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झारखंड छोड़कर गए डॉक्टर तो देना होगा 30 लाख फाइन, 2 साल से पहले नहीं छोड़ सकते राज्य

झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी है. जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग आए दिन कई उपाय कर रही है. बता दें कि अब मेडिकल कॉलेजों से डिग्री लेकर डॉक्टर राज्य नहीं छोड़ सकते है. उन्हें कम से कम 2 साल झारखंड में ही सेवा देनी होगी.

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Published : Jun 26, 2019, 1:08 PM IST

डॉक्टरों की कमी झेल रही जनता

हजारीबागः राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है. जिसके तहत राज्य एवं केंद्र सरकार की कई योजना भी चल रही है लेकिन जिसने भरोसे ये योजना चल रही है, उसना हाल ही खस्ता है. झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी है. ऐसे में स्वास्थ्य सुविधा जनता तक कैसे पहुंचाया जाए ये एक बड़ा सवाल है.

देखें पूरी खबर

डिग्री लेकर बाहर नहीं जा सकेंगे डॉक्टर

झारखंड सरकार ने वर्तमान समय में एम्स सहित 5 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की है. जो आने वाले दिनों में शुरू हो जाएगी. जहां से प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में लगभग 900 डॉक्टर पास होकर जनता को सेवा देंगे लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि जो डॉक्टर पढ़ाई करके डिग्री लेते है वो बाहर चले जाते हैं. ऐसे में फिर से वही स्थिति रह जाती है. इसे देखते हुए इसबार राज्य सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है की झारखंड से जो भी डॉक्टर पढ़ाई पूरा करते हैं उन्हें कम से कम 2 साल झारखंड में ही सेवा देना होगा. अगर वे फिर भी बाहर जाना चाहते हैं तो उन्हें 30 लाख रूपए फाइन देना होगा.

पूरे देश में डॉक्टरों की कमी
इसकी जानकारी झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दी. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही झारखंड में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की शिक्षा शुरू हो जाएगी. जिससे राज्य में डॉक्टरों की कमी खत्म हो जाएगी और स्वास्थ्य व्यवस्था भी बेहतर हो होगी. इस बाबत बहुत जल्दी दिल्ली जाकर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी सिर्फ झारखंड ही बल्कि पूरे नहीं देश में है. झारखंड सरकार लगातार प्रयासरत है कि राज्य में डॉक्टरों की कमी ना हो.

ये भी पढ़ें- पत्थलगड़ी मामले में बड़े आरोपियों पर कार्रवाई नहीं, मुख्यालय ने प्रभावित जिलों के एसपी से मांगी रिपोर्ट

19 हजार पर मात्र 1 डॉक्टर

एक सर्वे के मुताबिक देश में डॉक्टरों की भारी कमी है. फिलहाल देश में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर है. राज्य के आंकड़े पर नजर डालें तो 7 हजार की आबादी पर अस्पतालों में औसतन एक बेड है. 19 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर. डॉक्टरों की कमी होने का नतीजा यह है कि झोलाछाप डॉक्टरों को लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का मौका मिल रहा है. बता दें कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों की स्थिति बहुत ही खराब है.

हजारीबागः राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है. जिसके तहत राज्य एवं केंद्र सरकार की कई योजना भी चल रही है लेकिन जिसने भरोसे ये योजना चल रही है, उसना हाल ही खस्ता है. झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी है. ऐसे में स्वास्थ्य सुविधा जनता तक कैसे पहुंचाया जाए ये एक बड़ा सवाल है.

देखें पूरी खबर

डिग्री लेकर बाहर नहीं जा सकेंगे डॉक्टर

झारखंड सरकार ने वर्तमान समय में एम्स सहित 5 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की है. जो आने वाले दिनों में शुरू हो जाएगी. जहां से प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में लगभग 900 डॉक्टर पास होकर जनता को सेवा देंगे लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि जो डॉक्टर पढ़ाई करके डिग्री लेते है वो बाहर चले जाते हैं. ऐसे में फिर से वही स्थिति रह जाती है. इसे देखते हुए इसबार राज्य सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है की झारखंड से जो भी डॉक्टर पढ़ाई पूरा करते हैं उन्हें कम से कम 2 साल झारखंड में ही सेवा देना होगा. अगर वे फिर भी बाहर जाना चाहते हैं तो उन्हें 30 लाख रूपए फाइन देना होगा.

पूरे देश में डॉक्टरों की कमी
इसकी जानकारी झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दी. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही झारखंड में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की शिक्षा शुरू हो जाएगी. जिससे राज्य में डॉक्टरों की कमी खत्म हो जाएगी और स्वास्थ्य व्यवस्था भी बेहतर हो होगी. इस बाबत बहुत जल्दी दिल्ली जाकर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी सिर्फ झारखंड ही बल्कि पूरे नहीं देश में है. झारखंड सरकार लगातार प्रयासरत है कि राज्य में डॉक्टरों की कमी ना हो.

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19 हजार पर मात्र 1 डॉक्टर

एक सर्वे के मुताबिक देश में डॉक्टरों की भारी कमी है. फिलहाल देश में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर है. राज्य के आंकड़े पर नजर डालें तो 7 हजार की आबादी पर अस्पतालों में औसतन एक बेड है. 19 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर. डॉक्टरों की कमी होने का नतीजा यह है कि झोलाछाप डॉक्टरों को लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का मौका मिल रहा है. बता दें कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों की स्थिति बहुत ही खराब है.

Intro:राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है ।जिसके तहत राज्य एवं केंद्र सरकार की कई योजना भी चल रही है। लेकिन जिसके भरोसे योजना चल रही है उसका हाल ही खस्ता है। झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी है। ऐसे में स्वास्थ्य सुविधा कैसे जनता तक पहुंचे यह एक बड़ा सवाल है।


Body:झारखंड सरकार वर्तमान समय में ऐम्स सहित पांच मेडिकल कॉलेज की स्थापना किया है। जो आने वाले दिनों में शुरू हो जाएगी ।जहां से प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में लगभग 900 डॉक्टर पास होकर जनता को सेवा देंगे। लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है जो डॉक्टर पढ़ाई करके डिग्री लेते हैं वह बाहर चले जाते हैं। ऐसे में फिर से वही स्थिति रह जाती है। इसे देखते हुए इस बार राज सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड से जो भी डॉक्टर पढ़ाई पूरा कर लेंगे। उसे कम से कम 2 साल झारखंड में ही सेवा देना होगा। अगर वह बाहर जाएंगे तूने ₹30 लाख रूपये फाइन देना होगा। इस बात की जानकारी हजारीबाग में कार्यक्रम के दौरान झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने दिया है। उन्होंने कहा है कि बहुत जल्द ही झारखंड में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की शिक्षा शुरू हो जाएगी।जिससे राज्य में डॉक्टरों की कमी खत्म हो जाएगी और स्वास्थ्य व्यवस्था भी बेहतर हो जाएगी। इस बाबत बहुत जल्दी दिल्ली जाकर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टरों की कमी सिर्फ हमारा झारखंड ही नहीं देश मे है। लेकिन झारखंड सरकार लगातार प्रयासरत है कि राज्य में डॉक्टरों की कमी ना हो।

एक सर्वे के मुताबिक देश में डॉक्टर की भारी कमी है और फिलहाल देश में 11082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर है।

राज्य के आंकड़े पर नजर डाले तो 7000 की आबादी पर अस्पतालों में औसतन एक बेड है।19000 की आबादी पर एक डॉक्टर।

byte.... रामचंद्र चंद्रवंशी स्वास्थ्य मंत्री झारखंड सरकार


Conclusion:डॉक्टरों की कमी होने का नतीजा यह है कि झोलाछाप डॉक्टरों को लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का मौका मिल जाता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों की स्थिति बहुत ही खराब है। इन इलाकों में डॉक्टर छाप डॉक्टरों की तादाद में भारी इजाफा भी हुआ है। जिस कारण मरीजों की मौत भी हो रही है। इसे रोकने के लिए जिस तरह से सरकार ने कदम उठाया है वह प्रशंसनीय है। लेकिन यह बात स्पष्ट है कि डॉक्टरों की संख्या अगर देश में नहीं बढ़ती है तो इसका परिणाम बहुत ही बुरा होगा।
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