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हजारीबागः एक कर्मचारी के भरोसे चल रहा टीबी यूनिट केंद्र, मरीज हो रहे परेशान

हजारीबाग के बरही अनुमंडलीय अस्पताल में टीबी यूनिट केंद्र में मात्र एक कर्मचारी एसटीएलएस के पद पर कार्यरत है, जिसकी वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस संबंध में बरही विधायक ने कहा की स्वास्थ्य मंत्री के सामने मामला रखा जाएगा.

tb unit center at barhi sub divisional hospital in hazaribag
टीबी यूनिट केंद्र
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Published : Dec 19, 2020, 3:19 PM IST

Updated : Dec 19, 2020, 3:37 PM IST

हजारीबागः केंद्र सरकार की ओर से टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य 2025 तक रखा गया है, लेकिन बरही अनुमंडलीय अस्पताल में इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर्मचारियों का घोर अभाव है. यहां पर टीबी यूनिट केंद्र में मात्र एक कर्मचारी एसटीएलएस के पद पर विजेंद्र कुमार है. वहीं पूरे अनुमंडल क्षेत्र के टीबी मरीजों की ऑनलाइन एंट्री, सीबी नेट टेस्ट, प्रोत्साहन राशि देना, दवा वितरण आदि ऐसे सभी कार्य 2009 से अकेले ही कर रहा है.

देखें पूरी खबर

बरही में ही सीबी नेट टेस्ट की व्यवस्था
विभागीय आंकड़ों के अनुसार बरही अनुमंडल क्षेत्र के बरही, चौपारण, पदमा, चलकुशा और बरकट्ठा प्रखंड में 307 टीबी के मरीज हैं. जिन का इलाज और देखभाल टीबी यूनिट केंद्र बरही के ही भरोसे हैं. पूरे हजारीबाग जिले में टीबी रोग का सीबी नेट टेस्ट की व्यवस्था सदर अस्पताल हजारीबाग के अलावा बरही अनुमंडलीय अस्पताल में ही है.

बरही अनुमंडलीय अस्पताल में संचालित टीबी यूनिट केंद्र हर प्रकार की जरूरी मशीन और संसाधनों से लैस है, लेकिन यहां मानव कर्मी का घोर अभाव है. इस संबंध में बरही चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि टीवी यूनिट केंद्र में कर्मचारियों का अभाव है. इसके अलावा ड्रेसर स्वीपर सहित कई ऐसे पद हैं, जहां कर्मचारी न होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- जैक वेबसाइट पर मैट्रिक और इंटरमीडिएट का मॉडल प्रश्न पत्र जारी, परीक्षार्थियों को मिलेगी सहूलियत

मानव संसाधन की कमी

बरही, बरकट्ठा, चौपारण के लिए अलग-अलग टीबी यूनिट हैं, लेकिन तीनों यूनिट का कार्य मानव संसाधन की कमी के कारण बरही अनुमंडलीय अस्पताल के सेंटर में ही किया जाता है. टीबी का इलाज चिकित्सकों की ओर से निशुल्क किया जाता है. वर्ष 2009 से कर्मचारी और टेक्नीशियन का बरही अनुमंडल क्षेत्र में घोर आभाव है.

संपूर्ण अनुमंडल क्षेत्र के टीबी मरीज की जांच और देखभाल महज एक कर्मचारी पर निर्भर है. फिलहाल बरही में एक एसटीएस और एक टीबीएचवी कर्मी की अत्यंत जरूत है, जबकि बरकट्ठा और चौपारण में एसटीएस, टीबीएचवी कर्मी के अलावा एसटीएलएस की भी जरूरत है. इस संबंध में बरही विधायक ने कहा की स्वास्थ्य मंत्री तक अपने क्षेत्र की समस्या को रखकर अविलंब कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की जाएगी.

वर्ष 2020 तक प्रखंडवार टीबी मरीजों का आंकड़ा
आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष नवंबर 2020 तक बरही और पदमा के 122 टीबी मरीज, चौपारण के 108 और बरकट्ठा के 67 मरीज हैं. जिनका उक्त केंद्र की ओर से डॉट्स चल रहा है. वहीं एमडीआर टीवी ( गंभीर रूप से बीमार टीबी मरीज) से संबंधित मरीजों की कुल संख्या बरही, बरकट्ठा, पदमा और चौपारण मिलाकर 10 है.

विजेंद्र कुमार ने बताया कि इन मरीजों के खातों में 500 रुपये निश्चय पोषण योजना के तहत दिया जा रहा है. वहीं सहिया और वॉलेंटियर या कोई भी ग्रामीण जो मरीजों को समुचित रूप से दवा देते हैं, उन्हें एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जबकि एमडीआर मरीजों की देखभाल करने वाले सहिया और वॉलेंटियर आदि को पांच हजार प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.

हजारीबागः केंद्र सरकार की ओर से टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य 2025 तक रखा गया है, लेकिन बरही अनुमंडलीय अस्पताल में इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर्मचारियों का घोर अभाव है. यहां पर टीबी यूनिट केंद्र में मात्र एक कर्मचारी एसटीएलएस के पद पर विजेंद्र कुमार है. वहीं पूरे अनुमंडल क्षेत्र के टीबी मरीजों की ऑनलाइन एंट्री, सीबी नेट टेस्ट, प्रोत्साहन राशि देना, दवा वितरण आदि ऐसे सभी कार्य 2009 से अकेले ही कर रहा है.

देखें पूरी खबर

बरही में ही सीबी नेट टेस्ट की व्यवस्था
विभागीय आंकड़ों के अनुसार बरही अनुमंडल क्षेत्र के बरही, चौपारण, पदमा, चलकुशा और बरकट्ठा प्रखंड में 307 टीबी के मरीज हैं. जिन का इलाज और देखभाल टीबी यूनिट केंद्र बरही के ही भरोसे हैं. पूरे हजारीबाग जिले में टीबी रोग का सीबी नेट टेस्ट की व्यवस्था सदर अस्पताल हजारीबाग के अलावा बरही अनुमंडलीय अस्पताल में ही है.

बरही अनुमंडलीय अस्पताल में संचालित टीबी यूनिट केंद्र हर प्रकार की जरूरी मशीन और संसाधनों से लैस है, लेकिन यहां मानव कर्मी का घोर अभाव है. इस संबंध में बरही चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि टीवी यूनिट केंद्र में कर्मचारियों का अभाव है. इसके अलावा ड्रेसर स्वीपर सहित कई ऐसे पद हैं, जहां कर्मचारी न होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- जैक वेबसाइट पर मैट्रिक और इंटरमीडिएट का मॉडल प्रश्न पत्र जारी, परीक्षार्थियों को मिलेगी सहूलियत

मानव संसाधन की कमी

बरही, बरकट्ठा, चौपारण के लिए अलग-अलग टीबी यूनिट हैं, लेकिन तीनों यूनिट का कार्य मानव संसाधन की कमी के कारण बरही अनुमंडलीय अस्पताल के सेंटर में ही किया जाता है. टीबी का इलाज चिकित्सकों की ओर से निशुल्क किया जाता है. वर्ष 2009 से कर्मचारी और टेक्नीशियन का बरही अनुमंडल क्षेत्र में घोर आभाव है.

संपूर्ण अनुमंडल क्षेत्र के टीबी मरीज की जांच और देखभाल महज एक कर्मचारी पर निर्भर है. फिलहाल बरही में एक एसटीएस और एक टीबीएचवी कर्मी की अत्यंत जरूत है, जबकि बरकट्ठा और चौपारण में एसटीएस, टीबीएचवी कर्मी के अलावा एसटीएलएस की भी जरूरत है. इस संबंध में बरही विधायक ने कहा की स्वास्थ्य मंत्री तक अपने क्षेत्र की समस्या को रखकर अविलंब कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की जाएगी.

वर्ष 2020 तक प्रखंडवार टीबी मरीजों का आंकड़ा
आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष नवंबर 2020 तक बरही और पदमा के 122 टीबी मरीज, चौपारण के 108 और बरकट्ठा के 67 मरीज हैं. जिनका उक्त केंद्र की ओर से डॉट्स चल रहा है. वहीं एमडीआर टीवी ( गंभीर रूप से बीमार टीबी मरीज) से संबंधित मरीजों की कुल संख्या बरही, बरकट्ठा, पदमा और चौपारण मिलाकर 10 है.

विजेंद्र कुमार ने बताया कि इन मरीजों के खातों में 500 रुपये निश्चय पोषण योजना के तहत दिया जा रहा है. वहीं सहिया और वॉलेंटियर या कोई भी ग्रामीण जो मरीजों को समुचित रूप से दवा देते हैं, उन्हें एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जबकि एमडीआर मरीजों की देखभाल करने वाले सहिया और वॉलेंटियर आदि को पांच हजार प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.

Last Updated : Dec 19, 2020, 3:37 PM IST
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