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विनोबा भावे विश्वविद्यालय की अनोखी पहल, पूरानी शिक्षा व्यवस्था को बदला - विनोबा भावे विश्वविद्यालय कुलपति डॉ रमेश शरण

विनोबा भावे विश्वविद्यालय एक नया प्रयोग शिक्षा के जगत में करने जा रहा है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण ने पुरानी व्यवस्था को बदलने के लिए एक नया विजन बनाया है. जिसमें समाज के हर एक तबके को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. कहा जाए तो यह एक नया और अनोखा पहल विश्वविद्यालय की ओर से किया जा रहा है. अगर अब तक के इतिहास को देखा जाए तो झारखंड-बिहार में शायद ही ऐसा प्रयोग किया गया होगा.

Vinoba Bhave University new vision of education system
विनोबा भावे विश्वविद्यालय
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Published : Feb 21, 2020, 8:14 PM IST

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन के लिए विजन डॉक्यूमेंट बनाने जा रही है. जिसमें समाज के हर एक तबके को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. यह विजन राज्य सरकार को भेजा जाएगा. इस विजन डॉक्यूमेंट को तैयार करने के लिए सिविल सोसायटी, मीडिया, विश्व विद्यालय के विद्यार्थी, समाज का वह तबका जिसके पास सोच है लेकिन वह आगे नहीं आता है, शिक्षक, प्रोफेसर सभी का पक्ष लिया जाएगा. उसके बाद एक नया विजन तैयार किया जाएगा, ताकि हायर एजुकेशन में परिवर्तन किया जा सके.

देखें पूरी खबर

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण का कहना है कि पहले हम लोगों को नई नीति दे दी जाती थी और उसे लागू करने के लिए कहा जाता था. जिसमें किसी की भी राय नहीं ली जाता थी. लेकिन अब विश्वविद्यालय एक नई परिपाटी की शुरुआत कर रही है. जिसमें समाज के लोगों का विजन लिया जाएगा और उस विजन को धरातल पर उतारने की कोशिश की जाएगी. सरकार विश्वविद्यालय को पहले की तरह ऑटोनॉमी देने के पक्ष में है.

ये भी देखें- छठी जेपीएससी के विरोध में आमरण अनशन, अभ्यर्थियों ने हेमंत सरकार को दिया अल्टीमेटम

यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन का भी गठन किया जाना है. वहीं, शिक्षकों की नियुक्ति भी विश्वविद्यालय करेगी. शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाना है. विश्वविद्यालय को तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों की नियुक्ति का अधिकार दिया जाना है, पे फिक्सेशन भी विश्वविद्यालय स्तर पर ही किए जाएंगे. ऐसे में अब विश्वविद्यालय शिक्षा के जगत में भी एक नया प्रयोग करने जा रहा है.

विश्वविद्यालय के कुलपति का यह भी कहना है कि जब वह शिक्षक थे तो कई बार शिक्षा नीति बनाई गई और हम लोगों को उस पर अमल करने को कहा गया. उस समय हमारे मन में यह ख्याल था कि क्यों न एक ऐसा विजन बनाया जाए, जिसमें समाज के हर तबके को जोड़ा जाए और हायर एजुकेशन में कुछ नया बदलाव किया जाए. अब मुझे वह मौका मिला है इस कारण हमने उसे धरातल पर उतारने की कोशिश कर रहा हूं.

ये भी देखें- बोलबम के जयकारों से गूंज उठा बगोदर का हरिहरधाम, श्रद्धालुओं की शिव मंदिर में लगी लंबी कतारें

निसंदेह कहा जाए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण ने एक नया सोच विश्वविद्यालय को दिया है. अगर सही विजन डॉक्यूमेंट बनता है तो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति भी आ सकती है. जरूरत है अन्य विश्वविद्यालय को इससे सीख लेने की.

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन के लिए विजन डॉक्यूमेंट बनाने जा रही है. जिसमें समाज के हर एक तबके को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. यह विजन राज्य सरकार को भेजा जाएगा. इस विजन डॉक्यूमेंट को तैयार करने के लिए सिविल सोसायटी, मीडिया, विश्व विद्यालय के विद्यार्थी, समाज का वह तबका जिसके पास सोच है लेकिन वह आगे नहीं आता है, शिक्षक, प्रोफेसर सभी का पक्ष लिया जाएगा. उसके बाद एक नया विजन तैयार किया जाएगा, ताकि हायर एजुकेशन में परिवर्तन किया जा सके.

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विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण का कहना है कि पहले हम लोगों को नई नीति दे दी जाती थी और उसे लागू करने के लिए कहा जाता था. जिसमें किसी की भी राय नहीं ली जाता थी. लेकिन अब विश्वविद्यालय एक नई परिपाटी की शुरुआत कर रही है. जिसमें समाज के लोगों का विजन लिया जाएगा और उस विजन को धरातल पर उतारने की कोशिश की जाएगी. सरकार विश्वविद्यालय को पहले की तरह ऑटोनॉमी देने के पक्ष में है.

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यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन का भी गठन किया जाना है. वहीं, शिक्षकों की नियुक्ति भी विश्वविद्यालय करेगी. शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाना है. विश्वविद्यालय को तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों की नियुक्ति का अधिकार दिया जाना है, पे फिक्सेशन भी विश्वविद्यालय स्तर पर ही किए जाएंगे. ऐसे में अब विश्वविद्यालय शिक्षा के जगत में भी एक नया प्रयोग करने जा रहा है.

विश्वविद्यालय के कुलपति का यह भी कहना है कि जब वह शिक्षक थे तो कई बार शिक्षा नीति बनाई गई और हम लोगों को उस पर अमल करने को कहा गया. उस समय हमारे मन में यह ख्याल था कि क्यों न एक ऐसा विजन बनाया जाए, जिसमें समाज के हर तबके को जोड़ा जाए और हायर एजुकेशन में कुछ नया बदलाव किया जाए. अब मुझे वह मौका मिला है इस कारण हमने उसे धरातल पर उतारने की कोशिश कर रहा हूं.

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निसंदेह कहा जाए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण ने एक नया सोच विश्वविद्यालय को दिया है. अगर सही विजन डॉक्यूमेंट बनता है तो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति भी आ सकती है. जरूरत है अन्य विश्वविद्यालय को इससे सीख लेने की.

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