हजारीबाग: हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस बार पूजा को लेकर उत्साह तो है लेकिन मूर्ति खरीदारी में उत्साह नहीं दिख रहा है. पिछले 3 दिनों से लगातार हो रही बारिश ने मूर्ति व्यवसाय पर बुरा असर डाला है. मूर्ति सूख नहीं रही है. मूर्ति का रंग भी पक्का नहीं हो पा रहा है जिसके कारण ग्राहक मूर्ति लेकर संतुष्ट नहीं हो रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर महंगाई ने मूर्तिकारों की कमर तोड़ दी है.
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मूर्ति बनाकर जीवन यापन करते हैं 25 परिवार
विश्वकर्मा पूजा के दौरान मूर्ति स्थापित कर पूजा करने की पुरानी परंपरा रही है. ऐसे में कुम्हार भी इंतजार करते हैं कि इस तरह के मौके आएं और मूर्ति बेचकर अपना जीवन यापन कर सकें. हजारीबाग में भी करीब 20 से 25 ऐसे परिवार हैं जो मूर्ति बनाकर ही अपना जीवन यापन करते हैं. लेकिन, इस बार मूर्तिकारों के चेहरे पर मायूसी दिख रही है. पिछले 3 दिनों से झमाझम बारिश के कारण मूर्ति तैयार नहीं हो पाई. जो रंग मूर्ति पर किया जाता था वह सूखा भी नहीं है. इस कारण ग्राहक भी मूर्ति देखकर संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं.
मूर्तिकारों ने काफी मेहनत से बारिश से बचाते हुए कुछ मूर्तियां बनाई हैं. उन्हें बेचा जा रहा है. मूर्तिकार भी कहते हैं कि एक तरफ सामान का दाम बढ़ता जा रहा है तो दूसरी ओर मौसम की मार भी पड़ी है. ग्राहक कुछ समझने को तैयार नहीं है. संक्रमण के कारण भी अब पहले जैसी मूर्तियां नहीं बिकती हैं. इसके चलते मूर्ति के कारोबारी पर काफी बुरा असर पड़ा है. मूर्तिकारों का कहना है कि सरकार को शिल्पकारों के लिए विशेष इंतजाम करना चाहिए. हम लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि और बढ़िया तरीके से काम कर सकें. जिससे झारखंड का नाम भी रोशन हो.