हजारीबाग: कोरोना काल को देखते हुए युद्धस्तर पर पूरे देश में अस्पतालों को अपडेट किया जा रहा है. मरीजों की जान बचाने के लिए अस्पतालों में सारे इंतजाम किए जा रहे हैं. हजारीबाग के जरबा पंचायत (Jarba Panchayat) के दासोखाप गांव में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) का उद्घाटन 6 महीने पहले हुआ था, लेकिन अस्पताल में अब तक मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है, क्योंकि अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं हैं. लोगों को अस्पताल की सुविधा नहीं मिलने के कारण ग्रामीण खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं. जबकि बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा ने जरबा गांव को लिया है, उसके बाद भी इस गांव की स्थिति बद से बदतर है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर 2014 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन पर सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत सभी सांसदों को एक गांव गोद लेना था, ताकि उस गांव की तस्वीर और तकदीर बदली जा सके. हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने भी जरबा गांव को गोद लिया था, लेकिन योजना के शुरु हुए लगभग 6 साल बाद भी इस गांव की स्थिति बेहद खराब है. गांव में ना सड़क है और ना ही नाली.
29 दिसंबर 2020 को अस्पताल भवन तैयार
जरबा गांव के लोगों को स्वास्थ्य सेवा मिल सके इसे लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया, जिसका शिलान्यास सांसद जयंत सिन्हा ने किया था. 6 महीने पहले अस्पताल भवन का विधिवत उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया. 29 दिसंबर 2020 को अस्पताल भवन आम जनता के लिए तैयार हो गया, लेकिन इस अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई, जिसके कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है. अगर अस्पताल में डॉक्टर बैठते तो हेंदेगढा, इंदिरा जरबा और जरबा पंचायत के मरीजों को इलाज के लिए जहां-तहां भटकना नहीं पड़ता. इस तीनों पंचायत में लगभग 12 से अधिक गांव हैं और तीनों पांचायतों की आबादी लगभग 1.5 लाख है. ग्रामीणों का कहना है अस्पताल भवन शोभा की वस्तु बनकर रह गया है.
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कोरोना काल में कई लोगों की मौत
ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान इस क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, अगर अस्पताल में डॉक्टर बैठते तो कोरोना काल में काफी मदद मिल जाती. उन्होंने बताया कि जरबा पंचायत के आसपास रहने वाले डेढ़ दर्जन लोगों की कोरोना काल में संदिग्ध मौत हुई है. लोगों की जान बच सके इसके लिए अस्पताल का शुरू होना बेहद जरूरी है. ग्रामीणों ने अस्पताल शुरू करवाने को लेकर जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली.
ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
वहीं अस्पताल निर्माण के लिए जमीन देने वाले ग्रामीण बताते हैं, कि इस जमीन में पहले खेती होती थी, सरकार ने जब अस्पताल बनाने के लिए इस जमीन की मांग की, तो जमीन दे दिया गया, ताकि गांव के लोगों को लाभ मिल सके, लेकिन अस्पतालों में अब तक डॉक्टरों की नियुक्ति ही नहीं हो सकी है, जिसके कारण लोग छला हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर कुछ दिनों में अस्पताल में मरीजों का इलाज शुरू नहीं हुआ तो आंदोलन किया जाएगा.
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महिलाओं को होती है काफी परेशानी
गांव की महिलाएं कहती हैं, कि डॉक्टरों से दिखाने के लिए 25 किलोमीटर दूर हजारीबाग जाना पड़ता है. अस्पताल जाने के लिए अतिरिक्त किराया भी देना होता है, अगर मरीजों की स्थिति गंभीर होती है तो काफी परेशानी होती है, भगवान भरोसे ही उसकी जान बचती है. उन्होंने बताया कि रात में प्रसूति करवाने के लिए किराये पर वाहन लेना पड़ता है, वो भी कभी समय पर मिलता है तो कभी नहीं मिलता है, वाहन अगर मिलता है तो अतिरिक्त किराया देना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ पड़ता है.