हैं. अभी भी कई क्षेत्रों में जल मीनार का निर्माण काम कराया जा रहा है.

एक योजना सफल भी नहीं हुई कि दूसरा योजना का खेल शुरू कर दिया जाता है. फतेहपुर प्रखंड के जनता जल मीनार से पानी न मिलने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं भाजपा के लोग इसे लूट-खसोट का खेल बता रहे हैं. फतेहपुर की जनता का कहना है कि फतेहपुर प्रखंड में करोड़ों की लागत से जल मीनार तो बनाई गई है. दो टंकी का भी निर्माण किया गया, लेकिन आज तक उन्हें पानी नसीब नहीं हुआ और दूसरी योजना शुरू कर दी गई है.

इसे भी पढ़ें- जनजातीय कार्य समेत अन्य मंत्रालयों की बैठक, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर हुई चर्चा

8 जलापूर्ति योजनाएं ठप

जामताड़ा में कुल 8 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं बंद पड़ी हैं, जिससे जलापूर्ति ठप है. इसका लाभ ग्रामीण जनता को नहीं मिल पाता है. इसके अलावा सोलर पाइप जलापूर्ति योजना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लगाई गई हैं. ये भी अधिकांश बंद पड़ी हैं. संबंधित विभाग फिर से चालू कराने की दिशा में क्या पहल कर रही है, यह भी स्पष्ट नहीं है. इसके नाम पर दूसरी योजना के तहत निविदा प्रक्रिया का खेल जारी है.

Last Updated : Sep 16, 2020, 1:25 PM IST
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