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Valentines Day Special: हजारीबाग में बादम राजा रानी की प्रेम कहानी है मशहूर - रामगढ़ राजा का इतिहास

वैलेंटाइन डे यानी प्यार के इजहार का दिन, पूरी दुनिया में प्रेम के कई किस्से मशहूर हैं. हजारीबाग में बादम राजा रानी की प्रेम कहानी मशहूर है. ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट से आप भी जानिए इनकी अनोखी प्रेम कहानी.

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हजारीबाग में राजा रानी की प्रेम कहानी
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Published : Feb 14, 2022, 4:56 PM IST

Updated : Feb 14, 2022, 5:30 PM IST

हजारीबागः राजा रानी की प्रेम कहानी के कई किस्से हम लोगों ने सुना है. हम आपको हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बादम राजघराने की राजा रानी की प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. 350 साल बीत जाने के बाद भी आज भी इनकी प्रेम कहानी गांव के लोगों के जुबान पर है. दादा दादी से बादम राजघराने की कहानी सुनकर यहां के बच्चे जवान हुए. आपको भी सुनाते हैं राजा रानी की प्रेम कहानी.

इसे भी पढ़ें- Happy Valentine’s Day : लैला मजनू की प्रेम कहानी से लेकर जानें पूरा इतिहास

हजारीबाग का बड़कागांव प्रखंड एक ऐतिहासिक क्षेत्र है. जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बादम किला स्थित है. मध्यकालीन इतिहास का यह साक्षात गवाह के रूप में आज भी खड़ा है. भौगोलिक एवं प्राकृतिक नजारा से आकर्षित होकर कर्णपुरा के राजा दलेल सिंह ने बादम को राजधानी के रूप में स्थापित किया था. सन 1685 ईस्वी में इसे राजधानी बना गया. आज यह किला खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है. लेकिन यहां लगा हुआ गुलाब का फूल आज भी हरा भरा है. इस गुलाब के पीछे भी एक कहानी है. ऐसा कहा जाता है कि राजा दलेल सिंह के बेटे पुरुषोत्तम सिंह और उनकी पत्नी ने किला के ठीक सामने कुएं के बगल में एक गुलाब का पौधा लगाया था. 350 साल के बाद भी गुलाब का पौधा फूल दे रहा है. गुलाब का फूल प्रेम के प्रतीक के रूप में इस क्षेत्र में जाना जाता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


इतिहासकार बताते हैं कि बादम गांव कभी रामगढ़ राजा की राजधानी हुआ करती थी. रामगढ़ राजा ने चतरा से अपनी राजधानी बादम ले गए और फिर समय बीतने के बाद राजधानी इचाक बनाया गया और हजारीबाग का पद्मा इनका अंतिम राजधानी रहा. रामगढ़ राजा का इतिहास भी गौरवपूर्ण रहा है. हजारीबाग के इतिहासकार प्रोफेसर प्रमोद सिंह बताते हैं किला के सामने एक गुलाब का पौधा है, इसके बारे में कहा जाता है कि राजा रानी ने मिलकर इसे लगाया था, यह पौधा उनके प्रेम का प्रतीक है. इतिहासकार का यह भी कहना है कि इस राजघराने के साथ एक कहानी भी जुड़ी हुई है. जिसका कोई लिखित प्रमाण तो नहीं मिलता है लेकिन कुछ जगह या उल्लेख अवश्य किया गया है. जिसमें एक दिन राजा शिकार करने के लिए गए और किसी ने अफवाह फैला दी कि राजा की मौत हो गयी, इसके बाद दुखी रानी ने उसी कुएं में कूदकर जान दे दी. इस घटना के बाद राजा काफी द्रवित हुए और अपनी राजधानी बदल दी. राजा दलेल सिंह के बेटे पुरुषोत्तम सिंह की यह कहानी है.


गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना है राजा रानी के बीच अटूट प्रेम था. दलेल सिंह के बेटे पुरुषोत्तम सिंह अपनी पत्नी के साथ सफेद गुलाब का पौधा कुएं के पास लगाया था, उस गुलाब की सुगंध काफी दूर तक जाती थी. आज भी अगर वह गुलाब अपने पास रखे तो उसका सुगंध काफी देर तक रहता है. राजा शिकार करने के लिए गए और उनके दुश्मनों के द्वारा अफवाह फैला दिया गया कि राजा पुरुषोत्तम का शिकार करने के दौरान की मौत हो गयी. ऐसे में पत्नी दुखी होकर जहां राजा ने गुलाब का फूल लगाया था उसी के पास चौकोर कुएं में डूबकर जान दे दी. जब राजा वापस शिकार से लौटे उसे घटना के बारे में जानकारी हुई तो उसने भी उसी कुएं में डूबकर आत्महत्या कर ली. सदियां गुजर गयी लेकिन उनके अटूट प्रेम की बानगी सफेद गुलाब के रूप में आज भी प्यार की खूश्बू बिखेर रहा है और प्रेम का संदेश दे रहा है.

हजारीबागः राजा रानी की प्रेम कहानी के कई किस्से हम लोगों ने सुना है. हम आपको हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बादम राजघराने की राजा रानी की प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. 350 साल बीत जाने के बाद भी आज भी इनकी प्रेम कहानी गांव के लोगों के जुबान पर है. दादा दादी से बादम राजघराने की कहानी सुनकर यहां के बच्चे जवान हुए. आपको भी सुनाते हैं राजा रानी की प्रेम कहानी.

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हजारीबाग का बड़कागांव प्रखंड एक ऐतिहासिक क्षेत्र है. जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बादम किला स्थित है. मध्यकालीन इतिहास का यह साक्षात गवाह के रूप में आज भी खड़ा है. भौगोलिक एवं प्राकृतिक नजारा से आकर्षित होकर कर्णपुरा के राजा दलेल सिंह ने बादम को राजधानी के रूप में स्थापित किया था. सन 1685 ईस्वी में इसे राजधानी बना गया. आज यह किला खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है. लेकिन यहां लगा हुआ गुलाब का फूल आज भी हरा भरा है. इस गुलाब के पीछे भी एक कहानी है. ऐसा कहा जाता है कि राजा दलेल सिंह के बेटे पुरुषोत्तम सिंह और उनकी पत्नी ने किला के ठीक सामने कुएं के बगल में एक गुलाब का पौधा लगाया था. 350 साल के बाद भी गुलाब का पौधा फूल दे रहा है. गुलाब का फूल प्रेम के प्रतीक के रूप में इस क्षेत्र में जाना जाता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


इतिहासकार बताते हैं कि बादम गांव कभी रामगढ़ राजा की राजधानी हुआ करती थी. रामगढ़ राजा ने चतरा से अपनी राजधानी बादम ले गए और फिर समय बीतने के बाद राजधानी इचाक बनाया गया और हजारीबाग का पद्मा इनका अंतिम राजधानी रहा. रामगढ़ राजा का इतिहास भी गौरवपूर्ण रहा है. हजारीबाग के इतिहासकार प्रोफेसर प्रमोद सिंह बताते हैं किला के सामने एक गुलाब का पौधा है, इसके बारे में कहा जाता है कि राजा रानी ने मिलकर इसे लगाया था, यह पौधा उनके प्रेम का प्रतीक है. इतिहासकार का यह भी कहना है कि इस राजघराने के साथ एक कहानी भी जुड़ी हुई है. जिसका कोई लिखित प्रमाण तो नहीं मिलता है लेकिन कुछ जगह या उल्लेख अवश्य किया गया है. जिसमें एक दिन राजा शिकार करने के लिए गए और किसी ने अफवाह फैला दी कि राजा की मौत हो गयी, इसके बाद दुखी रानी ने उसी कुएं में कूदकर जान दे दी. इस घटना के बाद राजा काफी द्रवित हुए और अपनी राजधानी बदल दी. राजा दलेल सिंह के बेटे पुरुषोत्तम सिंह की यह कहानी है.


गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना है राजा रानी के बीच अटूट प्रेम था. दलेल सिंह के बेटे पुरुषोत्तम सिंह अपनी पत्नी के साथ सफेद गुलाब का पौधा कुएं के पास लगाया था, उस गुलाब की सुगंध काफी दूर तक जाती थी. आज भी अगर वह गुलाब अपने पास रखे तो उसका सुगंध काफी देर तक रहता है. राजा शिकार करने के लिए गए और उनके दुश्मनों के द्वारा अफवाह फैला दिया गया कि राजा पुरुषोत्तम का शिकार करने के दौरान की मौत हो गयी. ऐसे में पत्नी दुखी होकर जहां राजा ने गुलाब का फूल लगाया था उसी के पास चौकोर कुएं में डूबकर जान दे दी. जब राजा वापस शिकार से लौटे उसे घटना के बारे में जानकारी हुई तो उसने भी उसी कुएं में डूबकर आत्महत्या कर ली. सदियां गुजर गयी लेकिन उनके अटूट प्रेम की बानगी सफेद गुलाब के रूप में आज भी प्यार की खूश्बू बिखेर रहा है और प्रेम का संदेश दे रहा है.

Last Updated : Feb 14, 2022, 5:30 PM IST
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