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बिरहोर का अपना बैंकः बचत का 10 रुपया विपदा में आता है काम - झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी

आदिम जनजाति बिरहोर, जंगलों में निवास करने वाले, सरकारी सुविधाओं से दूर. फिर भी वो अपनी जीवनशैली में सुधार की प्रबल इच्छाशक्ति रखते हैं. इसकी बानगी नजर आई बचत बैंक से, जिसे हजारीबाग के कंडसार बिरहोर टोला के लोगों ने खुद मिलकर बनाया है.

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बिरहोर का अपना बैंक
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Published : Aug 10, 2021, 5:02 PM IST

Updated : Aug 10, 2021, 9:37 PM IST

हजारीबागः बिरहोर झारखंड की आदिम जनजातियों में एक है. वर्तमान में राज्य में इस जनजाति के लगभग 11000 लोग रहते हैं. लेकिन अब इस जनजाति में परिवर्तन दिख रहा है. जो कभी जंगलों में रहा करते थे, अब वो सरकार की ओर से बनाए गए टंडा में रह रहे हैं और इनमें बचत की भावना आ गई है. हजारीबाग के कंडसार बिरहोर टोला के लोगों ने अपना ही बचत बैंक बना लिया है.

इसे भी पढ़ें- मैट्रिक में फर्स्ट डिवीजन से पास करने वाली पहली बिरहोर छात्रा हैं पायल, टीचर बनकर जनजातीय समुदाय में जगाएंगी शिक्षा की अलख


सरकार ने बिरहोर जनजाति के उत्थान को लेकर कई योजनाएं चला रही हैं. इन्हें संरक्षित करने के लिए कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. लेकिन अब बिरहोर भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि अपनी जनजाति को समय के साथ चलना है. वैसे तो बिरहोर प्रकृति प्रेमी हैं और जंगलों में निवास करना ही पसंद करते हैं. इस कारण इनके रहने की जगह जिसे टंडा कहा जाता है उसे भी जंगल के क्षेत्र के से नजदीक बनाया जाता है ताकि वह प्रकृति से जुड़े रहे.

देखें पूरी खबर

जंगल पर निर्भर करने वाले यह बिरहोर अब खेती भी कर रहे हैं और अपने जीवन यापन करने के लिए व्यवसाय भी कर रहे हैं. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिरहोर महिलाओं में बचत की भावना भी उत्पन्न हो रही है. हजारीबाग के कंडसार बिरहोर टंडा की महिलाएं अपना निजी बैंक भी बनाया है. बिरहोर महिलाएं जिसमें 10 रुपया जमा करती हैं और फिर जिस बिरहोर को आवश्यकता होती है उसे मदद किया जाता है.

काम हो जाने पर बैंक से लिया गया पैसा वापस करना होता है. इसके लिए बकायदा रजिस्टर भी बनाया गया है. जिसमें बिरहोर की लेनदेन की जानकारी दर्ज है. बिरहोर महिला बताती हैं कि वर्तमान समय में हम लोगों के पास लगभग 1100 रुपया है. हम लोग मजदूरी या फिर रस्सी बेचकर पैसा कमाते हैं. इस बैंक में 10 रुपया प्रत्येक सप्ताह जमा करते हैं, जब किसी को आवश्यकता होती है तो उसे पैसा दिया जाता है.

इस बचत बैंक से हम लोगों की आवश्यकता पूरी होती है, खासकर जब कोई बीमार पड़ता है तो हम लोगों पैसा उसे देते हैं. इस बात को लेकर स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया गया है. जिसमें 12 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं.

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बैंक में पैसा जमा करतीं बिरहोर महिला

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी भी इन बिरहोर की मदद कर रही है. सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी उन्हें दी जाती है. उन्हें बैंक से जोड़ने का काम भी सोसायटी कर रही है. सोसाइटी के सदस्य भी ईटीवी भारत की टीम को बिरहोर टंडा में मिले. उन्होंने बताया कि बकरी पालन, ट्रैक्टर, सब्जी की खेती करना समेत अन्य कार्य के लिए मदद किया कर रहे हैं.

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बिरहोर बचत बैंक का अलग-अलग रजिस्टर

इसे भी पढ़ें- विश्व आदिवासी दिवस: सरकार की पहल के बाद भी नहीं बदली सूरत, केवल वोट बैंक के लिए किया जाता रहा उपयोग

सोसाइटी के सदस्य करते हैं मदद

सोसाइटी के सदस्य इन लोगों को बैंक ले जाते हैं, उनके दस्तावेज का काम निपटाते हैं. बैंक इन लोगों को लोन देने के लिए भी तैयार है. लेकिन अभी इनमें पैसे बैंक को वापस करने की प्रवृत्ति नहीं बनी है. इस कारण इन्हें लोन नहीं मिल पाता है. लेकिन इनके जीवन स्तर को ऊंचा करने के लिए सरकार ने इन्हें पैसे देने का भी प्रावधान किया है. जिसे वापस करने की आवश्यकता नहीं होती है. उस योजना का जानकारी देना और इन्हें लाभ दिलवाने का काम हम लोग करते हैं.

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लोन रजिस्टर यानी ऋण पुस्तिका

जेएसएलपीएस सदस्यों का कहना है कि जिस तरह इनमें अब बचत और आपस में पैसों का लेनदेन कर रहे हैं, इनमें धीरे-धीरे पैसे वापस करने की प्रवृत्ति भी आ रही है. जिससे इनके जीवन स्तर में परिवर्तन भी आ रहा है. हाल के दिनों में सरकार के योजना के तहत बकरी पालन और शेड का निर्माण भी इन लोगों ने किया है. जिससे यह आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं और पैसे भी कमा रहे हैं.

हजारीबागः बिरहोर झारखंड की आदिम जनजातियों में एक है. वर्तमान में राज्य में इस जनजाति के लगभग 11000 लोग रहते हैं. लेकिन अब इस जनजाति में परिवर्तन दिख रहा है. जो कभी जंगलों में रहा करते थे, अब वो सरकार की ओर से बनाए गए टंडा में रह रहे हैं और इनमें बचत की भावना आ गई है. हजारीबाग के कंडसार बिरहोर टोला के लोगों ने अपना ही बचत बैंक बना लिया है.

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सरकार ने बिरहोर जनजाति के उत्थान को लेकर कई योजनाएं चला रही हैं. इन्हें संरक्षित करने के लिए कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. लेकिन अब बिरहोर भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि अपनी जनजाति को समय के साथ चलना है. वैसे तो बिरहोर प्रकृति प्रेमी हैं और जंगलों में निवास करना ही पसंद करते हैं. इस कारण इनके रहने की जगह जिसे टंडा कहा जाता है उसे भी जंगल के क्षेत्र के से नजदीक बनाया जाता है ताकि वह प्रकृति से जुड़े रहे.

देखें पूरी खबर

जंगल पर निर्भर करने वाले यह बिरहोर अब खेती भी कर रहे हैं और अपने जीवन यापन करने के लिए व्यवसाय भी कर रहे हैं. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिरहोर महिलाओं में बचत की भावना भी उत्पन्न हो रही है. हजारीबाग के कंडसार बिरहोर टंडा की महिलाएं अपना निजी बैंक भी बनाया है. बिरहोर महिलाएं जिसमें 10 रुपया जमा करती हैं और फिर जिस बिरहोर को आवश्यकता होती है उसे मदद किया जाता है.

काम हो जाने पर बैंक से लिया गया पैसा वापस करना होता है. इसके लिए बकायदा रजिस्टर भी बनाया गया है. जिसमें बिरहोर की लेनदेन की जानकारी दर्ज है. बिरहोर महिला बताती हैं कि वर्तमान समय में हम लोगों के पास लगभग 1100 रुपया है. हम लोग मजदूरी या फिर रस्सी बेचकर पैसा कमाते हैं. इस बैंक में 10 रुपया प्रत्येक सप्ताह जमा करते हैं, जब किसी को आवश्यकता होती है तो उसे पैसा दिया जाता है.

इस बचत बैंक से हम लोगों की आवश्यकता पूरी होती है, खासकर जब कोई बीमार पड़ता है तो हम लोगों पैसा उसे देते हैं. इस बात को लेकर स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया गया है. जिसमें 12 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं.

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बैंक में पैसा जमा करतीं बिरहोर महिला

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी भी इन बिरहोर की मदद कर रही है. सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी उन्हें दी जाती है. उन्हें बैंक से जोड़ने का काम भी सोसायटी कर रही है. सोसाइटी के सदस्य भी ईटीवी भारत की टीम को बिरहोर टंडा में मिले. उन्होंने बताया कि बकरी पालन, ट्रैक्टर, सब्जी की खेती करना समेत अन्य कार्य के लिए मदद किया कर रहे हैं.

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बिरहोर बचत बैंक का अलग-अलग रजिस्टर

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सोसाइटी के सदस्य करते हैं मदद

सोसाइटी के सदस्य इन लोगों को बैंक ले जाते हैं, उनके दस्तावेज का काम निपटाते हैं. बैंक इन लोगों को लोन देने के लिए भी तैयार है. लेकिन अभी इनमें पैसे बैंक को वापस करने की प्रवृत्ति नहीं बनी है. इस कारण इन्हें लोन नहीं मिल पाता है. लेकिन इनके जीवन स्तर को ऊंचा करने के लिए सरकार ने इन्हें पैसे देने का भी प्रावधान किया है. जिसे वापस करने की आवश्यकता नहीं होती है. उस योजना का जानकारी देना और इन्हें लाभ दिलवाने का काम हम लोग करते हैं.

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लोन रजिस्टर यानी ऋण पुस्तिका

जेएसएलपीएस सदस्यों का कहना है कि जिस तरह इनमें अब बचत और आपस में पैसों का लेनदेन कर रहे हैं, इनमें धीरे-धीरे पैसे वापस करने की प्रवृत्ति भी आ रही है. जिससे इनके जीवन स्तर में परिवर्तन भी आ रहा है. हाल के दिनों में सरकार के योजना के तहत बकरी पालन और शेड का निर्माण भी इन लोगों ने किया है. जिससे यह आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं और पैसे भी कमा रहे हैं.

Last Updated : Aug 10, 2021, 9:37 PM IST
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