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हजारीबागः टीबी मरीजों को डॉक्टर ने निकाला वार्ड से बाहर, इलाज के लिए तरसे कई घंटे - ईटीवी भारत

हजारीबाग के सदर अस्पताल में टीबी का इलाज कराने पहुंची दो महिलाओं को डॉक्टर ने वार्ड से बाहर निकाल दिया. जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद टीबी विभाग के अधिकारियों ने दोनों मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती कराया.

पीड़िता
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Published : Jul 26, 2019, 10:43 PM IST

हजारीबाग: सदर अस्पताल में टीबी से पीड़ित दो महिलाएं इलाज कराने पहुंची थी. जब नर्स और डॉक्टर को इस बात की जानकारी हुई कि पीड़ितों को टीवी है, तो उन्हें वार्ड से बाहर निकाल दिया गया. दोनों मरीज घंटों तक बरामदे में इलाज के लिए तरसते रहे और अस्पताल प्रबंधन मूकदर्शक बना रहा.

देखें वीडियो


मरीजों को मेडिसिन वार्ड से निकालने की जानकारी स्थानीय जिला प्रशासन, विधायक मनीष जायसवाल और कई समाजसेवियों को मिली. सभी के प्रयास के बाद दोनों मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती कराया गया.

मरीज के परिजनों ने कहा कि हमारे मरीजों को टीबी है. इस वजह से डॉक्टर और नर्स का कहना है कि अन्य मरीजों को भी टीबी हो जाएगा, इसलिए उन्हें बाहर निकाल दिया गया है. उन्होंने बताया कि जो पानी लगाया गया था उसे भी खोल दिया गया.

हजारीबाग: सदर अस्पताल में टीबी से पीड़ित दो महिलाएं इलाज कराने पहुंची थी. जब नर्स और डॉक्टर को इस बात की जानकारी हुई कि पीड़ितों को टीवी है, तो उन्हें वार्ड से बाहर निकाल दिया गया. दोनों मरीज घंटों तक बरामदे में इलाज के लिए तरसते रहे और अस्पताल प्रबंधन मूकदर्शक बना रहा.

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मरीजों को मेडिसिन वार्ड से निकालने की जानकारी स्थानीय जिला प्रशासन, विधायक मनीष जायसवाल और कई समाजसेवियों को मिली. सभी के प्रयास के बाद दोनों मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती कराया गया.

मरीज के परिजनों ने कहा कि हमारे मरीजों को टीबी है. इस वजह से डॉक्टर और नर्स का कहना है कि अन्य मरीजों को भी टीबी हो जाएगा, इसलिए उन्हें बाहर निकाल दिया गया है. उन्होंने बताया कि जो पानी लगाया गया था उसे भी खोल दिया गया.

Intro:क्या स्वास्थ्य कर्मी संवेदनहीन हो गए हैं, क्या डॉक्टर के दिल में मरीजों के प्रति हमदर्दी नहीं है, क्या समाज मुख दर्शक है, यह सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि हजारीबाग के सदर अस्पताल में जो देखने को मिला वो सोचने को विवश कर देगी। हमारा स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट होता जा रहा है। दरअसल सदर अस्पताल में दो टीवी की महिला इलाज कराने के लिए पहुंची थी। लेकिन जब नर्स और डॉक्टर को इस बात की जानकारी हुई कि उसे टीवी है तो उसने वार्ड से बाहर निकालकर बरामदा में भेज दिया। जहां दोनों मरीज घंटो घंटो तक बरामदा में इलाज के लिए तरसते रहे और अस्पताल प्रबंधन मूकदर्शक बना रहा।


Body:शुक्रवार को सदर अस्पताल के महिला वार्ड में 2 मरीजों को मेडिसिन वार्ड से बारंदा मे निकाल दिया और उनके इलाज में कोताही बरती गई ।ये दोनों महिला टीवी से ग्रसित है। मरीजों को मेडिसिन वार्ड से निकालने कि जानकारी स्थानीय जिला प्रशासन विधायक मनीष जयसवाल और कई समाजसेवियों को मिली। सभी के प्रयास के बाद, घंटों बाद दोनों मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती कराया गया। लगभग 6 से 7 घंटे तक दोनों मरीज बरामदा में रहे।

जब मरीज के परिजनों से पूछा गया कि आखिर ऐसा क्या बात है कि उनके परिजनों का इलाज नहीं हो पा रहा है। तो उन्होंने कहा कि हमारे परिजनों को टीवी है । डॉक्टर और नर्स है उनका कहना है कि और दूसरे भी मरीजों को टीवी हो जाएगा ।इसलिए हमें बाहर निकाल दिया गया है ।यहां तक कि इलाज भी नहीं किया जा रहा है। जो पानी लगाया गया था उसे भी खोल दिया गया।

इस बात की जानकारी जब जिला प्रशासन को हुई तो उन्होंने हस्तक्षेप किया और टीवी विभाग के कर्मचारी और डॉक्टरों को इसकी जानकारी दी गई। आनन-फानन में टीवी विभाग के अधिकारियों ने दोनों मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती कराया। जहां उनका इलाज चल रहा है।

byte.... विनय कुमार राणा मरीज के परिजन
byte.... राजीव कुमार यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी



Conclusion:घटना ने यह सोचने को विवश कर दिया है कि अस्पताल में भी टीवी के मरीजों के साथ जो व्यवहार किया है वह निंदनीय है। जहां एक ओर सदर अस्पताल टीवी उन्मूलन के लिए कार्यक्रम चला रही है तो दूसरी ओर जब टीवी के पेशेंट मरीज सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं तो इनका इलाज भी नहीं हो पा रहा है।
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