हजारीबागः लोकगीत भारतीय संस्कृति की परिचायक है. जीवन के हर एक मोड़ पर लोकगीतों की अपनी पहचान रही है. दो दिन से हजारीबाग में मूसलाधार बारिश हो रही है. बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौटा दिया. इसी मुस्कान के बीच ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं लोकगीत गाते हुए धान रोप रही हैं.
खुशी के पलों को लोकगीत और भी खुशनुमा बना देते हैं. धीरे-धीरे लोकगीत का प्रचलन भी कम होता जा रहा है. फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं लोकगीत गुनगुनाती नजर आती हैं. हालांकि लोकगीत अब पहले जैसी सुनाई नहीं देती है. माना जाता है कि लोकगीत में वह शक्ति है कि ऊपर वाला भी दुआ कबूल करता है. इन दिनों हजारीबाग के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं लोकगीत गाकर इंद्र देव को खुश करने का प्रयास कर रही हैं.
पिछले 2 सालों से हजारीबाग में अच्छी बारिश नहीं हुई. जिसके कारण किसान काफी परेशान हैं. ऐसे में जब इस बार बारिश हुई तो महिलाओं ने खेतों में पानी पड़ने के साथ ही बुआई का काम शुरू कर दिया है. इसी दौरान वे गीत गाती दिखीं.
जानिए इन गीतों का मतलब
इन गीतों का मतलब है कि हमारा भाई पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण दिशा से आया है और खेती का काम कर रहा है. यह खेती अगर अच्छी नहीं होगी तो हमारा जीवन नहीं चलेगा. हमारे जीवन को चलाने के लिए आप वर्षा के रूप में आएं और खेतों में जगह पाएं. जिससे अच्छी बारिश से खेती हो सके.
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महिलाएं कहती हैं कि पहले की तुलना में अब लोकगीत की परंपरा भी कम हो रही है. लोकगीत गाने से ईश्वर भी खुश होते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं. उन्होंने कहा कि वे मनोकामना करती हैं कि हजारीबाग में अच्छी बारिश हो. जिससे फसल अच्छी हो और साल भर का अनाज अपने घर में भंडार कर सके. खेती में लगे पुरुष भी कहते हैं कि महिलाएं लोकगीत गा कर भगवान को खुश कर रही हैं.