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खेतों की सिंचाई के लिए नई मशीन! आप भी जानिए देसी जुगाड़ की पूरी कहानी

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Published : Jan 19, 2022, 7:30 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 8:06 PM IST

खेतों की सिंचाई की मशीनें आज बाजार में उपलब्ध है. हजारों तरीके से खेतों की सिंचाई आज की जाती है. लेकिन इन व्यवस्थाओं के लिए बिजली या ईंधन की दरकार होती है. लेकिन ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट से हम उस मशीन के बारे में बताएंगे, जिसे देसी जुगाड़ से बनाया गया और जो हजारीबाग में खेत की सिंचाई में मददगार साबित हो रहा है.

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खेतों की सिंचाई

हजारीबागः मानव जीवन का इतिहास बेहद ही दिलचस्प रहा है. जब जब किसी इंसान को जरूरत पड़ी है वो अपने हिसाब से नए आविष्कार किए तो कई चीजों की खोज भी की. ऐसे में कहा जाना गलत नहीं है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हजारीबाग में टाटीझरिया के मुरकी गांव निवासी महेश मांझी ने. जिन्होंने अपनी आइडिया के बदौलत कमाल का साइकिल वाली सिंचाई मशीन बना लिया है . साइकिल वाली सिंचाई मशीन में ना तो ईंधन की जरूरत होती है और ना ही बिजली की. जब जरूरत पड़े तो पैडल मारो और पानी आपके खेतों तक पहुंच जाएगा.

इसे भी पढ़ें- 'वेस्ट को बेस्ट' बनाता उत्तम का यह जुगाड़, अपने हुनर से घर और बगीचे को बनाया आकर्षक

तन ढंकने के लिए ढंग से कपड़े भी नहीं, पर उनकी सोच किसी इंजीनियर से कम नहीं, ऐसे हैं महेश मांझी. हजारीबाग के महेश मांझी ने साइकिल वाली सिंचाई मशीन बनाई है. एक ऐसी मशीन, जिसमें ना ही ईंधन की खपत होती है और ना ही बिजली लगती है. मुरकी निवासी महेश मांझी हजारीबाग के सुदूरवर्ती क्षेत्र में रहते हैं. आदिवासी बहुल क्षेत्र में रहने वाले महेश मांझी आर्थिक रूप से कमजोर भी हैं. पूरा परिवार का भरण पोषण खेती पर ही निर्भर करता है. महेश मांझी के पास एक टुल्लू पंप था, जो खराब हो गया. पैसे और संसाधन की कमी उनकी खेती में आड़े आ रहा था. ऐसे में उन्होंने तकनीक का उपयोग कर साइकिल के पैडल से चलने वाली मशीन बना ली. उस मशीन से अब वह अपना खेत में पटवन कर लेते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

संसाधन की कमी के चलते वह देसी जुगाड़ से साइकिल के माध्यम से मोटर पंप से पानी को निकालने का आविष्कार किया है. खेत के बगल में तालाब है, तालाब में वो साइकिल वाली सिंचाई मशीन लगाकर पैडल मारते हैं और पानी उनके खेतों तक पहुंच जाता है. उनका कहना है कि क्षेत्र में बिजली की घोर समस्या है. टुल्लू पंप खराब हो जाने के बाद बिना पैसों के उसे बना भी नहीं सकते थे. ऐसे में उन्होंने यह मशीन बना ली. सीधे साधे व्यक्तित्व वाले आदिवासी समाज के महेश मांझी से जब पूछा कि आखिर अपने सोचा कैसे तो उन्होंने कहा कि भात खाकर हमने यह मशीन बनाया है.

महेश मांझी की पढ़ाई पांचवी क्लास तक हुई है. लेकिन इनकी सोच सबसे अलग है. हिंदी भी वो टूटी फूटी बोल पाते हैं. ऐसे में जब उनसे हम लोगों ने पूछा तो वह बात करने से भी घबराते रहे. गांव में एक सरकारी स्कूल है. उस गांव के शिक्षक कहते हैं कि महेश मांझी कि सोच का वो कायल हो गए हैं. उन्होंने ऐसे मशीन का आविष्कार कर दिया जो मील का पत्थर साबित हो सकता है. खेतों की सिंचाई की मशीन कोई भी किसान इसको अपने घर में बना भी सकता है.

इसे भी पढ़ें- मैट्रिक फेल मजदूर ने बनाई कमाल की मशीन, पड़ोसी गांव के किसान भी दे रहे ऑर्डर

महेश मांझी के पुत्र बताते हैं कि हमारे पापा ने इसे बनाया है. वो हम लोगों से कुछ सामान लाने को बोला था. हमने समान लाकर दे दिया और उन्होंने यह मशीन बनाया है. अब हमारे खेत में पटवन हो रहा है. हम लोग आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन की खेती कर पा रहे हैं. उनके पुत्र का भी कहना है कि दूसरे किसान भी इस मशीन के जरिए अपने खेत में पानी पटा सकते है. कई ऐसे जगह है जहां बिजली नहीं पहुंची है, वहां यह मशीन किसानों के लिए मददगार साबित होगा.

Mahesh Manjhi made irrigation machine with bicycle in Hazaribag
खेतों की सिंचाई की मशीन

झारखंड में सिंचाई व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में गरीबी और चरमराई बदहाल बिजली व्यवस्था से परेशान होकर महेश मांझी ने घर में पड़े बेकार मोटर पंप से जुगाड़ बना लिया. साइकिल के पिछले टायर को खोलकर उसमें बेल्ट लगाकर पानी के पंप से कनेक्शन कर सिंचाई के लिए व्यवस्था बना लिया. अब उन्हें मोटर पंप से सिंचाई या घर के अन्य कामों में पानी की जरूरत पड़ने पर बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. यह आविष्कार ये साबित करता है कि जब जब मनुष्य को आवश्यकता हुई उसने अपने सुविधा के लिए आविष्कार भी कर लिया.

हजारीबागः मानव जीवन का इतिहास बेहद ही दिलचस्प रहा है. जब जब किसी इंसान को जरूरत पड़ी है वो अपने हिसाब से नए आविष्कार किए तो कई चीजों की खोज भी की. ऐसे में कहा जाना गलत नहीं है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हजारीबाग में टाटीझरिया के मुरकी गांव निवासी महेश मांझी ने. जिन्होंने अपनी आइडिया के बदौलत कमाल का साइकिल वाली सिंचाई मशीन बना लिया है . साइकिल वाली सिंचाई मशीन में ना तो ईंधन की जरूरत होती है और ना ही बिजली की. जब जरूरत पड़े तो पैडल मारो और पानी आपके खेतों तक पहुंच जाएगा.

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तन ढंकने के लिए ढंग से कपड़े भी नहीं, पर उनकी सोच किसी इंजीनियर से कम नहीं, ऐसे हैं महेश मांझी. हजारीबाग के महेश मांझी ने साइकिल वाली सिंचाई मशीन बनाई है. एक ऐसी मशीन, जिसमें ना ही ईंधन की खपत होती है और ना ही बिजली लगती है. मुरकी निवासी महेश मांझी हजारीबाग के सुदूरवर्ती क्षेत्र में रहते हैं. आदिवासी बहुल क्षेत्र में रहने वाले महेश मांझी आर्थिक रूप से कमजोर भी हैं. पूरा परिवार का भरण पोषण खेती पर ही निर्भर करता है. महेश मांझी के पास एक टुल्लू पंप था, जो खराब हो गया. पैसे और संसाधन की कमी उनकी खेती में आड़े आ रहा था. ऐसे में उन्होंने तकनीक का उपयोग कर साइकिल के पैडल से चलने वाली मशीन बना ली. उस मशीन से अब वह अपना खेत में पटवन कर लेते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

संसाधन की कमी के चलते वह देसी जुगाड़ से साइकिल के माध्यम से मोटर पंप से पानी को निकालने का आविष्कार किया है. खेत के बगल में तालाब है, तालाब में वो साइकिल वाली सिंचाई मशीन लगाकर पैडल मारते हैं और पानी उनके खेतों तक पहुंच जाता है. उनका कहना है कि क्षेत्र में बिजली की घोर समस्या है. टुल्लू पंप खराब हो जाने के बाद बिना पैसों के उसे बना भी नहीं सकते थे. ऐसे में उन्होंने यह मशीन बना ली. सीधे साधे व्यक्तित्व वाले आदिवासी समाज के महेश मांझी से जब पूछा कि आखिर अपने सोचा कैसे तो उन्होंने कहा कि भात खाकर हमने यह मशीन बनाया है.

महेश मांझी की पढ़ाई पांचवी क्लास तक हुई है. लेकिन इनकी सोच सबसे अलग है. हिंदी भी वो टूटी फूटी बोल पाते हैं. ऐसे में जब उनसे हम लोगों ने पूछा तो वह बात करने से भी घबराते रहे. गांव में एक सरकारी स्कूल है. उस गांव के शिक्षक कहते हैं कि महेश मांझी कि सोच का वो कायल हो गए हैं. उन्होंने ऐसे मशीन का आविष्कार कर दिया जो मील का पत्थर साबित हो सकता है. खेतों की सिंचाई की मशीन कोई भी किसान इसको अपने घर में बना भी सकता है.

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महेश मांझी के पुत्र बताते हैं कि हमारे पापा ने इसे बनाया है. वो हम लोगों से कुछ सामान लाने को बोला था. हमने समान लाकर दे दिया और उन्होंने यह मशीन बनाया है. अब हमारे खेत में पटवन हो रहा है. हम लोग आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन की खेती कर पा रहे हैं. उनके पुत्र का भी कहना है कि दूसरे किसान भी इस मशीन के जरिए अपने खेत में पानी पटा सकते है. कई ऐसे जगह है जहां बिजली नहीं पहुंची है, वहां यह मशीन किसानों के लिए मददगार साबित होगा.

Mahesh Manjhi made irrigation machine with bicycle in Hazaribag
खेतों की सिंचाई की मशीन

झारखंड में सिंचाई व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में गरीबी और चरमराई बदहाल बिजली व्यवस्था से परेशान होकर महेश मांझी ने घर में पड़े बेकार मोटर पंप से जुगाड़ बना लिया. साइकिल के पिछले टायर को खोलकर उसमें बेल्ट लगाकर पानी के पंप से कनेक्शन कर सिंचाई के लिए व्यवस्था बना लिया. अब उन्हें मोटर पंप से सिंचाई या घर के अन्य कामों में पानी की जरूरत पड़ने पर बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. यह आविष्कार ये साबित करता है कि जब जब मनुष्य को आवश्यकता हुई उसने अपने सुविधा के लिए आविष्कार भी कर लिया.

Last Updated : Jan 19, 2022, 8:06 PM IST
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