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एक पेंटर ऐसा भी...बड़े-बड़े चित्रकारों को टक्कर दे सकती है टिंकू की पेंटिंग, महज 17 साल की उम्र में जीत लिए 50 से ज्यादा मेडल

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Published : Oct 27, 2021, 4:39 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 7:29 PM IST

हजारीबाग का रहने वाला 17 साल का युवा टिंकू की पेंटिंग बड़े-बड़े चित्रकारों की पेंटिंग को टक्कर दे सकती है. टिंकू की पेंटिंग देखकर लोग हैरान रह जाते हैं. महज 17 साल की उम्र में उसने 50 से ज्यादा मेडल अपने नाम कर लिया है. टिंकू के लिए पेंटिंग जुनून है. टिंकू पेंटिंग में ही करियर बनाना चाहता है लेकिन आर्थिक तंगी आड़े आ रही है.

Hazaribagh painter Tinku
हजारीबाग का पेंटर टिंकू

हजारीबाग: वो कहते हैं ना कि कला किसी उम्र की मोहताज नहीं होती. अगर हुनर है तो कामयाबी भी कदम चूमती है. कुछ इसी तरह की बात है हजारीबाग के नूरा मोहल्ले में 17 साल के युवा टिंकू कुमार की.

यह भी पढ़ें: यहां स्पेशल बच्चे बनाते हैं खास तरह के दीये, विदेशों में भी है मांग

50 से ज्यादा मेडल कर चुका है अपने नाम

टिंकू अपने नाना-नानी के घर में रहता है. टिंकू के घर की स्थिति खराब थी और पढ़ने का माहौल नहीं था तो नाना-नानी ने उसे अपने घर ले आए ताकि वह पढ़ सके और अपने पैरों पर खड़ा हो सके. टिंकू अभी स्नातक की पढ़ाई कर रहा है लेकिन उसे पेंटिंग का बहुत शौक है. आज पेंटिंग ही उसे समाज में अलग पहचान दे रही है. इतनी कम उम्र में 50 से अधिक मेडल और शील्ड उसके हाथों में है जो यह इशारा कर रही कि तुम मेहनत करते जाओ, कामयाबी तो एक न एक दिन जरूर मिलेगी और पहचान भी दूर तलक तक जाएगी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कई कंप्टीशन में लिया हिस्सा

टिंकू मूल रुप से चतरा जिले का रहने वाला है. पिता किसान हैं और मां गृहिणी है. दो भाई और एक बहन होने के कारण माता-पिता के ऊपर दबाव भी है. ऐसे में उसके नाना-नानी अपने साथ हजारीबाग ले आए ताकि वह पढ़ सके. नाना भी आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं. वे भी मजदूरी करते हैं. आर्थिक तंगी के कारण टिंकू को माता-पिता से दूर होना पड़ा. टिंकू पढ़ाई तो कर ही रहा है लेकिन वह चाहता है कि अपना करियर पेंटिंग में बनाए. टिंकू ने धीरे-धीरे खुद से पेंटिंग करना शुरू किया. आज उसने सैकड़ों पेंटिंग बनाए हैं और दूसरों को उपहार स्वरूप भेंट भी किया है. वह कहता है कि हजारीबाग में कला की कदर नहीं है. शौक से तो मैं बनाकर देता हूं लेकिन किसी ने भी मुझे आज तक मेहनताना नहीं दिया. टिंकू रांची, कोलकाता समेत कई शहरों में पेंटिंग कंप्टीशन में हिस्सा ले चुका है. कोरोना के दौरान ऑनलाइन कंपटीशन में उसने नेशनल स्तर के प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और स्थान भी पाया.

Hazaribagh painter Tinku
टिंकू ने महेंद्र सिंह धोनी की भी कई तस्वीरें बनाई है.

पेंटिंग में ही करियर बनाने की चाहत

टिंकू की आर्थिक तंगी का आलम यह है कि उसके पास कैनवास पेपर खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है. ऐसे में वह सफेद पेपर और पेंसिल से पेंटिंग करता है. वह कहता है कि जब पेंटिंग करते हैं और वह तैयार हो जाता है तो बेहद खुशी होता है. जब उस पेंटिंग को लेकर लोग तारीफ करते हैं तो बड़ा मजा आता है. उम्र कम है लेकिन टिंकू की तमन्ना ऊंची उड़ान भरने की है. कहा भी जाता है जो पंछी उड़ने की कोशिश करता है उसे ही ऊंचाई मिलती है. ऐसे में टिंकू के नाना भी कहते हैं कि हम लोग काफी गरीबी से बच्चे को पढ़ा रहे हैं. बच्चे को अच्छा परवरिश मिले और वह पेंटिंग में ही आगे बढ़े यह हम लोगों की इच्छा है. जहां तक हो रहा है हम लोग मदद कर रहे हैं. अगर इसे छात्रवृत्ति मिल जाए तो इसका करियर भी बन सकता है.

संवाददाता गौरव प्रकाश ने टिंकू से बातचीत की.

टिंकू का जुनून है पेंटिंग

टिंकू की एक अन्य रिश्तेदार बताती है कि वह कभी भी दोस्तों के साथ नहीं घूमता. जब भी उसके पास समय रहता वह कुछ न कुछ कलाकृति अपने से बनाते रहता है. घर छोटा है. ऐसे में हम लोगों के पास जगह की भी कमी है. इसलिए छत पर या फिर किसी खेत के किनारे बैठकर पेंटिंग करता है. टिंकू के पड़ोसी ने बताया कि जब इनका पेंटिंग देखते हैं तो बहुत खुशी होती है. इस कारण हम टिंकू भैया के पास आकर पेंटिंग सीख रहे हैं. यह न तो पैसा लेते हैं और न ही कुछ बोलते हैं. बेहद ही प्यार से पेंटिंग सिखाते हैं.

Hazaribagh painter Tinku
टिंकू ने तीरंदाज दीपिका की भी तस्वीर बनाई है.

सोना जितना तपता है उतना ही उसमें निखार आता है. टिंकू आज गरीबी में भी अपनी कला को मुकाम पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. जरूरत है समाज के लोगों को भी उसे प्रोत्साहित करने की. जिसके लिए वह पेंटिंग बनाता है वे उसे आर्थिक रूप से मदद करें ताकि उस पैसे से वह अपना करियर बना सके. सरकार को भी ऐसे बच्चों, जिनमें प्रतिभा तो है लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह निखर नहीं पाती है, उसे मदद करनी चाहिए.

हजारीबाग: वो कहते हैं ना कि कला किसी उम्र की मोहताज नहीं होती. अगर हुनर है तो कामयाबी भी कदम चूमती है. कुछ इसी तरह की बात है हजारीबाग के नूरा मोहल्ले में 17 साल के युवा टिंकू कुमार की.

यह भी पढ़ें: यहां स्पेशल बच्चे बनाते हैं खास तरह के दीये, विदेशों में भी है मांग

50 से ज्यादा मेडल कर चुका है अपने नाम

टिंकू अपने नाना-नानी के घर में रहता है. टिंकू के घर की स्थिति खराब थी और पढ़ने का माहौल नहीं था तो नाना-नानी ने उसे अपने घर ले आए ताकि वह पढ़ सके और अपने पैरों पर खड़ा हो सके. टिंकू अभी स्नातक की पढ़ाई कर रहा है लेकिन उसे पेंटिंग का बहुत शौक है. आज पेंटिंग ही उसे समाज में अलग पहचान दे रही है. इतनी कम उम्र में 50 से अधिक मेडल और शील्ड उसके हाथों में है जो यह इशारा कर रही कि तुम मेहनत करते जाओ, कामयाबी तो एक न एक दिन जरूर मिलेगी और पहचान भी दूर तलक तक जाएगी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कई कंप्टीशन में लिया हिस्सा

टिंकू मूल रुप से चतरा जिले का रहने वाला है. पिता किसान हैं और मां गृहिणी है. दो भाई और एक बहन होने के कारण माता-पिता के ऊपर दबाव भी है. ऐसे में उसके नाना-नानी अपने साथ हजारीबाग ले आए ताकि वह पढ़ सके. नाना भी आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं. वे भी मजदूरी करते हैं. आर्थिक तंगी के कारण टिंकू को माता-पिता से दूर होना पड़ा. टिंकू पढ़ाई तो कर ही रहा है लेकिन वह चाहता है कि अपना करियर पेंटिंग में बनाए. टिंकू ने धीरे-धीरे खुद से पेंटिंग करना शुरू किया. आज उसने सैकड़ों पेंटिंग बनाए हैं और दूसरों को उपहार स्वरूप भेंट भी किया है. वह कहता है कि हजारीबाग में कला की कदर नहीं है. शौक से तो मैं बनाकर देता हूं लेकिन किसी ने भी मुझे आज तक मेहनताना नहीं दिया. टिंकू रांची, कोलकाता समेत कई शहरों में पेंटिंग कंप्टीशन में हिस्सा ले चुका है. कोरोना के दौरान ऑनलाइन कंपटीशन में उसने नेशनल स्तर के प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और स्थान भी पाया.

Hazaribagh painter Tinku
टिंकू ने महेंद्र सिंह धोनी की भी कई तस्वीरें बनाई है.

पेंटिंग में ही करियर बनाने की चाहत

टिंकू की आर्थिक तंगी का आलम यह है कि उसके पास कैनवास पेपर खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है. ऐसे में वह सफेद पेपर और पेंसिल से पेंटिंग करता है. वह कहता है कि जब पेंटिंग करते हैं और वह तैयार हो जाता है तो बेहद खुशी होता है. जब उस पेंटिंग को लेकर लोग तारीफ करते हैं तो बड़ा मजा आता है. उम्र कम है लेकिन टिंकू की तमन्ना ऊंची उड़ान भरने की है. कहा भी जाता है जो पंछी उड़ने की कोशिश करता है उसे ही ऊंचाई मिलती है. ऐसे में टिंकू के नाना भी कहते हैं कि हम लोग काफी गरीबी से बच्चे को पढ़ा रहे हैं. बच्चे को अच्छा परवरिश मिले और वह पेंटिंग में ही आगे बढ़े यह हम लोगों की इच्छा है. जहां तक हो रहा है हम लोग मदद कर रहे हैं. अगर इसे छात्रवृत्ति मिल जाए तो इसका करियर भी बन सकता है.

संवाददाता गौरव प्रकाश ने टिंकू से बातचीत की.

टिंकू का जुनून है पेंटिंग

टिंकू की एक अन्य रिश्तेदार बताती है कि वह कभी भी दोस्तों के साथ नहीं घूमता. जब भी उसके पास समय रहता वह कुछ न कुछ कलाकृति अपने से बनाते रहता है. घर छोटा है. ऐसे में हम लोगों के पास जगह की भी कमी है. इसलिए छत पर या फिर किसी खेत के किनारे बैठकर पेंटिंग करता है. टिंकू के पड़ोसी ने बताया कि जब इनका पेंटिंग देखते हैं तो बहुत खुशी होती है. इस कारण हम टिंकू भैया के पास आकर पेंटिंग सीख रहे हैं. यह न तो पैसा लेते हैं और न ही कुछ बोलते हैं. बेहद ही प्यार से पेंटिंग सिखाते हैं.

Hazaribagh painter Tinku
टिंकू ने तीरंदाज दीपिका की भी तस्वीर बनाई है.

सोना जितना तपता है उतना ही उसमें निखार आता है. टिंकू आज गरीबी में भी अपनी कला को मुकाम पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. जरूरत है समाज के लोगों को भी उसे प्रोत्साहित करने की. जिसके लिए वह पेंटिंग बनाता है वे उसे आर्थिक रूप से मदद करें ताकि उस पैसे से वह अपना करियर बना सके. सरकार को भी ऐसे बच्चों, जिनमें प्रतिभा तो है लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह निखर नहीं पाती है, उसे मदद करनी चाहिए.

Last Updated : Oct 27, 2021, 7:29 PM IST
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