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आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चों के घरों तक पहुंचाया जा रहा सूखा राशन, लेकिन थाली से गायब है अंडा

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Published : Mar 18, 2021, 8:25 PM IST

Updated : Mar 19, 2021, 8:12 AM IST

पूरे देश को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए भारत सरकार ने 1975 में एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इसके तहत जगह-जगह आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए, जहां गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है, लेकिन इन दिनों कोरोना काल में आंगनबाड़ी केंद्र बंद है. प्रशासन के ओर से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के घरों तक पौष्टिक आहार पहुंचाया जा रहा है.

Nutritious food being delivered to homes of children studying in Anganwadi center in hazaribag
आंगनबाड़ी केंद्र

हजारीबाग: आंगनबाड़ी भारत में ग्रामीण मां और बच्चों की देखभाल केंद्र है. कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम 1975 से भारत सरकार के ओर से पूरे देश में शुरू किया गया था. इसके तहत देश के कई जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं, लेकिन इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्र बंद है. कोरोना के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 साल से ताला लटका हुआ है. ऐसे में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन मिले इसे लेकर उनके घरों तक राशन पहुंचाया जा रहा है. पहले कभी इनकी थाली में अंडा भी हुआ करता था, लेकिन अब अंडा गायब हो गया है. पिछले दो वित्तीय वर्ष में यह योजना बंद कर दी गई है. अब गर्भवती महिलाएं और 3 से 6 वर्ष के बच्चे को पौष्टिक भोजन में दलिया, सूजी, गुड़, चावल, दाल समेत अन्य अनाज दिया जा रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

इसे भी पढे़ं: हजारीबाग से रहा है जेपी का विशेष लगाव, 18 मार्च को यहीं से शुरू हुआ था जेपी आंदोलन


गरीब बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र का महत्वपूर्ण योगदान है. 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए केंद्रों पर पौष्टिक भोजन मिलता है, लेकिन इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्र में ताला लटका है. कोरोना काल में सरकार के ओर से आंगनबाड़ी केंद्र बंद करने के आदेश जारी कर दिया गया है. ऐसे में नौनिहालों को पौष्टिक भोजन मिले इसे लेकर जिला प्रशासन उनके घरों तक सूखा राशन पहुंचा रही है. बच्चों के माता-पिता का यह दायित्व है कि वो अपने बच्चों को सुबह आंगनबाड़ी में जिस तरह से खाना दिया जाता था, उसी तर्ज पर दें. समाज कल्याण पदाधिकारी बताती हैं कि पूरे जिले में लोगों के घरों तक सेवा दिया जा रहा है, ताकि बच्चे को अच्छा भोजन मिल सके. वहीं आंगनबाड़ी सेविका भी कहती हैं कि यह योजना काफी अच्छा है, सूखा राशन बच्चे के माता-पिता को पहुंचाया जा रहा है.

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एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम की शुरुआत

बच्चों को पहले दिया जाता था अंडा
पहले बच्चों के थाली में अंडा भी हुआ करता था. सप्ताह में 3 दिन अंडा देने का प्रावधान था, लेकिन सरकार ने यह योजना बंद करा दिया है. 2 वित्तीय वर्ष से इस योजना पर रोक लगा दी गई है. अंडा देने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उचित मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध कराना था, लेकिन योजना बंद होने के कारण बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.

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आंगनबाड़ी अपग्रेज
इसे भी पढे़ं: धान बेचने के 60 दिन बाद भी किसानों को नहीं मिले पैसे, लगा रहे पैक्स कार्यालय के चक्कर

कोरोना काल में कई लोगों का रोजगार खत्म
बच्चों के माता-पिता ने बताया कि सूखा राशन हर महीने के 5 तारीख के आसपास मिल जाता है, लेकिन स्कूल खुलना भी बेहद जरूरी है, स्कूल खुलने पर बच्चे रुटीन में आ जाते हैं. उनका यह भी कहना है कि सरकार घर-घर तक राशन पहुंचा रही है, इससे बच्चों को अच्छा भोजन मिल पा रहा है, कोरोना काल के दौरान हम लोगों की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है, लेकिन बच्चों को अच्छा भोजन मिल रहा है.

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बच्चों को पौष्टिक आहार



आंगनबाड़ी केंद्रों को किया जा रहा अपग्रेड
हजारीबाग में 1770 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से 270 आंगनबाड़ी केंद्र को अपग्रेड किया गया है. हर साल 400 आंगनबाड़ी केंद्र को भविष्य में अपग्रेड करने की योजना है. अपग्रेड करने के बाद बच्चों को अच्छा माहौल देने की कोशिश की जा रही है, जिसमें अच्छा भोजन, साफ सुथरा माहौल, बच्चों के लिए खेलने के लिए खिलौना और एक निश्चित पाठ्यक्रम भी बनाया जा रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र को अब अपग्रेड कर स्कूल का दर्जा भी दिया जा रहा है.

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जिले में 170 आंगनबाड़ी केंद्र

हजारीबाग: आंगनबाड़ी भारत में ग्रामीण मां और बच्चों की देखभाल केंद्र है. कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम 1975 से भारत सरकार के ओर से पूरे देश में शुरू किया गया था. इसके तहत देश के कई जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं, लेकिन इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्र बंद है. कोरोना के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 साल से ताला लटका हुआ है. ऐसे में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन मिले इसे लेकर उनके घरों तक राशन पहुंचाया जा रहा है. पहले कभी इनकी थाली में अंडा भी हुआ करता था, लेकिन अब अंडा गायब हो गया है. पिछले दो वित्तीय वर्ष में यह योजना बंद कर दी गई है. अब गर्भवती महिलाएं और 3 से 6 वर्ष के बच्चे को पौष्टिक भोजन में दलिया, सूजी, गुड़, चावल, दाल समेत अन्य अनाज दिया जा रहा है.

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गरीब बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र का महत्वपूर्ण योगदान है. 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए केंद्रों पर पौष्टिक भोजन मिलता है, लेकिन इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्र में ताला लटका है. कोरोना काल में सरकार के ओर से आंगनबाड़ी केंद्र बंद करने के आदेश जारी कर दिया गया है. ऐसे में नौनिहालों को पौष्टिक भोजन मिले इसे लेकर जिला प्रशासन उनके घरों तक सूखा राशन पहुंचा रही है. बच्चों के माता-पिता का यह दायित्व है कि वो अपने बच्चों को सुबह आंगनबाड़ी में जिस तरह से खाना दिया जाता था, उसी तर्ज पर दें. समाज कल्याण पदाधिकारी बताती हैं कि पूरे जिले में लोगों के घरों तक सेवा दिया जा रहा है, ताकि बच्चे को अच्छा भोजन मिल सके. वहीं आंगनबाड़ी सेविका भी कहती हैं कि यह योजना काफी अच्छा है, सूखा राशन बच्चे के माता-पिता को पहुंचाया जा रहा है.

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एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम की शुरुआत

बच्चों को पहले दिया जाता था अंडा
पहले बच्चों के थाली में अंडा भी हुआ करता था. सप्ताह में 3 दिन अंडा देने का प्रावधान था, लेकिन सरकार ने यह योजना बंद करा दिया है. 2 वित्तीय वर्ष से इस योजना पर रोक लगा दी गई है. अंडा देने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उचित मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध कराना था, लेकिन योजना बंद होने के कारण बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.

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आंगनबाड़ी अपग्रेज
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कोरोना काल में कई लोगों का रोजगार खत्म
बच्चों के माता-पिता ने बताया कि सूखा राशन हर महीने के 5 तारीख के आसपास मिल जाता है, लेकिन स्कूल खुलना भी बेहद जरूरी है, स्कूल खुलने पर बच्चे रुटीन में आ जाते हैं. उनका यह भी कहना है कि सरकार घर-घर तक राशन पहुंचा रही है, इससे बच्चों को अच्छा भोजन मिल पा रहा है, कोरोना काल के दौरान हम लोगों की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है, लेकिन बच्चों को अच्छा भोजन मिल रहा है.

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बच्चों को पौष्टिक आहार



आंगनबाड़ी केंद्रों को किया जा रहा अपग्रेड
हजारीबाग में 1770 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से 270 आंगनबाड़ी केंद्र को अपग्रेड किया गया है. हर साल 400 आंगनबाड़ी केंद्र को भविष्य में अपग्रेड करने की योजना है. अपग्रेड करने के बाद बच्चों को अच्छा माहौल देने की कोशिश की जा रही है, जिसमें अच्छा भोजन, साफ सुथरा माहौल, बच्चों के लिए खेलने के लिए खिलौना और एक निश्चित पाठ्यक्रम भी बनाया जा रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र को अब अपग्रेड कर स्कूल का दर्जा भी दिया जा रहा है.

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जिले में 170 आंगनबाड़ी केंद्र
Last Updated : Mar 19, 2021, 8:12 AM IST
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