हजारीबाग: जिले से अब प्रवासी मजदूरों ने वापस महानगरों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. हजारीबाग जिला प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत चिन्हित जिलों में एक है. राज्य के 3 जिला हजारीबाग, गोड्डा और गिरिडीह को इस योजना के तहत जोड़ा गया है, लेकिन यह योजना हजारीबाग में सफल होता नजर नहीं आ रहा है और मजदूर मजबूरी बस अपने परिवार से दूर पलायन करने लगे हैं.
किसी भी इंसानों के जीवन में रोजगार बेहद जरूरी है. दो वक्त की रोटी के लिए हर व्यक्ति मशक्कत कर रहा है. कोरोना वायरस का वैक्सीन इन अब तक आया भी नहीं है और प्रवासी मजदूर फिर से पलायन करने को विवश हो रहे हैं. हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के सुल्ताना गांव के कई लोग अब महानगरों की ओर रुख कर रहे हैं. इन मजदूरों को बड़े-बड़े व्यवसायी फ्लाइट का टिकट भेजकर रोजगार के लिए बुला रहे हैं. हजारीबाग से बेंगलुरु जाने वाले प्रवासी मजदूर का कहना है कि अगर हम बाहर काम करने नहीं जाएंगे तो हमारा पेट यहां नहीं चल पाएगा, सरकार हम लोगों को किसी भी तरह का रोजगार नहीं दे रही है, ऐसे में बाहर जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है. वहीं श्रमिकों के परिजनों का कहना है कि अगर हमारे घर वाले काम करने बाहर नहीं जाएंगे तो यहां लालन-पालन करना मुश्किल है, हमारे पास दूसरा कोई उपाय भी नहीं है.
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वहीं, कटकमदाग प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी का कहना है कि सरकार मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार देने की कोशिश कर रही है, कई स्कीम प्रखंड में चलाया भी जा रहा है, जिसके तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है, सरकार की कोशिश है कि एक भी प्रवासी मजदूर बाहर पलायन ना करे. झारखंड सरकार के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता का कहना है कि सरकार प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए कई योजनाएं चला रही है और उसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि आखिर प्रवासी मजदूर क्यों पलायन कर रहे हैं तो उन्होंने कहा है कि जो व्यवसाय कर रहे थे वे पलायन कर रहे हैं, वर्तमान सरकार के पास हर जिले के मजदूरों का डाटा मौजूद है.