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हजारीबाग: ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग और सिविल सर्जन मुर्दाबाद के लगाए नारे, किया पुतला दहन

हजारीबाग में महिला और बच्चे की मृत्यु होने के बाद ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग और सिविल सर्जन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए. इसी के साथ विरोध जताते हुए पुतला दहन किया. वहीं, पीड़ित परिवार ने सराकर से मुआवजे की मांग की है.

health department and civil surgeon in hazaribag
ग्रामीणों ने किया पुतला दहन
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Published : Oct 8, 2020, 10:54 AM IST

हजारीबाग: चौपारण पंचायत के ग्राम बिगहा स्थित बिरहोर टोला में सीपीआई नेता डॉ. रामानुज कुमार के नेतृत्व में ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग और सिविल सर्जन मुर्दाबाद के नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया गया. इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. रामानुज ने बताया कि विलुप्त हो चुके आदिम जनजाति जिन्हें बिरहोर उपजाति से जाना जाता है.

उस परिवार में 4 दिन पहले प्रसव के दौरान लक्ष्मी देवी का बच्चा जन्म के साथ दम तोड़ दिया और उसके 4 दिन बाद समुचित इलाज के अभाव के कारण उस महिला की भी मृत्यु चौपारण सामुदायिक अस्पताल से रेफर करने के बाद हजारीबाग जाने के क्रम में हो गई.

केवल कागजों पर है सुविधा

सीपीआई नेता डॉ. रामानुज कुमार ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार का विशेष ध्यान बिरहोर जनजातियों पर है, लेकिन आज भी इन्हें सुविधा केवल कागजों पर ही मिल रही है. सहिया और सेविका को हर प्रसव की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए थी, लेकिन मृत्यु होने के बाद महज 5 किलोमीटर पर प्रखंड कार्यालय है, लेकिन प्रखंड के कोई प्रशासनिक अधिकारी आज तक इसकी सुध लेने नहीं पहुंचे हैं.

इसे भी पढ़ें-हजारीबाग: प्रसव के बाद महिला की मौत, परिजनों ने किया हंगामा

मुआवजा मिलने की बात

सीपीआई नेता डॉ. रामानुज कुमार ने कहा कि नियानुसार इन जनजातियों की मृत्यु के बाद उपायुक्त का आगमन होना चाहिए था. इन पीड़ित परिवारों की मांग है कि जच्चा और बच्चा दोनों की असामयिक मृत्यु हो गई है तो उन्हें सरकारी मुआवजा मिलनी चाहिए. डॉ. रामानुज कुमार ने पीड़ित परिवार को अपने तरफ से 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 5 किलो आलू और ढाई किलो दाल सहयोग के रूप में दिया और उनके हर आंदोलन में साथ रहने का भरोसा दिलाया.

हजारीबाग: चौपारण पंचायत के ग्राम बिगहा स्थित बिरहोर टोला में सीपीआई नेता डॉ. रामानुज कुमार के नेतृत्व में ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग और सिविल सर्जन मुर्दाबाद के नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया गया. इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. रामानुज ने बताया कि विलुप्त हो चुके आदिम जनजाति जिन्हें बिरहोर उपजाति से जाना जाता है.

उस परिवार में 4 दिन पहले प्रसव के दौरान लक्ष्मी देवी का बच्चा जन्म के साथ दम तोड़ दिया और उसके 4 दिन बाद समुचित इलाज के अभाव के कारण उस महिला की भी मृत्यु चौपारण सामुदायिक अस्पताल से रेफर करने के बाद हजारीबाग जाने के क्रम में हो गई.

केवल कागजों पर है सुविधा

सीपीआई नेता डॉ. रामानुज कुमार ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार का विशेष ध्यान बिरहोर जनजातियों पर है, लेकिन आज भी इन्हें सुविधा केवल कागजों पर ही मिल रही है. सहिया और सेविका को हर प्रसव की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए थी, लेकिन मृत्यु होने के बाद महज 5 किलोमीटर पर प्रखंड कार्यालय है, लेकिन प्रखंड के कोई प्रशासनिक अधिकारी आज तक इसकी सुध लेने नहीं पहुंचे हैं.

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मुआवजा मिलने की बात

सीपीआई नेता डॉ. रामानुज कुमार ने कहा कि नियानुसार इन जनजातियों की मृत्यु के बाद उपायुक्त का आगमन होना चाहिए था. इन पीड़ित परिवारों की मांग है कि जच्चा और बच्चा दोनों की असामयिक मृत्यु हो गई है तो उन्हें सरकारी मुआवजा मिलनी चाहिए. डॉ. रामानुज कुमार ने पीड़ित परिवार को अपने तरफ से 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 5 किलो आलू और ढाई किलो दाल सहयोग के रूप में दिया और उनके हर आंदोलन में साथ रहने का भरोसा दिलाया.

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