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लोगों के मनोरंजन के लिए कूद जाते हैं 'मौत के कुएं' में, इनकी कहानी में रोमांच से ज्यादा है जोखिम

यूं तो 'मौत का कुआं' सालों से ही आर्कषण का केंद्र रहा है. इसे देखने वाले दर्शक जिस रोमांच को महसूस करते हैं, उस रोमांच को जीने का खतरा कुछ लोग उठाते है. ऐसा ही कुछ इन दिनों हजारीबाग के जगन्नाथ रथ मेले में देखने को मिल रहा है. करतब करने वाले युवकों को देख हर किसी की सांसे थम जाती है.

मौत के कुएं में करतब दिखाते युवक
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Published : Jul 6, 2019, 3:20 PM IST

हजारीबागः इन दिनों हजारीबाग के सिलवार पहाड़ में जगन्नाथ रथ मेला का आयोजन किया गया है. जहां तरह-तरह के झूले लगे हुए हैं. इन सब के बीच सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र मौत का कुआं बना हुआ है. जहां 5 लड़के हर रोज मौत का सफर तय करते हैं. वो भी बस दो वक्त की रोटी के लिए.

देखें पूरी खबर

कुछ रुपयों के लिए हर दिन ये युवक मौत के कुएं में उतरते हैं और करतब दिखाते हैं. जान जोखिम में डाल जब लड़के कार और बाइक दौड़ते हैं, तो लोगों की सांस थम जाती है. जब तक गाड़ी और मोटरसाइकिल नीचे नहीं उतरती है लोगों की सांस भी ऊपर नीचे होती रहती है. मौत के कुएं में करतब दिखाने वाले कहते हैं कि जब वे इसमें उतरते हैं तो ऊपर वाले से दुआ करते हैं कि सही सलामत बाहर निकल जाए.

उनका कहना है कि ये उनकी मजबूरी है जिस वजह से जान जोखिम में डाल कर करतब दिखा रहे हैं. भरा पूरा परिवार होने की वजह से करतब दिखाना उनकी मजबूरी है. इससे परिवार चलाने के लिए पैसें मिल जाते हैं. उनका कहना है कि धीरे-धीरे खुद से ट्रेनिंग लेने के बाद आज इस जगह पर पहुंचे है कि मौत के कुएं में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी दौड़ाते हैं.

ये भी पढ़ें-बिहार के बाद अब झारखंड में भी चमकी बुखार का कहर, एक बच्चे की मौत

वे कहते हैं कि जब तक शादी नहीं होती वे ये करतब दिखाते रहेंगे. शादी के बाद परिवार बढ़ेगी और उसकी जिम्मेदारियां भी. करतब दिखाने वाले कहते है कि जब लोगों की वाहवाही और तालियों की गड़गड़ाहट सुनने को मिलती है तो दिल को सुकून मिलता है. वे कहते हैं कि इस कुएं में एक गलती हुई तो उसकी कोई माफी नहीं है. इसका खामियाजा जान देकर ही पूरा किया जा सकता है.

हजारीबागः इन दिनों हजारीबाग के सिलवार पहाड़ में जगन्नाथ रथ मेला का आयोजन किया गया है. जहां तरह-तरह के झूले लगे हुए हैं. इन सब के बीच सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र मौत का कुआं बना हुआ है. जहां 5 लड़के हर रोज मौत का सफर तय करते हैं. वो भी बस दो वक्त की रोटी के लिए.

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कुछ रुपयों के लिए हर दिन ये युवक मौत के कुएं में उतरते हैं और करतब दिखाते हैं. जान जोखिम में डाल जब लड़के कार और बाइक दौड़ते हैं, तो लोगों की सांस थम जाती है. जब तक गाड़ी और मोटरसाइकिल नीचे नहीं उतरती है लोगों की सांस भी ऊपर नीचे होती रहती है. मौत के कुएं में करतब दिखाने वाले कहते हैं कि जब वे इसमें उतरते हैं तो ऊपर वाले से दुआ करते हैं कि सही सलामत बाहर निकल जाए.

उनका कहना है कि ये उनकी मजबूरी है जिस वजह से जान जोखिम में डाल कर करतब दिखा रहे हैं. भरा पूरा परिवार होने की वजह से करतब दिखाना उनकी मजबूरी है. इससे परिवार चलाने के लिए पैसें मिल जाते हैं. उनका कहना है कि धीरे-धीरे खुद से ट्रेनिंग लेने के बाद आज इस जगह पर पहुंचे है कि मौत के कुएं में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी दौड़ाते हैं.

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वे कहते हैं कि जब तक शादी नहीं होती वे ये करतब दिखाते रहेंगे. शादी के बाद परिवार बढ़ेगी और उसकी जिम्मेदारियां भी. करतब दिखाने वाले कहते है कि जब लोगों की वाहवाही और तालियों की गड़गड़ाहट सुनने को मिलती है तो दिल को सुकून मिलता है. वे कहते हैं कि इस कुएं में एक गलती हुई तो उसकी कोई माफी नहीं है. इसका खामियाजा जान देकर ही पूरा किया जा सकता है.

Intro:जिंदगी के लिए हर रोज तय करता है मौत का सफर ,जोखिम भरे करतब देख कर थम जाती है हर की सांसे।


Body:पेट की आग इंसान को क्या-क्या नहीं कराती है ।इस आग को बुझाने के लिए वह अपने जान पर भी खेलने से परहेज नहीं करता। जब मौत के कुएं में रफ्तार से कार और बाइक दौड़ाए और जान हथेली पर रखकर करतब दिखाए तो अब क्या कहेंगे।

इन दिनों हजारीबाग के सिलवार पहाड़ में जगन्नाथ रथ मेला का आयोजन किया गया है ।जहां तरह तरह के झूले लगे हुए हैं। लेकिन सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र मौत का कुआं है। जहां पांच लड़के हर रोज मौत का सफर करते हैं वह भी दो वक्त की रोटी के लिए। मौत का कुआं का मुख्य उद्देश्य आजीविका है। चंद रुपए के लिए हर रोज मौत की कुएं में युवा उतरते हैं और करतब दिखाते हैं ।उनके जान पर जोखिम का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब लड़के कार और बाइक दौड़ते हैं तो लोगों की सांस थम जाती है और जब तक गाड़ी और मोटरसाइकिल नीचे नहीं उतरती है लोगों की सांस भी ऊपर नीचे होती रहती है।

मौत का कुआं में करतब दिखाने वाले कहते हैं कि जब मौत की कुएं में उतरते हैं तो ऊपर वाले से दुआ करते हैं कि सही सलामत वहां से बाहर निकले। उनका कहना है कि यह मजबूरी है कि हम लोग करतब दिखाते हैं वह भी जान जोखिम में डालकर ।उनका कहना है कि भरा पूरा परिवार होने के बाद भी वह ऐसी करतब दिखाने को बेबस है। क्योंकि परिवार चलाने के लिए पैसा की जरूरत होती है और रोजगार नहीं मिलने के कारण वह ऐसा स्टंट दिखाते हैं ।उनका कहना है कि धीरे-धीरे खुद से ट्रेनिंग लेने के बाद आज इस जगह पर पहुंचे है की मौत की कुएं में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी दौड़ते हैं। लेकिन करतब दिखाने वाले यह भी कहते कि जब तक शादी नहीं हुई है तब तक करतब दिखाएंगे क्योंकि इसमें मौत का डर होता है।शादी होने के बाद परिवार बढ़ेगी और उसकी जिम्मेवारी भी। ऐसे में यही प्लेटफॉर्म नहीं होगा ।वही करतब दिखाने वाले यह भी कहते हैं कि जब लोगों की वाहवाही और ताली की गड़गड़ाहट सुनने को मिलती है तो दिल को सुकून मिलता है।

byte... मास्टर राजू मौत की कुआं में करतब दिखाने वाला


Conclusion:मौत के कुए के सफर करने वाले यह भी कहते हैं कि इस कुएं में एक भी गलती की तो उसकी कोई माफी नहीं है। उसका खामियाजा जान देकर ही पूरा किया जा सकता है ।ऐसे में उनका कहना भी है कि इस तरह की करतब मे लोग ना आए।
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