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हजारीबागः खादी-ग्रामोद्योग बोर्ड बेच रही रेशम की राखियां, ग्रामीण महिलाओं को मिला रोजगार - खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड

रक्षाबंधन का पर्व नजदीक है और हर जगह बहने अपने भाईयों के लिए राखियां खरीद रही हैं. हजारीबाग में भी खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड से बनी राखियों की दुकानें लगाई गई हैं. इन राखियों को बनाने के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की मदद ली जा रही है. जिससे उन महिलाओं को रोजगार मिल सके.

खादी ग्रामोद्योग ने बनाई रेशम के धागों की राखी
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Published : Aug 14, 2019, 3:40 PM IST

हजारीबागः झारखंड खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा रक्षाबंधन पर रेशम की डोर की बनी राखी जिले के खादी भंडार केंद्र में बिक रही है. जिसकी कीमत 30 रूपए से लेकर 50 रूपए तक है. इन राखियों को बनाने के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की मदद ली जा रही है. जिससे उन महिलाओं को रोजगार मिल सके.

देखें पूरी खबर


खादी बोर्ड के दुकान के संचालक का कहना है कि खादी से बनी यह राखियां बेहद खास हैं, क्योंकि कच्चे धागे की डोर और जो हमारी परंपरा में है उसी के तहत राखी बनाई जा रही है. सबसे अहम बात यह है कि यह गांव की महिलाओं के द्वारा बनाया जा रहा है. इससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है. उनका यह भी कहना है कि खादी की राखी होने के कारण लोग इन्हें काफी पसंद भी कर रहे हैं.


राखी के खरीदार भी खादी बोर्ड के बने राखी को पसंद कर रहे हैं. उनका कहना है कि बाजार में तो कई तरह की राखियां बिक रही हैं, लेकिन हमारी परंपरा रही है कि हम कच्चे धागे की डोर से अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधते थे. उसे देखते हुए खादी बोर्ड राखी बनवा रही है. दूसरी ओर राखी गरीब परिवार की महिलाएं बना रही हैं. हमारे खरीदने से उन महिलाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा.


कहा जाए तो रेशम की डोर से भाई बहन के अटूट संबंध को और प्रगाढ़ करने की कोशिश खादी बोर्ड कर रही है. जिसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को मदद करना भी है. ऐसे में राखी अप्रत्यक्ष रूप से उन बहनों को भी मदद कर रही है जो राखी बना रही है.

हजारीबागः झारखंड खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा रक्षाबंधन पर रेशम की डोर की बनी राखी जिले के खादी भंडार केंद्र में बिक रही है. जिसकी कीमत 30 रूपए से लेकर 50 रूपए तक है. इन राखियों को बनाने के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की मदद ली जा रही है. जिससे उन महिलाओं को रोजगार मिल सके.

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खादी बोर्ड के दुकान के संचालक का कहना है कि खादी से बनी यह राखियां बेहद खास हैं, क्योंकि कच्चे धागे की डोर और जो हमारी परंपरा में है उसी के तहत राखी बनाई जा रही है. सबसे अहम बात यह है कि यह गांव की महिलाओं के द्वारा बनाया जा रहा है. इससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है. उनका यह भी कहना है कि खादी की राखी होने के कारण लोग इन्हें काफी पसंद भी कर रहे हैं.


राखी के खरीदार भी खादी बोर्ड के बने राखी को पसंद कर रहे हैं. उनका कहना है कि बाजार में तो कई तरह की राखियां बिक रही हैं, लेकिन हमारी परंपरा रही है कि हम कच्चे धागे की डोर से अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधते थे. उसे देखते हुए खादी बोर्ड राखी बनवा रही है. दूसरी ओर राखी गरीब परिवार की महिलाएं बना रही हैं. हमारे खरीदने से उन महिलाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा.


कहा जाए तो रेशम की डोर से भाई बहन के अटूट संबंध को और प्रगाढ़ करने की कोशिश खादी बोर्ड कर रही है. जिसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को मदद करना भी है. ऐसे में राखी अप्रत्यक्ष रूप से उन बहनों को भी मदद कर रही है जो राखी बना रही है.

Intro:राखी भाई बहन के अटूट विश्वास का पर्व की तैयारी पूरे देश में चल रही है। बहन अपने भाई के लिए राखी बाजारों से खरीद रही है। लेकिन हजारीबाग में खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड से बनी राखी बेहद खास है। इसे बनाने के पीछे भी एक उद्देश्य छुपा है।


Body:राखी का बाजार सज चुका है। हर एक चौक चौराहे पर राखी की बिक्री हो रही है। लेकिन हजारीबाग में खादी ग्राम उद्योग बोर्ड खुद की राखी बनाकर बाजारों में बेच रही है। राखी को बनाने में सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की मदद ली जा रही है। महिलाएं रांची के खादी बोर्ड के कारखाने में राखी बना रही है।

झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा रक्षाबंधन पर रेशम की डोर की बनी राखी हजारीबाग के खादी भंडार केंद्र में बिक रही है। जिसकी कीमत ₹30 से लेकर ₹50 तक की है। खादी ग्राम के दुकान के संचालक भी कहते हैं कि यहां की राखी बेहद खास है। क्योंकि कच्चे धागे की डोर से और जो हमारी परंपरा में है उसी के तहत राखी बनाई जा रही हैं । सबसे अहम बात यह है कि गांव की महिलाओं के द्वारा बनाया जा रहा है। इससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है। उनका यह भी कहना है कि खादी का राखी होने के कारण लोग इन्हें काफी पसंद भी कर रहे हैं।

राखी के खरीददार भी खादी बोर्ड के बने राखी को पसंद कर रहे हैं ।उनका कहना है कि बाजार में तो कई तरह की राखी बिक रही है ।लेकिन हमारी परंपरा रही है कि हम कच्चे धागे की डोर से अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधते थे। उसे देखते हुए खादी बोर्ड राखी बनवा रही है । दूसरी ओर राखी गरीब परिवार की महिलाएं बना रही हैं। हमारे खरीदने से उन महिलाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

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Conclusion:कहा जाए तो रेशम की डोर से भाई बहन का अटूट संबंध को और प्रगाढ़ करने की कोशिश खादी बोर्ड कर रही है ।जिसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को मदद करना भी है। ऐसे में राखी अप्रत्यक्ष रूप से उन बहनों को भी मदद कर रही है जो राखी बना रही है।
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