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हजारीबाग: गांवों की बदली जीवनशैली, खेती में रमे नौनिहाल - Changing lifestyle of villages due to corona in hazaribag

कोरोना वायरस से बचाव के लिए राज्य में लागू किए गए लॉकडाउन ने ग्रामीण इलाकों की जीवनशैली ही बदल दी है. हजारीबाग के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों स्कूल-कालेज बंद होने के कारण बच्चे अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम कर रहे हैं और उनसे खेती के नए-नए गुण सीख रहे हैं.

students ploughing field
गांवों की बदली जीवन शैली
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Published : Jul 2, 2020, 2:20 AM IST

हजारीबाग: कोरोना वायरस से बचाव के लिए देश में लागू किए गए लॉकडाउन ने ग्रामीण इलाकों की जीवन शैली ही बदल दी है. हजारीबाग जिले के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों स्कूल-कालेज बंद होने के कारण बच्चे अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम कर रहे हैं और खेती के नए-नए गुण सीख रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

खेतों में मदद कर रहे बच्चे

कोरोना के कारण स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान सभी बंद है. ऐसे में बच्चों का समय कैसे व्यतीत हो यह किसी चुनौती से भरा नहीं है और ग्रामीण क्षेत्रों में दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है. ऐसे में बच्चे अब अपने माता-पिता की मदद करने के लिए खेतों पर दिख रहे हैं और खेती के नए-नए गुण सीख रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः लघु और मध्यम क्षेत्र के एंटरप्रेन्योरों के साथ जयंत सिन्हा का संवाद, आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल

क्या है छात्राओं का कहना

हजारीबाग में इंटर की पढ़ाई करने वाली छात्रा कहती है कि बचपन से ही वे पढ़ाई के लिए हजारीबाग आना-जाना करती रही है, लेकिन अभी कोरोना के कारण शहर नहीं जा पा रही है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई करने का भी एक समय होता है, जब ऑनलाइन पढ़ाई समाप्त हो जाती है, तो उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं रहता है. जिसके कारण वे मां-पापा की मदद के लिए खेतों में आते हैं.

समय का हो रहा सदुपयोग

खेतों में काम करने वाले किसान का कहना है कि वे अपने बच्चों को खेती से जुड़ी कई बातों की जानकारी दे रहे हैं क्योंकि यह उनका धर्म है, फसल उगाना किसान की जिम्मेदारी ही नहीं उनका धर्म भी है. किसानों का कहना है कि खेती के बारे में जानना किसान के बच्चों को बहुत जरूरी है. बच्चे पढ़ाई में व्यस्त रहने के कारण खेत में नहीं आ पाते हैं लेकिन स्कूल बंद होने के कारण इन दिनों समय का सदुपयोग भी हो रहा है और बच्चे खेती भी सीख रहे हैं.

खेती के नए-नए गुण सीख रहे हैं बच्चे

खेतों में काम करने वाली महिला किसान बताती है कि बच्चे बड़े हो रहे हैं, उनकी शादी भी होनी है. ऐसे में वे अपने बेटी को खेती के काम की भी जानकारी होनी चाहिए. अगर शादी शहर में हुई तो वह अपने गांव के बारे में वहां के लोगों को बताएगी. ऐसे में हम बेटी को अब खेतों में ला रहे हैं और उसे समझा भी रहे हैं. बेटी का पहले इस काम में मन नहीं लगता था, लेकिन धीरे-धीरे खेती में मन भी लग रहा है और सुबह कुदाल लेकर खुद ही खेतों में आकर काम करती है.

हजारीबाग: कोरोना वायरस से बचाव के लिए देश में लागू किए गए लॉकडाउन ने ग्रामीण इलाकों की जीवन शैली ही बदल दी है. हजारीबाग जिले के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों स्कूल-कालेज बंद होने के कारण बच्चे अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम कर रहे हैं और खेती के नए-नए गुण सीख रहे हैं.

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खेतों में मदद कर रहे बच्चे

कोरोना के कारण स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान सभी बंद है. ऐसे में बच्चों का समय कैसे व्यतीत हो यह किसी चुनौती से भरा नहीं है और ग्रामीण क्षेत्रों में दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है. ऐसे में बच्चे अब अपने माता-पिता की मदद करने के लिए खेतों पर दिख रहे हैं और खेती के नए-नए गुण सीख रहे हैं.

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क्या है छात्राओं का कहना

हजारीबाग में इंटर की पढ़ाई करने वाली छात्रा कहती है कि बचपन से ही वे पढ़ाई के लिए हजारीबाग आना-जाना करती रही है, लेकिन अभी कोरोना के कारण शहर नहीं जा पा रही है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई करने का भी एक समय होता है, जब ऑनलाइन पढ़ाई समाप्त हो जाती है, तो उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं रहता है. जिसके कारण वे मां-पापा की मदद के लिए खेतों में आते हैं.

समय का हो रहा सदुपयोग

खेतों में काम करने वाले किसान का कहना है कि वे अपने बच्चों को खेती से जुड़ी कई बातों की जानकारी दे रहे हैं क्योंकि यह उनका धर्म है, फसल उगाना किसान की जिम्मेदारी ही नहीं उनका धर्म भी है. किसानों का कहना है कि खेती के बारे में जानना किसान के बच्चों को बहुत जरूरी है. बच्चे पढ़ाई में व्यस्त रहने के कारण खेत में नहीं आ पाते हैं लेकिन स्कूल बंद होने के कारण इन दिनों समय का सदुपयोग भी हो रहा है और बच्चे खेती भी सीख रहे हैं.

खेती के नए-नए गुण सीख रहे हैं बच्चे

खेतों में काम करने वाली महिला किसान बताती है कि बच्चे बड़े हो रहे हैं, उनकी शादी भी होनी है. ऐसे में वे अपने बेटी को खेती के काम की भी जानकारी होनी चाहिए. अगर शादी शहर में हुई तो वह अपने गांव के बारे में वहां के लोगों को बताएगी. ऐसे में हम बेटी को अब खेतों में ला रहे हैं और उसे समझा भी रहे हैं. बेटी का पहले इस काम में मन नहीं लगता था, लेकिन धीरे-धीरे खेती में मन भी लग रहा है और सुबह कुदाल लेकर खुद ही खेतों में आकर काम करती है.

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