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चैत्र नवरात्रि के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत, हजारीबाग में उत्साह के साथ मनाया जा रहा है नया साल - Chaitra Navratri 2022

हजारीबाग में हिंदू नववर्ष पूरे उत्साह के साथ के मनाया जा रहा है. इस अवसर पर संस्कार भारती हजारीबाग की ओर से भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. संस्कार भारती के सदस्यों ने बताया कि यह अपने परंपरा को बचाए रखने की कोशिश है.

Hindu Nav Varsh
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Published : Apr 2, 2022, 9:35 AM IST

हजारीबाग: हिन्दू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी. इसलिए इस दिन से नए साल की शुरुआत होती है. हजारीबाग में हिंदू नववर्ष संस्कार भारती की ओर से उत्साह के साथ मनाया गया. हजारीबाग के हृदय स्थली झील में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. वहीं. भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें महिला पुरुष और बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

इसे भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि में अलग-अलग प्रसाद का भोग लगाकर करें माता को प्रसन्न


हिंदू वर्ष को विक्रम संवत या नव संवत्सर कहते हैं. इसका प्रारंभ सम्राट विक्रमादित्य ने किया था. आज हिंदू वर्ष 2079 या विक्रम संवत 2079 का प्रारंभ हुआ है. हिंदू नव वर्ष को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था और इसी दिन भारत वर्ष में काल गणना प्रारंभ हुई थी. हजारीबाग में हिंदू नववर्ष का स्वागत सूर्य भगवान को अर्घ देकर किया गया. संस्कार भारती हजारीबाग इकाई की ओर से इस अवसर पर भजन का भी आयोजन किया गया. जिसमें समाज के सभी तबकों के लोगों ने हिस्सा लिया.

संस्कार भारती के सदस्य ने बताया कि नववर्ष के इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को हिंदू नववर्ष का महत्व बताना है. इसके साथ ही अपने परंपराओं को बचाने की एक कोशिश है. संस्कार भारती के सदस्यों का यह भी कहना है कि हर भारतीय का दायित्व है कि हम अपनी परंपरा और सभ्यता को बचाए रखने और आने वाले पीढ़ी को भी इसके महत्व के बारे में बताएं. उन्होंने बताया कि सबसे पहले सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है और फिर भजनांजली के माध्यम से लोगों को अपने परंपरा का महत्व समझाया जाता है.

हजारीबाग: हिन्दू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी. इसलिए इस दिन से नए साल की शुरुआत होती है. हजारीबाग में हिंदू नववर्ष संस्कार भारती की ओर से उत्साह के साथ मनाया गया. हजारीबाग के हृदय स्थली झील में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. वहीं. भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें महिला पुरुष और बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

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हिंदू वर्ष को विक्रम संवत या नव संवत्सर कहते हैं. इसका प्रारंभ सम्राट विक्रमादित्य ने किया था. आज हिंदू वर्ष 2079 या विक्रम संवत 2079 का प्रारंभ हुआ है. हिंदू नव वर्ष को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था और इसी दिन भारत वर्ष में काल गणना प्रारंभ हुई थी. हजारीबाग में हिंदू नववर्ष का स्वागत सूर्य भगवान को अर्घ देकर किया गया. संस्कार भारती हजारीबाग इकाई की ओर से इस अवसर पर भजन का भी आयोजन किया गया. जिसमें समाज के सभी तबकों के लोगों ने हिस्सा लिया.

संस्कार भारती के सदस्य ने बताया कि नववर्ष के इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को हिंदू नववर्ष का महत्व बताना है. इसके साथ ही अपने परंपराओं को बचाने की एक कोशिश है. संस्कार भारती के सदस्यों का यह भी कहना है कि हर भारतीय का दायित्व है कि हम अपनी परंपरा और सभ्यता को बचाए रखने और आने वाले पीढ़ी को भी इसके महत्व के बारे में बताएं. उन्होंने बताया कि सबसे पहले सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है और फिर भजनांजली के माध्यम से लोगों को अपने परंपरा का महत्व समझाया जाता है.

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