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हजारीबाग में बन रहा है राष्ट्रीय स्तर का किचन, 1 लाख बच्चों को मिलेगा भोजन

हजारीबाग की पहचान आने वाले दिनों में मिड डे मील भोजन को लेकर भी बनने वाली है. हजारीबाग में चयनित सरकारी विद्यालयों के बच्चों को अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से अत्याधुनिक किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. यहां 80 हजार से 1 लाख बच्चों को पौष्टिक खाना मिलेगा.

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हजारीबाग में बन रहा है राष्ट्रीय स्तर के किचन
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Published : Dec 14, 2020, 8:57 AM IST

हजारीबाग: जिले के डेमोटांड़ में राज्यस्तरीय रसोई घर का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें 1 लाख बच्चों का भोजन एक वक्त में तैयार किया जाएगा. इससे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को भोजन कराया जाएगा. आने वाले दिनों में अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से आधुनिक किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. इसे लेकर रसोईघर बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आने वाले 2 साल के अंदर रसोई घर तैयार हो जाएगा.

देखें स्पेशल खबर

हजारीबाग की मिलेगी पहचान

हजारीबाग की पहचान आने वाले दिनों में मिड डे मील भोजन को लेकर भी बनने वाली है. हजारीबाग में चयनित सरकारी विद्यालयों के बच्चों को अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से अत्याधुनिक किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. इसे लेकर हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा ने बताया कि यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है.

कोरोना के कारण काम के रफ्तार में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन 1 साल के अंदर काम पूरा करके बच्चों के बीच आ रहे हैं. इस किचन की खासियत यह है कि यह पूरे देश भर में इस तरह के 5 या 10 की संख्या में ऐसा रसोई घर है, जहां इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के लिए भोजन बनेगा. अगर हजारीबाग की बात की जाए तो यहां 80 हजार से 1 लाख बच्चों को पौष्टिक खाना मिलेगा. बच्चों को खाना पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक गाड़ी रहेंगी, जिससे छात्रों को भोजन उपलब्ध कराया जाएगा.

ये भी पढ़ें-कलम और कॉपी साइड कर बच्चों ने थामी साइकिल, अब कर रहे अवैध कोयले का व्यापार

हजारीबाग के किसानों को लाभ देने की है योजना

इस रसोई घर में खाना बनाने के लिए जो अनाज की आवश्यकता होगी, वह स्थानीय किसानों से लिया जाएगा. इसमें सब्जी से लेकर अन्य उत्पाद शामिल रहेगा. इसकी भी तैयारी की जा रही है. इसका उद्देश्य हजारीबाग के किसानों को लाभ देने होगा. इसे लेकर भी एक विशेष खाका तैयार किया जा रहा है.

बताया जा रहा है कि किसानों को भी तकनीकी रूप से लैस करने की तैयारी चल रही है, ताकि वो अपना उत्पाद सीधा अक्षय पात्रा रसोई घर तक पहुंचा सके, साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार दिया जा रहा है. इस वक्त 65 ऐसे मजदूर हैं, जो यह काम कर रहे हैं, जिससे गरीब मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है. अगर पूरे क्षेत्र की बात की जाए तो 1 एकड़ 75 डिसमिल में यह रसोई घर बनकर तैयार होगा.

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अंकित हुआ है इस संस्था का नाम

इसे बनाने की जिम्मेदारी रांची के एक कंपनी को सौंपी गई है, जिसे 18 महीने के अंदर प्रोजेक्ट पूरा कर हैंड ओवर करना है. वर्तमान समय में 100 से अधिक मजदूर और अन्य कर्मी काम में लगे हुए हैं. निसंदेह कहा जाए तो आने वाला दिनों में मिड डे मील को लेकर क्रांतिकारी परिवर्तन होने वाला है.

अब जरूरत है जल्द से जल्द इस योजना को पूरा कर हैंड ओवर करने की, ताकि छात्रों को पौष्टिक भोजन देने का जो सपना देखा गया है. वह पूरा हो सके. अक्षय पात्र फाउंडेशन भारत की एक अशासकीय संस्था है, जो देश के 12 राज्यों में 14 हजार 702 स्कूलों को लगभग 17 लाख स्कूली छात्रों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराती है. इस संस्था का नाम दिसंबर 2009 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अंकित किया गया है. सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उसे सीएनबीसी से सम्मानित किया गया है.

हजारीबाग: जिले के डेमोटांड़ में राज्यस्तरीय रसोई घर का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें 1 लाख बच्चों का भोजन एक वक्त में तैयार किया जाएगा. इससे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को भोजन कराया जाएगा. आने वाले दिनों में अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से आधुनिक किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. इसे लेकर रसोईघर बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आने वाले 2 साल के अंदर रसोई घर तैयार हो जाएगा.

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हजारीबाग की मिलेगी पहचान

हजारीबाग की पहचान आने वाले दिनों में मिड डे मील भोजन को लेकर भी बनने वाली है. हजारीबाग में चयनित सरकारी विद्यालयों के बच्चों को अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से अत्याधुनिक किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. इसे लेकर हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा ने बताया कि यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है.

कोरोना के कारण काम के रफ्तार में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन 1 साल के अंदर काम पूरा करके बच्चों के बीच आ रहे हैं. इस किचन की खासियत यह है कि यह पूरे देश भर में इस तरह के 5 या 10 की संख्या में ऐसा रसोई घर है, जहां इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के लिए भोजन बनेगा. अगर हजारीबाग की बात की जाए तो यहां 80 हजार से 1 लाख बच्चों को पौष्टिक खाना मिलेगा. बच्चों को खाना पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक गाड़ी रहेंगी, जिससे छात्रों को भोजन उपलब्ध कराया जाएगा.

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हजारीबाग के किसानों को लाभ देने की है योजना

इस रसोई घर में खाना बनाने के लिए जो अनाज की आवश्यकता होगी, वह स्थानीय किसानों से लिया जाएगा. इसमें सब्जी से लेकर अन्य उत्पाद शामिल रहेगा. इसकी भी तैयारी की जा रही है. इसका उद्देश्य हजारीबाग के किसानों को लाभ देने होगा. इसे लेकर भी एक विशेष खाका तैयार किया जा रहा है.

बताया जा रहा है कि किसानों को भी तकनीकी रूप से लैस करने की तैयारी चल रही है, ताकि वो अपना उत्पाद सीधा अक्षय पात्रा रसोई घर तक पहुंचा सके, साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार दिया जा रहा है. इस वक्त 65 ऐसे मजदूर हैं, जो यह काम कर रहे हैं, जिससे गरीब मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है. अगर पूरे क्षेत्र की बात की जाए तो 1 एकड़ 75 डिसमिल में यह रसोई घर बनकर तैयार होगा.

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अंकित हुआ है इस संस्था का नाम

इसे बनाने की जिम्मेदारी रांची के एक कंपनी को सौंपी गई है, जिसे 18 महीने के अंदर प्रोजेक्ट पूरा कर हैंड ओवर करना है. वर्तमान समय में 100 से अधिक मजदूर और अन्य कर्मी काम में लगे हुए हैं. निसंदेह कहा जाए तो आने वाला दिनों में मिड डे मील को लेकर क्रांतिकारी परिवर्तन होने वाला है.

अब जरूरत है जल्द से जल्द इस योजना को पूरा कर हैंड ओवर करने की, ताकि छात्रों को पौष्टिक भोजन देने का जो सपना देखा गया है. वह पूरा हो सके. अक्षय पात्र फाउंडेशन भारत की एक अशासकीय संस्था है, जो देश के 12 राज्यों में 14 हजार 702 स्कूलों को लगभग 17 लाख स्कूली छात्रों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराती है. इस संस्था का नाम दिसंबर 2009 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अंकित किया गया है. सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उसे सीएनबीसी से सम्मानित किया गया है.

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