हजारीबागः हजारीबाग कृषि प्रधान क्षेत्र है. जहां 70% से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है.यहां कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने खेती के जरिये पूरे जिले में विशेष पहचान बनाई है. उन्हीं में से एक हैं महिला किसान मरियम पुर्ती. मरियम पूर्ति कटकमसांडी की रहने वाली हैं. जो 1 एकड़ 94 डिसमिल जमीन पर खेती कर रहीं हैं. पहले यह जमीन बंजर थी और इसमें खेती करना दिन में तारे देखने जितना कठिन माना जाता था. लेकिन धीरे-धीरे मरियम पूर्ति ने उस बंजर जमीन को खेती लायक बनाया. खूब मेहनत किया और आज उनके खेत में फसल लहलहा रही है.
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बंजर जमीन में आम का बागः किसान मरियम ने कहा कि यह जमीन मेरे माता पिता और उनके माता-पिता की यानी पैतृक जमीन है. पहले यह बंजर थी, इससे इस जमीन की ओर कोई आता भी नहीं था. यहां मेरे खेती करने से पहले किसी ने भी हल नहीं चलाया था. मैंने हल चलाया और आज उसका परिणाम आप देख सकते हैं. मरियम पूर्ति ने बताया कि उनके खेती के काम में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) ने मदद की. मनरेगा की ओर से उन्हें आम बागवानी करने में मदद मिली. इससे उन्होंने इस जमीन में 250 से अधिक आम के पौधे रोपे.
मिक्स्ड क्रॉपिंग के जरिये तगड़ी आमदनीः पूर्ति ने बताया कि इन दिनों उनके बाग के आम के पेड़ मंजरी (बौर) से लदे हुए हैं. उनका कहना है कि इस साल हम लोग आम बेचेंगे. यही नहीं उन्होंने इस साल मिक्स्ड क्रॉपिंग की है. यानी आम के बाग में ही लहसुन, प्याज, टमाटर एक ही खेत में उगाए हैं. उसे बेचकर भी हम लोगों को लाभ हो रहा है. यही नहीं जमीन में मछली पालन भी किया है. मछली पालन के लिए तालाब बनाया गया. उस तालाब के पानी का हम लोग खेत में पटवन के लिए उपयोग करते हैं.
क्या कहती हैं पदाधिकारीः कटकमसांडी प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी वेदवती बताती हैं कि मरियम पूर्ति हम लोगों की क्षेत्र की आदर्श किसान हैं. जब भी हम लोग किसी किसान को या फिर लाभुक को क्षेत्र भ्रमण कराने के लिए ले जाते हैं तो इनके फार्म हाउस में ले जाते हैं. मरियम मिक्स्ड क्रॉपिंग कर रहीं हैं. पहले उन्होंने आम बागवानी का लाभ लिया और फिर आम बागवानी में ही मिक्स्ड क्रॉपिंग किया.
एक जमीन के कई कामः मछली पालन समेत कई काम मरियम कर रहीं हैं. यह एक सकारात्मक पहल मानी जा सकती है. वे कहती हैं कि अगर कोई किसान नेचुरल फार्मिंग के जरिये इस तरह मिश्रित खेती करता है तो उसकी कमाई और बढ़ जाती है. क्योंकि लागत और कम हो जाती है. वहीं मिश्रित खेती से कमाई दोगुनी से लेकर चौगुनी तक या उससे भी अधिक हो सकती है.