हजारीबाग: जिले में धान घोटाला हुआ है. जांच के दौरान इसकी पुष्टि भी हो चुकी है. स्थिति यह है कि पैसे की वसूली के लिए नीलम पत्रवाद का मामला भी दर्ज किया गया है. अब कहा जा रहा है कि 82 हजार क्विंटल धान के बराबर नुकसान की भरपाई की जानी है. यह रकम करीब 13 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. उधर, विभाग की ओर से शिकायत दर्ज कराने के बाद कार्रवाई भी शुरू हो गयी है. बताया जा रहा है कि 82 हजार क्विंटल पैक्सों से धान लेने के बाद विभाग मुकर गया है. मामले में आरोपों की पुष्टि होने के बाद उपायुक्त के निर्देश पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी सुधीर कुमार ने पैसा वसूली के खिलाफ पत्र वाद दायर किया है. मंगलवार को सदर थाने में मील संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी की प्राथमिकी भी दर्ज करायी जायेगी. यह जानकारी जिला आपूर्ति पदाधिकारी सुधीर कुमार ने दी है.
राइस मिल को ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया तेज: दारू प्रखंड के कव्वाली में तृप्ति राइस मिल चल रही है. खाद्य आपूर्ति विभाग के पत्राचार के आलोक में अब उसे ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया तेज कर दी गयी है. तृप्ति राइस मिल जिले में धान घोटाले का आरोपी बनने वाली सातवीं मिल है, जिस पर करोड़ों रुपये के गबन का आरोप लगा है. इससे पहले संकट मोचन राइस मिल पर 12.82 करोड़ रुपये, आदित्य राइस मिल पर 10.48 करोड़ रुपये, गणपति राइस मिल पर 7.87 करोड़ रुपये, लकी राइस मिल पर 7.18 करोड़ रुपये और हजारीबाग राइस मिल पर 3.72 करोड़ रुपये के धान के गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है.
सदर प्रखंड के केरेडारी, बड़कागांव, विष्णुगढ़, मुफ्फसिल, कटकमसांडी, टाटीझरिया और कटकमदाग थाने में मंगलवार को चेयरमैन के खिलाफ 7 करोड़ रुपये से अधिक गबन के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने की संभावना है.
गबन के आरोपियों की सूची इस प्रकार है:
- हेमकुंट राईस मील से टैग मनातू पैक्स - 8391.16 क्विंटल
- कुसंभा पैक्स : 11347.3 क्विंटल
- गरसुल्ला पैक्स : 4133.55 क्विंटल
- तृप्ति राइस मील से टैग सिलवार कलां पैक्स - 2637.36 क्विंटल
- पेटो पैक्स : 12990.05 क्विंटल
- चेडरा पैक्स : 1109.04 क्विंटल
- धर्मपुर पैक्स : 27.14 क्विंटल
2022 में हजारीबाग राइस मिल के खिलाफ 3.73 करोड़ रुपये के गबन की एफआईआर दर्ज की गई थी. फिर 2023 में विभाग तृप्ति राइस मिल के खिलाफ मंगलवार को गबन की एफआईआर दर्ज करा रहा है. ऐसे में विभाग और उसके अधीनस्थों पर कई सवाल खड़े हो गए हैं. जिसका जवाब किसी के पास नहीं है. किसान अपने खेतों से धान काट कर पैक्स को देंगे. इस दौरान पैसों के घोटाले का मामला सामने आ रहा है. ऐसे में किसान भी सोचने को मजबूर हैं कि वे अपना धान पैक्स को दें या व्यापारियों को.
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