हजारीबाग: भारत देश मिट्टी का टुकड़ा नहीं, मां है. 1971 के युद्ध में आपके शौर्य को दुनिया ने माना है. इस विरासत को आपको संभालकर रखना चाहिए. आपको महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा रही है. आपके जिम्मे देश की सुरक्षा की बागडोर है. आपसे हमलोगों को काफी उम्मीद है. यह बातें शुक्रवार को राज्यपाल रमेश बैस ने कही. वे सीमा सुरक्षा बल मेरू स्थित रानी झांसी परेड ग्राउंड में पासिंग आउट परेड (पारण परेड) को संबोधित कर रहे थे. बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेश बैस ने परेड का निरीक्षण किया और परेड की सलामी भी ली.
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बता दें कि 368 नए प्रशिक्षु आरक्षकों ने परेड में सहभागिता ली. देश के हर कोने से आए आरक्षकों ने यहां प्रशिक्षण पूरा किया. चाहे वह असोम का हो या केरल का, तेलंगाना का हो, या जम्मू और कश्मीर का. इन्होंने 44 सप्ताह तक कठिन परिश्रम से प्रशिक्षण पूरा किया और पारण परेड(passing out parade hazaribag) में शामिल हुए. दीक्षांत परेड के बाद बीएसएफ जवानों ने संविधान की रक्षा, राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता बनाए रखने के लिए खुद को समर्पित करने की शपथ ली.
हजारीबाग की पहचान सीमा सुरक्षा बल प्रशिक्षण केंद्र के चलते पूरे देश में है. यहां कई दूसरे देशों के पदाधिकारी और जवान ट्रेनिंग लेते हैं. ट्रेनिंग के बाद शुक्रवार को ऐतिहासिक बीएसएफ प्रशिक्षण केंद्र एवं स्कूल के रानी लक्ष्मीबाई परेड ग्राउंड में 368 आरक्षक दीक्षांत परेड में शामिल हुए. अब ये जवान देश की सुरक्षा संभालेंगे. भव्य पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ बीएसएफ की बैंड की धुन ने पूरा माहौल देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया था. इस दौरान भारत माता की जय के जयकारे लगते रहे.
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जवानों को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस सेना और बीएसएफ के गौरवमयी इतिहास को लोगों को याद दिलाया. राज्यपाल रमेश बैस ने जवानों में जोश भी भरा कहा कि आपको आज से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा रही है. आपके जिम्मे देश की सुरक्षा की बागडोर है. आपसे हमलोगों को काफी उम्मीद है. 1971 का युद्ध आपके शौर्य की कहानी है, दुनिया ने इसको माना है. इस विरासत को आपको संभालकर रखना चाहिए. जीवन जीने की प्रेरणा सेना से सीखनी चाहिए.
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बीएसएफ में अपने सपूत भेज आपने किया बड़ा कामः समारोह में बीएसएफ पीएस बेंस महानिरीक्षक ने कहा कि वे बल में कर्तव्य निर्वहन के लिए प्रथम कदम रखने जा रहे हैं. उन्होंने आरक्षकों के माता-पिता एवं परिजनों को भी बधाई दी और कहा कि अपने सपूतों को, सीमा सुरक्षा बल में भेजकर देश सेवा के कार्य में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.