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महिलाओं को बनाया जा रहा सशक्त, दिया जा रहा मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण

हजारीबाग के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं खुद को सशक्त बनाने के लिए पहल कर रही है. दरअसल यहां की महिलाएं स्वरोजगार के लिए कई तरह की योजनाओं का लाभ ले रही हैं. इसके साथ ही महिलाओं को नाबार्ड के आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रम के मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वह मशरूम की खेती कर घर वालों की अजीविका चला सकेंगी.

mushroom production training for women in hazaribag
मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण
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Published : Apr 4, 2021, 3:24 PM IST

हजारीबागः सकारात्मक सोच से परिवर्तन होना लाजमी है. कभी हजारीबाग का चुरचु प्रखंड के नगडी क्षेत्र में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी. गोली की तड़तड़ाहट और नक्सली घटना यह आम बात थी. लेकिन अब क्षेत्रों में लोगों का सोच बदली है. आलम यह है कि सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं खुद को उस लायक बना रही हैं कि अपने परिवार वालों की मदद कर सके और मुख्यधारा में आ सकें. इस बाबत नाबार्ड ही ग्रामीणों को मदद कर रही.

देखें स्पेशल स्टोरी

इसे भी पढ़ें- बेफिक्र सफर कीजिए 'मेरी सहेली' के साथ, नन्हें फरिश्तों को भी पहुंचाया जा रहा घर


10 दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण शिविर
कभी उग्रवाद के लिए जाना जाने वाला चुरचु प्रखंड नगड़ गांव विकास की गाथा लिखने को तैयार हो रहा है. यहां की महिलाएं स्वरोजगार के लिए कई तरह की योजनाओं का लाभ ले रही हैं. जिसमें जिला प्रशासन के साथ-साथ स्वयं सेवी संगठन और नाबार्ड जैसा संस्था भी उन लोगों की मदद कर रही है. जनप्रतिनिधि भी आगे आ रहे हैं. नगड़ी में नाबार्ड के आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रम के तहत 10 दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन किया गया है. उद्घाटन मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने किया है. जिसमें होली क्रॉस विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर आरके सिंह भी उपस्थित रहे. इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को इस तरह प्रोत्साहित करना है कि वह अपने परिवार वालों की मदद कर सके.

पहले दी गई थी मोमबत्ती बनाने की ट्रेनिंग
महिलाएं कहती है कि यहां पहले कोई आता नहीं था. रात में गाड़ियां भी नहीं चला करती थीं. वे लोग घर में ही रहती थी, लेकिन आज धीरे-धीरे समय बदला है. पुरुष काम करने के लिए बाहर चले गए और सभी महिलाएं खुद को स्वालंबी बनाने के लिए रोजगार से जुड़ रही हैं. महिलाओं ने पहले मोमबत्ती बनाने की ट्रेनिंग ली और उसे बेचा. अब मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ले रही हैं, ताकि अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.

ट्रेनिंग लेने के लिए दी जा रही राशि
नाबार्ड के जिला महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश सिंह बताते हैं कि सिर्फ मशरूम उत्पादन की जानकारी ही नहीं बल्कि उसे कैसे बेचा जाए, इसकी भी जानकारी दी जा रही है. उनका कहना है कि जब मशरूम क्लस्टर में उत्पादन किया जाएगा और 10 महिलाएं एक साथ काम करेगी तो उत्पादन भी अधिक होगा, तब बाजार भी इन्हें अच्छा मिल पाएगा. उनका यह भी कहना है कि ट्रेनिंग लेने के लिए भी इन्हें कुछ राशि दी जा रही है. जिसका उपयोग अपने व्यवसाय में भी कर सकती है. उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में मशरूम की खपत भी बाजार में अधिक हो रही है. हजारीबाग भी एक बड़ा सेंटर के रूप में डेवलप हो रहा है, कई लोग यहां इसका उत्पादन कर रहे हैं. कोलकाता जैसे बाजार में अगर यहां के मशरूम जाएंगे तो इसका लाभ अधिक मिलेगा.

हजारीबागः सकारात्मक सोच से परिवर्तन होना लाजमी है. कभी हजारीबाग का चुरचु प्रखंड के नगडी क्षेत्र में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी. गोली की तड़तड़ाहट और नक्सली घटना यह आम बात थी. लेकिन अब क्षेत्रों में लोगों का सोच बदली है. आलम यह है कि सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं खुद को उस लायक बना रही हैं कि अपने परिवार वालों की मदद कर सके और मुख्यधारा में आ सकें. इस बाबत नाबार्ड ही ग्रामीणों को मदद कर रही.

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10 दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण शिविर
कभी उग्रवाद के लिए जाना जाने वाला चुरचु प्रखंड नगड़ गांव विकास की गाथा लिखने को तैयार हो रहा है. यहां की महिलाएं स्वरोजगार के लिए कई तरह की योजनाओं का लाभ ले रही हैं. जिसमें जिला प्रशासन के साथ-साथ स्वयं सेवी संगठन और नाबार्ड जैसा संस्था भी उन लोगों की मदद कर रही है. जनप्रतिनिधि भी आगे आ रहे हैं. नगड़ी में नाबार्ड के आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रम के तहत 10 दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन किया गया है. उद्घाटन मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने किया है. जिसमें होली क्रॉस विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर आरके सिंह भी उपस्थित रहे. इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को इस तरह प्रोत्साहित करना है कि वह अपने परिवार वालों की मदद कर सके.

पहले दी गई थी मोमबत्ती बनाने की ट्रेनिंग
महिलाएं कहती है कि यहां पहले कोई आता नहीं था. रात में गाड़ियां भी नहीं चला करती थीं. वे लोग घर में ही रहती थी, लेकिन आज धीरे-धीरे समय बदला है. पुरुष काम करने के लिए बाहर चले गए और सभी महिलाएं खुद को स्वालंबी बनाने के लिए रोजगार से जुड़ रही हैं. महिलाओं ने पहले मोमबत्ती बनाने की ट्रेनिंग ली और उसे बेचा. अब मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ले रही हैं, ताकि अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.

ट्रेनिंग लेने के लिए दी जा रही राशि
नाबार्ड के जिला महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश सिंह बताते हैं कि सिर्फ मशरूम उत्पादन की जानकारी ही नहीं बल्कि उसे कैसे बेचा जाए, इसकी भी जानकारी दी जा रही है. उनका कहना है कि जब मशरूम क्लस्टर में उत्पादन किया जाएगा और 10 महिलाएं एक साथ काम करेगी तो उत्पादन भी अधिक होगा, तब बाजार भी इन्हें अच्छा मिल पाएगा. उनका यह भी कहना है कि ट्रेनिंग लेने के लिए भी इन्हें कुछ राशि दी जा रही है. जिसका उपयोग अपने व्यवसाय में भी कर सकती है. उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में मशरूम की खपत भी बाजार में अधिक हो रही है. हजारीबाग भी एक बड़ा सेंटर के रूप में डेवलप हो रहा है, कई लोग यहां इसका उत्पादन कर रहे हैं. कोलकाता जैसे बाजार में अगर यहां के मशरूम जाएंगे तो इसका लाभ अधिक मिलेगा.

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