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जाति या विकास कौन तय करता है चुनाव की दिशा, आईए जानते हैं जातिगत समीकरण पर राजनेताओं के विचार

चुनाव का माहौल है, हर प्रत्याशी खुद को विकास करने के लिए सबसे बेहतर बता रहा है. इन सब के बीच विकास के मुद्दों के अलावा जातिगत समीकरण का भी सहारा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए लिया जाता रहा है. ऐसे में विकास और जाति दो अलग-अलग फेक्टर चुनाव की दिशा तय कर रहे हैं, लेकिन दोनों में सबसे महत्वपूर्ण क्या है. क्या जाति के सामने विकास के मुद्दे धूमिल हो जाते हैं. इन्हीं बातों की पड़ताल ईटीवी भारत की टीम ने की.

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Published : Dec 1, 2019, 12:07 PM IST

हजारीबागः 21वीं सदी का भारत खुद को विकासशील से विकसित देश की श्रेणी में लाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन अभी भी चुनाव के दौरान जातिगत समीकरण विशेष महत्व रखता है. हर एक उम्मीदवार पहले अपने जातिगत समीकरण की स्थिति को लेकर मंथन करता है. बाद में कैसे उस समीकरण को अपने पक्ष में किया जाए, इसे लेकर प्रयास भी करता है. ऐसे में देश के तीन बड़ी पार्टियां कांग्रेस, भाजपा और वाम दल की जातिगत समीकरण को लेकर क्या सोच है, ईटीवी भारत की टीम ने इस बात की पड़ताल की है.

देखें पूरी खबर

जातिगत समीकरण से तय होता है चुनाव की दिशा

चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार हर हथकंडा अपनाते हैं. जिसमें वोटर उनके पक्ष में आए और मतदान के दिन वोटिंग करें. ऐसे में जातिगत समीकरण भी विशेष महत्व रखता है. झारखंड में भी जातिगत समीकरण को लेकर पार्टियों की अलग-अलग सोच है. हर एक पार्टी यह भी स्वीकार करती है कि जातिगत समीकरण चुनाव की दशा और दिशा तय करती है. जहां एक ओर सभी विकास और किए गए कामों का लेखा-जोखा को महत्व देते हैं, लेकिन भीतर खाने में उम्मीदवार अपने पक्ष में वोटरों को करने के लिए जातिगत समीकरण भी बनाते हैं.

ये भी पढ़ें-कांग्रेस प्रत्याशी अंबा देवी ने किया नुक्कड़ नाटक का आयोजन, वोट करने की अपील की

महागठबंधन जातिगत समीकरण में फिट

प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस का मानना है कि जातिगत समीकरण महत्व रखता है. मध्य प्रदेश के मंत्री उमंग सिंघार ने कहा कि झारखंड के चुनाव के संदर्भ में जब महागठबंधन ने अपना स्वरूप लिया तो इसमें सभी जाति के लोगों को विशेष स्थान दिया गया. जिस वजह से यह समीकरण इस पार्टी के लिए फिट है.

सीपीआई के राज्य सचिव और हजारीबाग के पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता भी मानते हैं कि वर्तमान परिपेक्ष में जातिगत समीकरण किसी भी चुनाव की दशा और दिशा तय करती है. उनका कहना है कि महागठबंधन को जातिगत समीकरण अनुसार फिट है. पहले चुनाव के परिणाम को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत भी होता है कि जातिगत समीकरण के आधार पर ही उन लोगों ने जीत दर्ज की है.

ये भी पढ़ें-दुष्कर्म के खिलाफ छात्राओं का फूटा गुस्सा, DC ऑफिस के समक्ष किया जमकर प्रदर्शन

भाजपा में सभी धर्म और समुदाय को मिलता है स्थान

बिहार के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे का मानना है कि वर्तमान समय में जातिगत समीकरण चुनाव में खासा महत्व रखता है।, लेकिन भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है. जिसमें सभी धर्म समुदाय के लोगों को स्थान मिलता है. वे कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लिए विकास का मुद्दा पहले और जातिगत मुद्दा बाद में आता है. हालांकि उन्होंने जातिगत समीकरण के महत्व स्वीकार भी किया.

कहीं न कहीं जातिगत समीकरण चुनाव के लिए महत्व रखता है या नहीं यह तो चुनाव के परिणाम ही बता सकते हैं, लेकिन उम्मीदवारों का चयन और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए यह समीकरण कहीं ना कहीं फिट जरूर बैठता है.

हजारीबागः 21वीं सदी का भारत खुद को विकासशील से विकसित देश की श्रेणी में लाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन अभी भी चुनाव के दौरान जातिगत समीकरण विशेष महत्व रखता है. हर एक उम्मीदवार पहले अपने जातिगत समीकरण की स्थिति को लेकर मंथन करता है. बाद में कैसे उस समीकरण को अपने पक्ष में किया जाए, इसे लेकर प्रयास भी करता है. ऐसे में देश के तीन बड़ी पार्टियां कांग्रेस, भाजपा और वाम दल की जातिगत समीकरण को लेकर क्या सोच है, ईटीवी भारत की टीम ने इस बात की पड़ताल की है.

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जातिगत समीकरण से तय होता है चुनाव की दिशा

चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार हर हथकंडा अपनाते हैं. जिसमें वोटर उनके पक्ष में आए और मतदान के दिन वोटिंग करें. ऐसे में जातिगत समीकरण भी विशेष महत्व रखता है. झारखंड में भी जातिगत समीकरण को लेकर पार्टियों की अलग-अलग सोच है. हर एक पार्टी यह भी स्वीकार करती है कि जातिगत समीकरण चुनाव की दशा और दिशा तय करती है. जहां एक ओर सभी विकास और किए गए कामों का लेखा-जोखा को महत्व देते हैं, लेकिन भीतर खाने में उम्मीदवार अपने पक्ष में वोटरों को करने के लिए जातिगत समीकरण भी बनाते हैं.

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महागठबंधन जातिगत समीकरण में फिट

प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस का मानना है कि जातिगत समीकरण महत्व रखता है. मध्य प्रदेश के मंत्री उमंग सिंघार ने कहा कि झारखंड के चुनाव के संदर्भ में जब महागठबंधन ने अपना स्वरूप लिया तो इसमें सभी जाति के लोगों को विशेष स्थान दिया गया. जिस वजह से यह समीकरण इस पार्टी के लिए फिट है.

सीपीआई के राज्य सचिव और हजारीबाग के पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता भी मानते हैं कि वर्तमान परिपेक्ष में जातिगत समीकरण किसी भी चुनाव की दशा और दिशा तय करती है. उनका कहना है कि महागठबंधन को जातिगत समीकरण अनुसार फिट है. पहले चुनाव के परिणाम को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत भी होता है कि जातिगत समीकरण के आधार पर ही उन लोगों ने जीत दर्ज की है.

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भाजपा में सभी धर्म और समुदाय को मिलता है स्थान

बिहार के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे का मानना है कि वर्तमान समय में जातिगत समीकरण चुनाव में खासा महत्व रखता है।, लेकिन भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है. जिसमें सभी धर्म समुदाय के लोगों को स्थान मिलता है. वे कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लिए विकास का मुद्दा पहले और जातिगत मुद्दा बाद में आता है. हालांकि उन्होंने जातिगत समीकरण के महत्व स्वीकार भी किया.

कहीं न कहीं जातिगत समीकरण चुनाव के लिए महत्व रखता है या नहीं यह तो चुनाव के परिणाम ही बता सकते हैं, लेकिन उम्मीदवारों का चयन और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए यह समीकरण कहीं ना कहीं फिट जरूर बैठता है.

Intro:21वीं सदी का भारत खुद को विकासशील से विकसित देश की श्रेणी में लाने के लिए प्रयासरत है। लेकिन अभी भी चुनाव के दौरान जातिगत समीकरण विशेष महत्व रखता है। हर एक उम्मीदवार पहले अपने जातिगत समीकरण की स्थिति को लेकर मंथन करता है। बाद में कैसे उस समीकरण को अपने पक्ष में किया जाए इसे लेकर प्रयास भी करता है ।ऐसे में देश के तीन बड़े पार्टी कांग्रेस, भाजपा और वाम दल का क्या सोच है जातिगत समीकरण को लेकर इसकी पड़ताल की है ईटीवी भारत ने...


Body:चुनाव जीतने के लिए हर एक हथकंडा उम्मीदवार उपयोग करते हैं। जिसमें वोटर उनके पक्ष में आए और मतदान के दिन वोटिंग करें। ऐसे में जातिगत समीकरण भी विशेष महत्व रखता है। झारखंड में भी जातिगत समीकरण को लेकर पार्टियों की अलग-अलग सोच है ।हर एक पार्टी यह भी स्वीकार करती है कि जातिगत समीकरण चुनाव की दशा और दिशा तय करती है ।जहां एक ओर हम सभी विकास और किए गए कार्यों के लेखा-जोखा की बात करते हैं। लेकिन भीतर खाने में उम्मीदवार अपने पक्ष में वोटरों को करने के लिए जातिगत समीकरण भी बनाते हैं।

ऐसे में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस का भी मानना है कि जातिगत समीकरण महत्व रखता है।झारखंड के चुनाव के संदर्भ में जब महागठबंधन ने अपना स्वरूप लिया है तो इसमें सभी जाति के लोगों को विशेष स्थान दिया गया है। इसलिए वह समीकरण इस पार्टी के लिए फिट करता है ।यह कहना है मध्य प्रदेश के मंत्री उमंग सिंघार की।

तो दूसरी ओर सीपीआई के राज्य सचिव और हजारीबाग के पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता भी मानते हैं कि वर्तमान परिपेक्ष में जातिगत समीकरण किसी भी चुनाव की दशा और दिशा तय करती है ।ऐसे में उनका कहना है कि महागठबंधन को जातिगत समीकरण के अनुसार फिट करता है। पहले चुनाव के परिणाम को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत भी होता है कि जातिगत समीकरण के आधार पर ही उन लोगों ने जीत दर्ज की है।

वहीं बिहार के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे का भी मानना है कि वर्तमान समय में जातिगत समीकरण चुनाव में खासा महत्व रखता है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है। जिसमें सभी धर्म समुदाय के लोगों को स्थान मिलता है ।
byte.... उमंग सिंघार, मंत्री ,मध्य प्रदेश
byte.... भुनेश्वर प्रसाद मेहता ,राज्य सचिव ,सीपीआई
byte.... सतीश चंद्र दुबे ,सांसद ,राज्यसभा, बिहार


Conclusion:कहां जाए तो जातिगत समीकरण चुनाव के लिए महत्व रखता है या नहीं यह तो परिणाम ही बताता है। लेकिन उम्मीदवारों का चयन और वोट को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए यह समीकरण कहीं ना कहीं फिट जरूर करता है।
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