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हजारीबाग: जमीन अधिग्रहण के बाद कोल कंपनी ने नहीं किया काम, रैयतों को वापस होगी जमीन - Ryots got back land taken for mining

झारखंड में पहली बार कंपनी के काम नहीं करने पर अधिग्रहित जमीन रैयतों को जमीन वापस करने का आदेश सरकार ने दिया है. जिन रैयतों की जमीन अधिग्रहित कर लौटाई गई है. वे हजारीबाग के पसेरिया और बरबनिया गांव के हैं.

Ryots got back land taken for mining in Hazaribag
हजारीबाग में माइनिंग के लिए ली गई जमीन रैयतों को वापस
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Published : Feb 19, 2021, 4:08 PM IST

हजारीबाग: राज्य गठन के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है कि कंपनी के काम नहीं करने पर अधिग्रहित जमीन रैयतों को वापस किया जा रहा है. बड़कागांव अंचल के 26 रैयतों को लगभग 60 एकड़ जमीन वापस करने का आदेश सरकार ने दिया है. ऐसे में बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने सरकार का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में कोई भी कंपनी इस तरह की धोखाधड़ी करती है तो उसके खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई होगी.

देखें पूरी खबर
ये भी पढ़ें-रांची: जमीन अधिग्रहण के नाम पर 13 लाख की ठगी, प्राथमिकी दर्ज

जमीन वापस देने का आदेश
पीठासीन पदाधिकारी सह मंत्री चंपई सोरेन की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. जिन रैयतों की जमीन अधिग्रहित कर लौटाई गई है. वे पसेरिया और बरबनिया गांव के हैं. कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि कई कंपनियों ने माइनिंग के लिए 2011 से 15 के बीच रैयतों का जमीन अधिग्रहित किया था, लेकिन साल बीत जाने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ. ऐसे में अधिग्रहण करने का फायदा भी नहीं हुआ. इस कारण यह फैसला दिया गया है. फैसला आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अगर कोई कंपनी जमीन का अधिग्रहण करेगी और इकरार के अनुसार, काम नहीं करेगी तो सरकार जमीन वापस देने का भी आदेश दे सकती है.

हजारीबाग: राज्य गठन के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है कि कंपनी के काम नहीं करने पर अधिग्रहित जमीन रैयतों को वापस किया जा रहा है. बड़कागांव अंचल के 26 रैयतों को लगभग 60 एकड़ जमीन वापस करने का आदेश सरकार ने दिया है. ऐसे में बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने सरकार का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में कोई भी कंपनी इस तरह की धोखाधड़ी करती है तो उसके खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई होगी.

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जमीन वापस देने का आदेश
पीठासीन पदाधिकारी सह मंत्री चंपई सोरेन की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. जिन रैयतों की जमीन अधिग्रहित कर लौटाई गई है. वे पसेरिया और बरबनिया गांव के हैं. कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि कई कंपनियों ने माइनिंग के लिए 2011 से 15 के बीच रैयतों का जमीन अधिग्रहित किया था, लेकिन साल बीत जाने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ. ऐसे में अधिग्रहण करने का फायदा भी नहीं हुआ. इस कारण यह फैसला दिया गया है. फैसला आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अगर कोई कंपनी जमीन का अधिग्रहण करेगी और इकरार के अनुसार, काम नहीं करेगी तो सरकार जमीन वापस देने का भी आदेश दे सकती है.

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