हजारीबागः जिले के बड़कागांव में एनटीपीसी का मामला गंभीर होता जा रहा है. जुलाई और सितंबर महीने में यहां कोयले का खनन और धुलाई बंद है. ऐसे में करोड़ों रुपए का नुकसान राज्य और भारत सरकार को हुआ है. दूसरी ओर एनटीपीसी का भी भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में अब एनटीपीसी के पदाधिकारी भी सामने आ रहे हैं और उन्होंने ग्रामीणों से अपील किया है कि वह राज्य सरकार के जरिए एनटीपीसी के पास पहुंचे, क्योंकि राज्य सरकार ने जो आदेश दिया था उसी के अनुरूप मुआवजे की राशि दी जा रही है.
कोयला ठुलाई बंद होने के कारण करोड़ों का नुकसान
मुआवजा और नौकरी की मांग को लेकर बड़कागांव में रैयत धरना में है, जिस कारण कोयला उत्खनन और ट्रांसपोर्टेशन का काम बंद है. ग्रामीण जगह-जगह पर तंबू लगाकर पिछले कई दिनों से विरोध दर्ज करा रहे हैं. ऐसे में कोयला ठुलाई बंद होने के कारण एनटीपीसी, केंद्र और राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ है. पदाधिकारियों की मानी जाए तो केंद्र और राज्य सरकार को लगभग 100 करोड़ राजस्व का नुकसान हुआ है. दूसरी ओर एनटीपीसी को 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसे देखते हुए एनटीपीसी के पदाधिकारी काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि यह राष्ट्रीय क्षति है.
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मुआवजा समेत अन्य बेनिफिट
एनटीपीसी के पदाधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के द्वारा राज्यपाल के आदेश के आधार पर संकल्प जारी किया गया था, जिसमें मुआवजा की राशि तय की गई थी. उसी के आधार पर लोग मुआवजा समेत अन्य बेनिफिट ग्रामीणों को दे रहे हैं.
आग लगने के कारण कोयला बर्बाद
एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक प्रशांत कच्छप ने ग्रामीणों से अपील किया है कि अगर वह अपनी बात कंपनी तक पहुंचाना चाहते हैं तो उन्हें राज्य सरकार के जरिए ही अपनी बात रखनी होगी. एनटीपीसी को मुआवजा बढ़ाने का अधिकार है और न ही घटाने का अधिकार है. वहीं, दूसरी ओर स्टॉक किए गए 5 लाख टन में आग लगने के कारण कोयला भी बर्बाद हो रहा है.