हजारीबागः राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है. जिसके तहत राज्य एवं केंद्र सरकार की कई योजना भी चल रही है लेकिन जिसने भरोसे ये योजना चल रही है, उसना हाल ही खस्ता है. झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी है. ऐसे में स्वास्थ्य सुविधा जनता तक कैसे पहुंचाया जाए ये एक बड़ा सवाल है.
डिग्री लेकर बाहर नहीं जा सकेंगे डॉक्टर
झारखंड सरकार ने वर्तमान समय में एम्स सहित 5 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की है. जो आने वाले दिनों में शुरू हो जाएगी. जहां से प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में लगभग 900 डॉक्टर पास होकर जनता को सेवा देंगे लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि जो डॉक्टर पढ़ाई करके डिग्री लेते है वो बाहर चले जाते हैं. ऐसे में फिर से वही स्थिति रह जाती है. इसे देखते हुए इसबार राज्य सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है की झारखंड से जो भी डॉक्टर पढ़ाई पूरा करते हैं उन्हें कम से कम 2 साल झारखंड में ही सेवा देना होगा. अगर वे फिर भी बाहर जाना चाहते हैं तो उन्हें 30 लाख रूपए फाइन देना होगा.
पूरे देश में डॉक्टरों की कमी
इसकी जानकारी झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दी. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही झारखंड में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की शिक्षा शुरू हो जाएगी. जिससे राज्य में डॉक्टरों की कमी खत्म हो जाएगी और स्वास्थ्य व्यवस्था भी बेहतर हो होगी. इस बाबत बहुत जल्दी दिल्ली जाकर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी सिर्फ झारखंड ही बल्कि पूरे नहीं देश में है. झारखंड सरकार लगातार प्रयासरत है कि राज्य में डॉक्टरों की कमी ना हो.
ये भी पढ़ें- पत्थलगड़ी मामले में बड़े आरोपियों पर कार्रवाई नहीं, मुख्यालय ने प्रभावित जिलों के एसपी से मांगी रिपोर्ट
19 हजार पर मात्र 1 डॉक्टर
एक सर्वे के मुताबिक देश में डॉक्टरों की भारी कमी है. फिलहाल देश में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर है. राज्य के आंकड़े पर नजर डालें तो 7 हजार की आबादी पर अस्पतालों में औसतन एक बेड है. 19 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर. डॉक्टरों की कमी होने का नतीजा यह है कि झोलाछाप डॉक्टरों को लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का मौका मिल रहा है. बता दें कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों की स्थिति बहुत ही खराब है.