हजारीबागः इंडियन आर्मी पर देश की शान है. जिन्होंने हमारी सीमा की रक्षा और आंतरिक मसलों से बखूबी निपटने में निपुणता दिखाई है. अलग-अलग बटालियन की अलग-अलग खासियत है. लेकिन सबसे दुनिया की मशहूर और घातक है कमांडो फोर्स. अलग-अलग कैटेगरी में इसकी ट्रेनिंग होती है. कभी पुरुषों का दबदबा वाले इस फोर्स में महिलाएं भी कमांडो की ट्रेनिंग (Commando Training) ले रही हैं.
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भारत की आर्मी फोर्स भारतीयों के लिए गौरव का हिस्सा है. हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर सेना अपनी ताकत का नमुना पूरे दुनिया के सामने रखती है. भारत के आर्मी फोर्स में कमांडो का विशेष महत्व है, जो दुनिया की खतरनाक और मशहूर फोर्स में शामिल है. कमांडो को भी अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है. जो अलग-अलग क्षेत्र में महारत हासिल करती हैं. कमांडो फोर्स की बेसिक ट्रेनिंग इन दिनों हजारीबाग के मेरु बीएसएफ कैंप में दिया जा रहा है.
ऐसे तो हजारीबाग का नाम पूरे देश भर में ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. इसके अलावा भी हजारीबाग की विशेष पहचान यहां की बीएसएफ मेरु ट्रेनिंग सेंटर के लिए भी है. इन दिनों हजारीबाग के मेरु स्थित बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर (Meru BSF Training Center) में देश का सबसे महत्वपूर्ण, खतरनाक और मशहुर कमांडो फोर्स की ट्रेनिंग चल रही है.
इस ट्रेनिंग कैंप में लगभग 50 जवानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. पदाधिकारियों का भी कहना है कि यह एक बहुत बड़ी ट्रेनिंग होती है. हमारे पास बहुत बड़ी संख्या में बल है, पर सभी की ट्रेनिंग कमांडो के लिए नहीं होता है. उनका फिजिकल फिटनेस और इंटरेस्ट भी देखा जाता है. यह एक विषम परिस्थिति में दी जाने वाली ट्रेनिंग है, कमांडो ट्रेंड जवान देश की सुरक्षा के लिए काफी महत्व रखते हैं.
हजारीबाग के मेरु स्थित बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर में लगभग 12 महिला ऑफिसर्स भी देश की सुरक्षा को लेकर कमांडो ट्रेनिंग ले रही हैं. पदाधिकारी कहते हैं कि कभी-कभी महिला पुरुष कमांडो को भी कई क्षेत्रों में चुनौती दे रही हैं. रोजाना इन लोगों को कई तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण देने वाले पदाधिकारी भी अलग-अलग क्षेत्र के माहिर होते हैं.
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इन जवानों को आर्मी से जुड़ी सभी तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. कमांडो प्रशिक्षण के डीआईजी सुल्तान अहमद ने बताया कि महिला कमांडो का मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना अति आवश्यक है. इन्हें इस तरह तैयार किया जाता है कि कुछ सेकंड में ही दुश्मनों पर टूट पड़े और दुश्मन बचकर ना निकल पाए. इनका हौसला और लड़ाकू व्यक्तित्व ही अहम हथियार होता है.
निसंदेह हजारीबाग के लिए यह गौरव की बात है कि यहां देश का सबसे महत्वपूर्ण कमांडो ट्रेनिंग सेंटर में जवानों को तैयार किया जा रहा है. जो आने वाले समय में देश की सुरक्षा में तैनात रहेंगे. जो दुश्मनों की हर साजिश को नाकाम कर देश का मस्तक ऊंचा रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरा करेंगे.देशभर के कई राज्यों की पुलिस ने महिला कमांडो को शामिल किया है. जिसमें नागालैंड, केरल और पश्चिम बंगाल की पुलिस में महिला कमांडो फोर्स को शामिल किया गया है. अभी हालिया उत्तराखंड की पुलिस की आतंकवादी निरोधी दस्ता में महिला कमांडो को प्रशिक्षित कर करीब 20 महिला कमांडो को शामिल किया गया है.
CRPF कोबरा बटालियन में महिला कमांडो
साल 2021 की शुरुआत में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) में जाबांज महिला कमांडोज की यूनिट कोबरा को शामिल किया गया है. COBRA यानी कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन और पूरी तरह से महिलाओं से लैस इस कमांडो यूनिट को नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनाती के लिए भेजा जाएगा. इस यूनिट में शामिल महिला कमांडोज को ट्रेनिंग होगी और इसके बाद इन्हें तैनाती की जाएगी.
सीआरपीएफ के 88वें स्थापना दिवस पर इस टीम के बारे में सार्वजनिक तौर पर सीआरपीएफ की तरफ से ऐलान किया गया. कोबरा में शामिल हर कमांडो को मानसिक और शारीरिक स्तर पर कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है. ये कमांडो, सीआरपीएफ के ही सैनिक होते हैं.
टीम में कुल 34 महिला कमांडो
ऑल फीमेल कमांडोज की इस टीम में 34 महिला कमांडो हैं. कोबरा कमांडोज को जंगल वॉरफेयर के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है. आपको बता दें कि कोबरा कमांडोज टीम को वर्ल्ड बेस्ट कमांडोज में गिना जाता है. अब कोबरा की इसी टीम में महिला जवानों को भी जगह मिलनी शुरू हो गई है. सीआरपीएफ के पास छह महिला बटालियंस हैं और इनमें से ही कुल 34 महिला कमांडो का चयन किया गया है.
इन कमांडोज को तीन माह का कठोर प्रशिक्षण दिया जाएगा. सीआरपीएफ ने नक्सलियों से लोहा लेने हेतु अपनी प्रतिष्ठित कोबरा यूनिट में शामिल करने को महिला कमांडो की पहली बैच का चयन किया है. सीआरपीएफ की तरफ से बताया गया है कि इन कमांडोज को ट्रेनिंग के दौरान आधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
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पहली बटालियन 2009 में
साल 2009 में सीआरपीएफ में कमांडो बटालियन ‘कोबरा’ का गठन किया गया था. इसके अतिरिक्त शारीरिक क्षमताओं को बढ़ाने के अलावा प्लानिंग, फील्ड क्राफ्ट और एक्स्प्लोसिव्स को कैसे प्रयोग करना है, इसकी ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
जंगल में नक्सलियों से मोर्चा लेते समय घिर जाने के बाद खुद को बचाने के तरीका भी उन्हें सिखाए जाएंगे. इन महिला कमांडो को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद पुरुष कमांडो के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात किया जाएगा.
ये बटालियन इंटेलीजेंस पर आधारित ऑपरेशंस को अंजाम देती है. अभी तक इसमें सिर्फ पुरुष ऑफिसर्स और जवानों को ही शामिल किया जाता था. कोबरा बटालियन के गठन का मुख्य मकसद माओवादी हिंसा से प्रभावित राज्यों में कमांडोज को तैनात करना है ताकी हिंसा से निबटा जा सके. कोबरा की कुछ बटालियंस अलग-अलग नक्सल प्रभावित राज्यों में तैनात हैं. जबकि इसके कुछ कमांडो उग्रवाद रोधी अभियानों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में तैनात हैं.
गृह मंत्रालय ने नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए गुरिल्ला और जंगल वॉरफेयर जैसी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए कोबरा की 10 बटालियन गठित करने की मंजूरी दी थी. कोबरा बटालियन में शामिल किए जाने वाले सैनिकों को मानसिक और शारीरिक स्तर पर कड़े मानदंडों कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.
CRPF महिला बटालियन का गठन
सीआरपीएफ की 88वीं महिला बटालियन का गठन साल 1986 में किया गया था. आंतरिक सुरक्षा के मकसद से गठित की गई सीआरपीएफ में 1986 से ही महिला सैनिक हैं. इसकी पहली महिला बटालियन का गठन इसी वर्ष किया गया था. इस समय सुरक्षा बल में ऐसी छह इकाइयां हैं. सीआरपीएफ में करीब 3.25 लाख ऑफिसर्स और जवान हैं. यह देश का सबसे बड़ा अर्द्धसैनिक बल है जो जम्मू कश्मीर से लेकर देश के हर संवेदनशील राज्य में तैनात है.