हजारीबाग: रेलवे बोर्ड द्वारा सात उत्पादन इकाइयों के निजीकरण के आदेश के खिलाफ रेल कर्मी एकजुट हो रहे हैं. निजीकरण के आदेश के विरोध में रेल कर्मियों का गुस्सा केंद्र सरकार के खिलाफ दिखने लगा है. रेलकर्मी सड़क पर उतर कर अपना विरोध करने की रूपरेखा तैयार कर चुके हैं.
इसी कड़ी में एक जुलाई को काला बिल्ला लगाकर काला दिवस मनाने की घोषणा किया है. ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के सदस्यों ने कहा कि रेलवे का उत्पादन केंद्रों की निजीकरण कर रही है, जिसमें रेल सेवा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा.उनका कहना है कि निजीकरण के बाद रेलवे के कार्य की गुणवत्ता में कमी आएगी. योग्य कर्मी नहीं रहेंगे और ठेकेदार मनमानी ढंग से काम करेंगे. जिससे रेलवे के साख पर असर पड़ेगा, साथ ही साथ बेरोजगारी बढ़ेगी. पहले ही कोच और केटरिंग का निजीकरण किया जा चुका है जिससे गुणवत्ता में कमी आई है.
ये भी पढ़ें- 4 महीने तक 'बंधक' रहते हैं इस गांव के लोग, जानिए क्या है वजह
यूनियन का कहना है कि अगर रेलवे बोर्ड सात उत्पादक इकाइयों का निजीकरण करती है तो उसकी भी गुणवत्ता में कमी आएगी. संघ में उत्पादन इकाइयों के नवीकरण के आदेश को गलत बताते हुए स्पष्ट कर दिया है कि किसी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं किया जाएगा. बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा रेलवे की बेहतरी के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना बनाई है. जिसमें 7 उत्पादन इकाइयों के निजीकरण की बात कही गई है.