हजारीबागः राज्य का गठन होने के बाद झारखंड में जमीन की कीमत में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है. 20 साल में जमीन की कीमत आसमान छूने लगी है. ऐसे में कई भू-माफिया झारखंड में सक्रिय हुए हैं. आलम यह है कि अब भू-माफिया और जंगल माफिया की जंगल पर बुरी नजर पड़ गई है. दोनों मिलकर जंगल की हरी-भरी जमीन का सौदा कर रहे हैं. जंगल से गुपचुप पेड़ पौधे काटे जा रहे हैं. हालांकि देर से ही सही वन विभाग अब चेता है, उसने जंगल की जमीन बचाने के लिए रूट मैप तैयार किया है.
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जमीन बेचने से पहले काट रहे पेड़
हजारीबाग के सामाजिक कार्यकर्ता टीपी सिंह जंगल की जमीन को बचाने के लिए पिछले कई साल से संघर्षरत हैं. उन्होंने इस बाबत वन विभाग के पदाधिकारियों को हमेशा जानकारी भी दी है. उनका भी कहना है कि भू-माफिया जंगल की जमीन बेच रहे हैं. जंगल की जमीन बेचने के पहले पेड़ काटे जा रहे है. इसके साथ ही उनका कहना है कि अब लकड़ी माफिया जंगल में सक्रिय नहीं है, बल्कि भू-माफिया जंगल के पेड़ को काट कर पहले जमीन समतल कर देते हैं. फिर जाली दस्तावेज बनाकर उस पर वन पट्टा लेने का दावा करते हैं.
जंगल की चिंता
वहीं आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा का कहना है कि हम लोग प्रशासन के विभिन्न स्रोत से आरटीआई के जरिए सरकारी वन भूमि के बारे में जानकारी लेते हैं. हाल के दिनों में कई भू-माफिया सक्रिय हैं. इसे देखते हुए हम लोग हमेशा पदाधिकारियों के संपर्क में रहते हैं और उन्हें फीडबैक भी देते हैं.
सिलवार खुर्द की जमीन की 'लूट'
वहीं गांव के मुखिया कहते हैं कि वन विभाग की जमीन की लूट भू-माफिया कर रहे हैं. हम लोग इस बाबत वन विभाग और जिला प्रशासन को भी सूचना देते हैं. उनका यह भी कहना है कि हाल के दिनों में हमारी पंचायत सिलवार खुर्द में भी वन विभाग की जमीन की लूट हुई है. इसकी शिकायत हम लोगों ने विभाग को भी दी है. विभाग ने कार्रवाई भी की है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.