हजारीबाग: इस बार गर्मी के मौसम में जिले के कई हिस्सों में तरबूज की खेती हुई है. तरबूज की खेती मुनाफा वाली खेती मानी जाती है. इस कारण किसानों का झुकाव भी इस ओर काफी हुआ है, लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से किसानों के चेहरे पर उदासी छाई हुई है. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए हजारीबाग के समाजसेवी श्रद्धानंद सिंह ने एक कोशिश की है.
किसानों को नहीं मिल रहा ग्राहक
इस वक्त देश विकट परिस्थिति से गुजर रहा है. खेत में लहराते फसल है, लेकिन बाजार नहीं मिल रहा है. अगर बाजार मिल रहा है तो कीमत नहीं मिल रही है. ऐसे में किसान बेहद चिंतित है. शुरूआती दौर में जिन किसानों ने तरबूज बाजारों में बेचा, उन्हें अच्छा मुनाफा मिला है. इनाम पोर्टल के जरिए उन्होंने अपना उत्पाद बेचा है, लेकिन अब जब बजार में मांग कम हो गई है और हजारीबाग के बाजार में ग्राहक नहीं मिल रहे हैं तो यह किसान बहुत ही परेशान है.
किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट
ऐसे में हजारीबाग के समाजसेवी श्रद्धानंद सिंह ने कोशिश की है कि किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाया जा सके. उन्होंने कई किसानों के तरबूज खेत से ही खरीद लिया है और उन्हें उचित मूल्य भी दिया है, ताकि उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ सके और वह अपना जीवन अच्छा से व्यतीत कर सकें. श्रद्धानंद का कहना है कि उनका यह छोटा सा प्रयास अगर किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाता है तो इससे बड़ी खुशी उन्हें नहीं मिलेगी. उन्होंने खेत से खरीदे हुए तरबूज को हजारीबाग विधायक मनीष जयसवाल को शौप दिया है.
गरीब लोग मीठे तरबूज का करेंगे सेवन
विधायक मनीष जयसवाल तरबूज को उनके यहां चल रहे नमो आहार केंद्र में पहुंचाकर गरीब लोगों को खिलाएंगे. उनका कहना है कि वो लोग पिछले 45 दिनों से गरीब लोगों को खाना खिला रहे हैं. अब उन्हें मीठे तरबूज का भी सेवन कराया जाएगा. इससे दो फायदा होगा. पहला किसानों को आर्थिक रूप से मदद मिलेगी तो दूसरी ओर जो हमारे यहां गरीब तबके के लोग खाना खाने आ रहे हैं, उन्हें पौष्टिक फल भी प्राप्त होगा. श्रद्धानंद और मनीष जयसवाल एक अच्छे मित्र भी हैं.
पर्दे के पीछे से लोगों की सेवा
हजारीबाग जिला में कई ऐसे लोग हैं जो प्रत्यक्ष रूप से कोरोना योद्धा के रूप में देखे जा रहे हैं, लेकिन पर्दे के पीछे ना जाने कितने लोग ऐसे भी हैं जो अपना महत्वपूर्ण योगदान इस युद्ध में दे रहे हैं. जरूरत है समाज के हर तबके को इन लोगों से सीख लेने की.