हजारीबाग: जिले के बादम में एक अनोखा मंदिर है. यह मंदिर है पंच वाहिनी माता का मंदिर. अनोखा इसलिए क्योंकि यहां फूलों से पूजा नहीं होती, यहां पूजा होती है पत्थरों से. भक्त यहां देवी पर पत्थर चढ़ाते हैं और मन्नत मांगते हैं. मकर संक्रांति पर यहां विशेष पूजा होती है.
पत्थर चढ़ाकर होती है मां की पूजा
पंच वाहिनी मंदिर में पत्थर चढ़ाकर पूजा होती है. मनोकामना पूरी होने के बाद पत्थर उतारते भी हैं. पंच वाहिनी मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष पूजा की जाती है. इस मंदिर में 5 माताओं की पूजा की जाती है. इसी कारण से यहां 5 पत्थर चढ़ाने का विशेष महत्व है. हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर मेला भी लगता है. मंदिर के नीचे गुफानुमा जलकुंड है, जहां लोग स्नान कर पूजा अर्चना-करते हैं. इसी स्थल के पत्थरों को मंदिर में चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है.
किले को बचाने के लिए 5 देवियों की पूजा करते थे राजा
यहां के रहने वाले बैजनाथ कुमार बताते हैं कि पंच वाहिनी मंदिर का पुराना इतिहास रहा है. कर्णपुरा राज के राजा दलेल सिंह की लिखित पुस्तक शिव सागर के अनुसार 1685 ईसवी में रामगढ़ राज्य की राजधानी बादम बनी. उसी दौरान रामगढ़ रांची के छठे राजा हेमंत सिंह ने अपने किले की स्थापना बादम के बादमाही नदी के तट पर किया. बादमाही नदी को अब हराहरो नदी के तौर पर जाना जाता है.
हेमंत सिंह के बाद राजा दलेल सिंह ने इस किले को बचाने के लिए हराहरो नदी की धारा को बदलने के लिए चट्टान को काटा दिया. इसके बाद नदी ने अपना रास्ता बदल लिया. कहा जाता है कि अगर नदी का रास्ता नहीं बदला जाता तो किले पर भी आफत पड़ सकता था. किले को बचाने के लिए राजा हेमंत सिंह 5 देवियों की पूजा अर्चना करते थे. आज भी इन्हीं देवियों की पूजा होती है.
मंदिर के पुजारी विकास कुमार मिश्र कहते हैं कि पत्थर चढ़ाकर मुराद मांगने से मां हर कष्ट हर लेती हैं और भक्तों की सारी मुरादें पूरी कर देती हैं. यह अस्था ही है जिससे भक्त माता के मंदिर तक खींचे चले आते हैं.