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कल्लू के प्यार और हुनर को सलाम, अपनी नवासी के लिए बनाई टॉय कार

नाना-नतनी का प्यार का कोई तोड़ नहीं है. नतनी अगर नाना से कुछ मांगे और नाना की आर्थिक रूप से शक्ति नहीं भी हो तो वह किसी भी तरह से उसकी ख्वाहिश पूरा करने की कोशिश करता है. ऐसा ही कुछ हजारीबाग के बड़कागांव में देखने को मिला. क्या है पूरी कहानी, जानते हैं इस रिपोर्ट में.

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कल्लू के प्यार और हुनर को सलाम
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Published : Sep 27, 2020, 5:21 PM IST

हजारीबागः नतनी के गाड़ी मांगने की जिद और गरीबी की मार से कोरोना काल में हजारीबाग जिला के बड़कागांव निवासी अलाउद्दीन अंसारी उर्फ कल्लू ने बैटरी से चलने वाली कार बना दी. यह देखकर लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर किस चीज से यह कार बनी है और कैसे यह चलती है. दरअसल यह गाड़ी नाना का दुलार, उनके हुनर का संकल्प और नतनी के प्यार का परिणाम है.

देखें पूरी खबर

नवासी के लिए बनाई टॉय कार

जहां गरीबी की मार के साथ-साथ कोरोना की बेबसी की वजह से अलाउद्दीन अंसारी घर में थे. घर चलाने के लिए पैसे भी नहीं था. वहीं उनकी नतनी ने नाना से गाड़ी की जीत कर दी. नाना के पास पैसा नहीं था. लेकिन उसने जुगाड़ कर बैट्री से चलने वाली गाड़ी नतनी के लिए बना दिया और आज पूरा बड़कागांव में गाडी चर्चा का विषय बन गया है. कल्लू मिस्त्री ने कहा कि लॉकडाउन में घर बैठ बोर हो रहा था और उसी समय मेरी नतनी कार से घूमने की बात कहती रहती थी पर हमारे पास इतना पैसा नहीं था कि हम बच्चों के लिए कार खरीद सके, उसे कार में घुमा सके. फिर मैंने सोचा क्यों ना अपने बच्ची को घूमने के लिए एक कार बनाई जाए. उस दिन से अपने बच्चे को कार के लिए जी तोड़ मेहनत करने लगा. 3 महीने में उन्होंने बैट्री से चलने वाली यह गाड़ी बनाई, जो आज सड़कों पर दौड़ रही है.

कबाड़ से जुगाड़

बच्ची की मां भी कहती हैं कि हम लोग कभी सोचे भी नहीं थे कि हमारी बच्ची गाड़ी से खेल पाएगी. क्योंकि हम लोग गरीब परिवार से हैं. लेकिन मेरे पिता ने अपनी मेहनत और कबाड़ी के सामान से बैट्री और अन्य सामान की मदद से अपनी नतनी के लिए गाड़ी बना दी. आज मेरी बेटी जब भी खेलने निकलती है उसी गाड़ी से घूमती है.

किसी से कम नहीं है ये कार

कल्लू की इस कार को देखने के लिए बच्चे तो दूर की बात है बड़े-बूढ़े भी पहुंच रहे हैं. सभी उनके इस हुनर को सलाम कर रहे हैं. कल्लू मिस्त्री कहते हैं कि इस कार की खासियत यह है कि यह नॉर्मल कार की तरह आगे चलने के साथ-साथ बैक गियर भी लगा सकते है. कार बनाने के लिए 24 वोल्ट की मोटर, 250 वाट की बैटरी, इसके अलावा एलइडी बल्ब सहित अन्य सामान का प्रयोग किया गया है. 4 घंटे चार्ज करने के बाद यह 4 से 5 घंटे बैकअप देता है, इसकी पावर भी बढ़ाई जा सकता है. वर्तमान में ये कार 60 किलो वजन तक का भार खींच सकता है.

इसे भी पढ़ें- मो. खालिद ने पेश की मानवता की मिसाल, 100 से अधिक लावारिस शवों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार


हुनर को प्रोत्साहन की दरकार

कल्लू मिस्त्री की इस अनोखी गाड़ी को लेकर स्थानीय लोग भी उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. उनका कहना है कि मात्र तीसरी क्लास तक पढ़े-लिखे कल्लू मिस्त्री आज पूरे गांव का नाम रोशन कर रहे हैं. अगर इन्हें सरकार मौका देगी तो आत्मनिर्भर भारत की ओर भी यह आगे कदम बढ़ा सकते हैं. प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, इसका जीता जागता उदाहरण हजारीबाग के बड़कागांव के कल्लू मिस्त्री ने पेश की है. जरूरत है सरकार को भी ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने की ताकि वह समाज के सामने मिसाल पेश कर सके.

हजारीबागः नतनी के गाड़ी मांगने की जिद और गरीबी की मार से कोरोना काल में हजारीबाग जिला के बड़कागांव निवासी अलाउद्दीन अंसारी उर्फ कल्लू ने बैटरी से चलने वाली कार बना दी. यह देखकर लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर किस चीज से यह कार बनी है और कैसे यह चलती है. दरअसल यह गाड़ी नाना का दुलार, उनके हुनर का संकल्प और नतनी के प्यार का परिणाम है.

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नवासी के लिए बनाई टॉय कार

जहां गरीबी की मार के साथ-साथ कोरोना की बेबसी की वजह से अलाउद्दीन अंसारी घर में थे. घर चलाने के लिए पैसे भी नहीं था. वहीं उनकी नतनी ने नाना से गाड़ी की जीत कर दी. नाना के पास पैसा नहीं था. लेकिन उसने जुगाड़ कर बैट्री से चलने वाली गाड़ी नतनी के लिए बना दिया और आज पूरा बड़कागांव में गाडी चर्चा का विषय बन गया है. कल्लू मिस्त्री ने कहा कि लॉकडाउन में घर बैठ बोर हो रहा था और उसी समय मेरी नतनी कार से घूमने की बात कहती रहती थी पर हमारे पास इतना पैसा नहीं था कि हम बच्चों के लिए कार खरीद सके, उसे कार में घुमा सके. फिर मैंने सोचा क्यों ना अपने बच्ची को घूमने के लिए एक कार बनाई जाए. उस दिन से अपने बच्चे को कार के लिए जी तोड़ मेहनत करने लगा. 3 महीने में उन्होंने बैट्री से चलने वाली यह गाड़ी बनाई, जो आज सड़कों पर दौड़ रही है.

कबाड़ से जुगाड़

बच्ची की मां भी कहती हैं कि हम लोग कभी सोचे भी नहीं थे कि हमारी बच्ची गाड़ी से खेल पाएगी. क्योंकि हम लोग गरीब परिवार से हैं. लेकिन मेरे पिता ने अपनी मेहनत और कबाड़ी के सामान से बैट्री और अन्य सामान की मदद से अपनी नतनी के लिए गाड़ी बना दी. आज मेरी बेटी जब भी खेलने निकलती है उसी गाड़ी से घूमती है.

किसी से कम नहीं है ये कार

कल्लू की इस कार को देखने के लिए बच्चे तो दूर की बात है बड़े-बूढ़े भी पहुंच रहे हैं. सभी उनके इस हुनर को सलाम कर रहे हैं. कल्लू मिस्त्री कहते हैं कि इस कार की खासियत यह है कि यह नॉर्मल कार की तरह आगे चलने के साथ-साथ बैक गियर भी लगा सकते है. कार बनाने के लिए 24 वोल्ट की मोटर, 250 वाट की बैटरी, इसके अलावा एलइडी बल्ब सहित अन्य सामान का प्रयोग किया गया है. 4 घंटे चार्ज करने के बाद यह 4 से 5 घंटे बैकअप देता है, इसकी पावर भी बढ़ाई जा सकता है. वर्तमान में ये कार 60 किलो वजन तक का भार खींच सकता है.

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हुनर को प्रोत्साहन की दरकार

कल्लू मिस्त्री की इस अनोखी गाड़ी को लेकर स्थानीय लोग भी उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. उनका कहना है कि मात्र तीसरी क्लास तक पढ़े-लिखे कल्लू मिस्त्री आज पूरे गांव का नाम रोशन कर रहे हैं. अगर इन्हें सरकार मौका देगी तो आत्मनिर्भर भारत की ओर भी यह आगे कदम बढ़ा सकते हैं. प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, इसका जीता जागता उदाहरण हजारीबाग के बड़कागांव के कल्लू मिस्त्री ने पेश की है. जरूरत है सरकार को भी ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने की ताकि वह समाज के सामने मिसाल पेश कर सके.

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