हजारीबागः विश्व पर्यावरण दिवस पर दुनिया भर में लोगों को प्रकृति संरक्षण के लिए जागरूक किया जा रहा है. ऐसे में हजारीबाग में पर्यावरण संरक्षण में जुटे लोग भी इस मुहिम से जुड़ गए हैं. वे पौधरोपण के साथ ही, पौधों की देखभाल के लिए भी लोगों को प्रेरित कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-विश्व पर्यावरण दिवस: रांची में 70 सालों में 52 से घटकर 20 प्रतिशत रह गया वन परिक्षेत्र
पौधों के लिए शास्त्रों का यह है कहना
एक वृक्ष कई पुत्रों के बराबर होता है, हजारीबाग समेत पूरे देश में शास्त्रों में लिखी यह उक्ति मशहूर है. देश के दूसरे हिस्सों से इतह हजारीबाग में इसका असर भी नजर आता है. यहां युवाओं, वृद्धों, शिक्षकों और तमाम सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों का एक समूह परिवार के इन सदस्यों (वृक्षों) को बचाने में जी-जान एक किए हुए हैं. इस समूह के सदस्य रोजाना कहीं न कहीं पौधरोपण करते नजर आ जाएंगे. इस कड़ी में शनिवार को इस समूह के सदस्य फिर जुटे और पौधरोपण किया. पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आज 5 जून को जब दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है, ऐसे पर्यावरण रक्षकों को याद करना और उनके सुर से सुर मिलाना जरूरी है. ताकि पर्यावरण बचाया जा सके.
पौधरोपण से पहले वृक्ष वंदन
पौधरोपण के पहले पूजा, शंख बजाने की परंपरा आपको कहीं देखने को मिलेगी तो वह हजारीबाग ही है. इस परंपरा को पौधरोपण करने वाला यह समूह बखूबी निभाता है. जब भी ये पर्यावरण संरक्षक पौधे लगाते हैं तो उसके पहले वृक्ष वंदन करते हैं. ताकि पौधे के साथ जुड़ाव रहे. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हजारीबाग कर्जन ग्राउंड स्टेडियम में एक दर्जन से अधिक पौधे इन्होंने रोपे और प्रण लिया कि इनकी देखभाल भी करेंगे. सीआरपीएफ में कमांडेंट के पद पर सेवा देने वाले मुन्ना सिंह ने एक करोड़ वृक्ष लगाने और बचाने का संकल्प लिया है. अब तक एक लाख से अधिक पौधे लगाए और बचाए हैं. ऐसे में वह कहते हैं कि यह सिर्फ हमारी मुहिम नहीं हर आम ओ खास की मुहिम होनी चाहिए. तभी हम लोग पृथ्वी को बचा पाएंगे. वृक्ष नहीं तो हम नहीं, यह हर एक को समझना होगा.
पौधों को बचाना भी जिम्मेदारी
कृषि विश्वविद्यालय में कृषि वैज्ञानिक के पद पर सेवा देने वाले दुष्यंत कुमार राघव कहते हैं कि पौध रोपण करने के साथ पौधों को बचाना भी हमारा जिम्मेदारी है. जिस तरह से कंक्रीट के जंगल तैयार हो रहे हैं, वैसे में हम लोगों को पौधे भी लगाने होंगे.
हरियाली बढ़ाने की वकालत
हजारीबाग B.Ed कॉलेज में सेवा देने वाले शिक्षक डॉ. मनोज कुमार सिंह ने वृक्ष बचाने की मुहिम 2000 से शुरू की थी. इन्होंने आज तक 2000 से अधिक पौधा लगाए हैं. आज उनके लगाए कई पौधे वृक्ष बनकर फल देने वाले हो गए हैं. वे बताते हैं कि एक वृक्ष जब तैयार होता है तो उससे सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि हजारों व्यक्तियों को ऑक्सीजन मिलता है. वृक्ष कितने जीवों का आशियाना बनते हैं, यह हमें देखना चाहिए. आज के दिन हम वृक्ष काटे जा रहे हैं, इसका जैव विविधता पर भी पड़ रहा है. ऐसे में हम लोगों का यह दायित्व है कि हम पौधे लगाएं और अपने धरती को हरा-भरा करें. मनोज सिंह की यह खासियत है कि वे अपने वेतन के पैसे से पौधे लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं.
ये भी पढ़ें-घाटशिला का Tree Man: अब तक लगा चुके हैं 25 हजार पेड़, बचपन से रहा लगाव
शिक्षक ने छेड़ी प्रकृति संरक्षण की तान
पूर्व शिक्षक और पर्यावरण प्रेमी सुरेंद्र प्रसाद सिंह गांव में घूम-घूम कर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हैं. लेकिन उनका तरीका कुछ अलग है .वे विभिन्न भाषाओं के जानकार हैं और उन भाषाओं से जुड़े गीत बनाते हैं और फिर ग्रामीणों को सुनाते हैं. उनका कहना है कि हम लोगों के गांव में हाथी का आतंक था. ग्रामीण को जागरूक करने के लिए भाषण दिया जाता था और ग्रामीण भाषण नहीं सुनना चाहते थे. ऐसे में उन्हें गीत गाकर हम लोग जागरूक करते थे. आज के समय में भी वे विभिन्न गांव में जब भी जाते हैं तो पर्यावरण बचाने के लिए गीत गाकर ही लोगों को जागरूक करते हैं. आज उनका गाया हुआ गीत वन विभाग सीडी बनाकर गांव में बांट रहा है. तो दूसरी ओर उनके गीत को लिपिबद्ध कर गांव और शहर में बांटा जा रहा है.